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    Chaitra Navratri 2025: कब से शुरू हो रही चैत्र नवरात्र? इस बार बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, पढ़िए पंडितों की राय

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 04:26 PM (IST)

    हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) का पर्व हर साल बहुत भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जो साधक पूजा-पाठ करते हैं उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस बार 30 मार्च को कलश स्थापना के ही साथ चैत्र नवरात्र का पर्व शुरू हो जाएगा।

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    कलश स्थापना के शुरू हो जाएगी चैत्र नवरात्र।

    जागरण संवाददाता, पटना। हिंदू धर्मावलंबियों के पवित्र चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में कई महत्वपूर्ण पर्व त्योहार होंगे। इसमें चैत्र नवरात्र, विक्रम संवत 2082 का आरंभ, चैती छठ, रामनवमी, कामदा एकादशी व्रत, चैत्र पूर्णिमा प्रमुख हैं।

    चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च रविवार को रेवती नक्षत्र एवं ऐन्द्र योग में हिंदू नव संवतसर का आरंभ तथा वासंतिक नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा।

    नए संवत के प्रथम दिन रविवार होने से इस वर्ष के राजा एवं मंत्री सूर्य होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया था। पूरे नवरात्र के दौरान ग्रह-गोचरों का कई बार पुण्यकारी संयोग भी बनेगा, जो श्रद्धालुओं के लिए उत्तम सिद्ध होगा।

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    कलश स्थापना के साथ 30 मार्च से नवरात्रि

    चैत्र शुक्ल प्रतिपदा रविवार 30 मार्च को रेवती नक्षत्र और ऐन्द्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में चैत्र मास का वासंतिक नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा।

    माता के उपासक अपने सामर्थ्य के अनुसार देवी की भक्ति में सराबोर होंगे। मंदिरों तथा घरों में वेदमंत्र, घंटी, शंख, आरती, स्तुति आदि की ध्वनि सुनाई देगी।

    चार अप्रैल शुक्रवार को मृगशिरा शोभन योग में मां दुर्गा की प्रतिमा का पट खुलेगा। चैत्र शुक्ल अष्टमी शनिवार पांच अप्रैल को महाअष्टमी का व्रत एवं छह अप्रैल को महानवमी में पाठ का समापन, हवन और कन्या पूजन होगा।

    चैत्र शुक्ल दशमी को देवी की विदाई कर विजयादशमी का पर्व और जयंती धारण किया जाएगा। पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि चैत्र नवरात्र का पहला दिन रविवार होने से देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। इस दाैरान प्रदेश में प्रर्याप्त वर्षा, सुख-समृद्धि और आर्थिक क्षेत्रों में उन्नति के आसार हैं।

    नहाय-खाय के साथ चैती छठ आरंभ 

    चैत्र शुक्ल चतुर्थी एक अप्रैल मंगलवार को भरणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के शुभ संयोग में नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व चैती छठ आरंभ होगा।

    इस दिन व्रती गंगा स्नान करने के बाद अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चासनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महापर्व का संकल्प लेंगी।

    2 अप्रैल को कृत्तिका नक्षत्र और प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्या काल में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगे।

    चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि तीन अप्रैल को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। चार अप्रैल को सप्तमी तिथि में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्योपासना के महापर्व का समापन व्रती पारण के साथ करेंगे।

    पुनर्वसु नक्षत्र के सुयोग में छह अप्रैल को रामनवमी

    चैत्र शुक्ल नवमी रविवार छह अप्रैल को पुनर्वसु नक्षत्र और सुकर्मा योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में राम नवमी का त्योहार मनाया जाएगा।

    इस दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का प्राकट्य हुआ था। मंदिर और घरों में विशेष पूजा-अर्चना होगी। हनुमत ध्वज की स्थापना के बाद विधिवत पूजा किया जाएगा।

    भजन-कीर्तन, रामचरितमानस, रामरक्षा स्रोत का पाठ होगा। भगवान राम का जन्मोत्सव मनाने से सुख, वैभव, सुखमय वैवाहिक जीवन, कीर्ति, यश, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं संतान की प्राप्ति होगी।

    चैत्र मास के प्रमुख व्रत-त्योहार

    नव संवतसर, हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्र का आरंभ - रविवार 30 मार्च

    चैती छठ का नहाय-खाय - 1 अप्रैल

    खरना - 2 अप्रैल

    सायंकालीन अर्घ्य - 3 अप्रैल

    उदीयमान सूर्य को अर्घ्य और पारण - 4 अप्रैल

    वासंतिक नवरात्रि के महाष्टमी व्रत - 5 अप्रैल

    महानवमी व्रत, हवन और कन्या पूजन - 6 अप्रैल

    रामनवमी और ध्वज पूजन - 6 अप्रैल

    विजयादशमी - 7 अप्रैल

    कामदा एकादशी - 8 अप्रैल

    चैत्र पूर्णिमा -12 अप्रैल

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