Kharmas 2025 Date: खरमास के कारण एक महीने तक नहीं गूंजेगी शहनाई, जानिए शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त
खरमास 14 मार्च (Kharmas Date 2025 March) से शुरू हो गया है और 14 अप्रैल तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी-ब्याह नहीं किए जा सकते। खरमास में पितृ पिंडदान पूजा और यज्ञ का विशेष महत्व है। सूर्य का मीन राशि में प्रवेश खरमास की शुरुआत है। खरमास के बाद शादी के लिए शुभ मुहूर्त 22 दिनों तक होंगे।

जागरण संवाददाता, पटना। खरमास शुक्रवार 14 मार्च (Kharmas Date 2025 March) से शुरू हो गया। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शादी-ब्याह पर विराम लग गया है। 14 अप्रैल सोमवार को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के बाद यह समाप्त हो जाएगा। खरमास में पितृ पिंडदान का खास महत्व है।
भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-पाठ विशेष फलदायी मानी जाती है। उनकी कृपा से जातक सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, यज्ञादि, दान आदि करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
पंडित राकेश झा ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 14 मार्च शुक्रवार की रात 08:54 बजे सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर गए। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास मास का आरंभ हो गया। सूर्य ही संक्रांति और लग्न के राजा माने जाते हैं। इनकी राशि का परिवर्तन ही खरमास का द्दोतक है।
गुरु-शुक्र की शुभता से तय होता है लग्न
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह संस्कार के शुभ योग के लिए गुरु, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। 14 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन राशि की संक्रांति होने के कारण खरमास रहेगा और इस दौरान शुभ मांगलिक कार्य नहीं होंगे। खरमास के बाद विवाह के लिए 22 दिन शुभ मुहूर्त है।
मिथिला पंचांग के अनुसार, अप्रैल में सात, मई में ग्यारह व जून में चार विवाह का लग्न-मुहूर्त है। फिर चातुर्मास लगने से चार मास के लिए शहनाई की गूंज पर रोक लग जाएगा।
शुभ लग्न-मुहूर्त में इसका होना जरूरी
शादी-ब्याह के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। वहीं नक्षत्रों में अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी है।
अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
खरमास के बाद शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त:
मिथिला पंचांग के अनुसार
- अप्रैल: 16, 18, 20, 21, 23, 25, 30
- मई: 1, 7, 8, 9, 11, 18, 19, 22, 23, 25, 28
- जून: 1, 2,4, 6
बनारसी पंचांग के मुताबिक
- अप्रैल: 14, 15, 16, 17, 18,19, 20,21,25,26, 29,30
- मई: 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15,16,17,18,22,23,24,28
- जून: 1,2,3,4,5,7,8
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