Khesari Lal Vs Chhoti Kumari: छपरा में मतदाताओं ने लिखी नई कहानी, कौन मारेगा बाजी?
छपरा विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। मतदाताओं में जागरूकता की कमी दिखती है, पर वे विकास और काम करने वाले उम्मीदवार को चुनने की बात कर रहे हैं। युवाओं ने रोजगार और विकास के मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही। मतदान उत्साहपूर्ण रहा और लगभग 56 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह चुनाव छवि और पहचान का मुकाबला बन गया है।

खेसारी लाल और छोटी कुमारी।
सुनील राज, पटना। छपरा विधानसभा में यूं तो कुछ समय पहले तक लड़ाई भाजपा-बनाम राजद के बीच थी, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के मैदान में उतरने से राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदले नजर आए। निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कुछ मतदाता भी स्वीकारते हैं कि यहां लड़ाई मिश्रित है।
अंध बड़ा तेलपा के प्राथमिक विद्यालय के बूथ संख्या 354, 355 और 356 पर मतदाताताओं की संख्या सीमित है। पिंकी देवी अभी वोट देकर बाहर आई हैं। बताती हैं कि जमाना बदल गया है। लोग वोट देने तो आते हैं पर उन्हें ठीक से पता भी नहीं कि क्यों और किसे वोट करना है। यहां हमें अजीत पासवान भी मिले।
वे कहते हैं छपरा में इस बार सियासी और सांस्कृतिक जंग हैं। एक ओर खेसारी लाल हैं तो दूसरी ओर भाजपा की छोटी कुमारी। वैसे तो मुकाबला इनके बीच ही है, लेकिन जो निर्दलीय उम्मीदवार हैं राखी गुप्ता उन्हें भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। यहां इस बार लगता है मुकाबला जितना दिलचस्प होगा उतना ही अप्रत्याशित भी। जो भी जीते, लेकिन जीत बहुत बड़ी नहीं बल्कि छोटी ही होगी।
दूसरी ओर, नया टोला के उर्दू मध्य विद्यालय में कतार में लगी खुश्बू कहती हैं कौन किसका वोट काट रहा है और किसके पक्ष में लहर बन रही है इस बारे में हमको ज्यादा नहीं पता। जो छपरा में काम करेगा वही जीतना चाहिए।
प्रशांत और निखिल पहली बार वोट कर रहे हैं कहते हैं कि सिनेमा की भीड़ और वोट की गिनती में फर्क होता है। खेसारी ने विकास, रोजगार और भोजपुरी पहचान के मुद्दे तो उठाए हैं लेकिन राम मंदिर पर बोलने से पहले उन्हें सोचना चाहिए था। सोनू भी लगता है थोड़ा नाराज हैं कहते हैं कि छपरा की जनता आस्था से खिलवाड़ करने वालों को जवाब देगी
बहरहाल गुरुवार को छपरा में सुबह से ही मतदान उत्साहपूर्ण रहा। महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में वोट डालने निकले। शाम पांच बजे तक लगभग 56 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। मतदान के दौरान बड़ी गड़बड़ी की तो खबर नहीं मिली, लेकिन एक बात यहां साफ दिखी कि उम्मीदवारों के समर्थक यह दावा जरूर करते हैं कि हम जीत रहे हैं-हम जीत रहे हैं।
कुल मिलाकर छपरा सीट का यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों का नहीं, बल्कि छवि, पहचान और व्यवहार का भी मुकाबला है। जनता का फैसला अब मशीनों में बंद है, लेकिन इतना तय है कि छपरा की यह लड़ाई बिहार चुनाव की चर्चित सीटों में शामिल हो चुकी है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।