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    नहाय-खाय के साथ चैती छठ का 4 दिवसीय अनुष्ठान आज से आरंभ, खरना के बाद शुरू होगा निर्जला उपवास

    Updated: Tue, 01 Apr 2025 06:31 AM (IST)

    चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगा। पहला दिन नहाय-खाय होगा जिसमें व्रती गंगा स्नान कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। 2 अप्रैल को खरना होगा इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होगा। इस पर्व में स्वच्छता का विशेष महत्व है।

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    नहाय-खाय के साथ चैती छठ का 4 दिवसीय अनुष्ठान आज से आरंभ

    जागरण संवाददाता, पटना। लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज चैत्र शुक्ल तृतीया उपरांत चतुर्थी मंगलवार को नहाय-खाय से शुरू होगा। छठ व्रती गंगा नदी में स्नान करने के बाद अपने साथ गंगाजल घर लेकर आएंगे।

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    पूजन के बाद प्रसाद के रूप में अरवा चावल, सेंधा नमक से निर्मित चने की दाल, लौकी की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लेंगे।

    ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि चैत्र शुक्ल चतुर्थी मंगलवार को भरणी नक्षत्र व रवि योग में नहाय-खाय के साथ महापर्व शुरू हो रहा है। दो अप्रैल बुधवार को कृत्तिका व रोहिणी नक्षत्र के युग्म संयोग तथा प्रीति योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती पूरे दिन निराहार रह कर संध्या में खरना का पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। खरना के पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।

    चैत्र शुक्ल षष्ठी तीन अप्रैल दिन गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में डूबते सूर्य को व्रती अर्घ्य देंगे। चार अप्रैल को रवि योग के संयोग में व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण के बाद महाव्रत को पूर्ण करेंगे। छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है।

    वैदिक मान्यता के अनुसार, छठ के प्रसाद ग्रहण करने से शरीर निरोग होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस , गुड़ के सेवन से आंखों की पीड़ा समाप्त होने के साथ तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। स्वस्थ जीवन के लिए छठ जरूरी है। प्रकृति में फास्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है।

    मौसमी फल प्रसाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। परिवार की सुख समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की खासियत है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित पंडित की आवश्यकता नहीं होती और नहीं मंत्रोच्चारण की कोई जरूरत है। छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष महत्व रखा जाता है।

    एक नजर में चैती छठ:

    • 1 अप्रैल 2025, मंगलवार: नहाय-खाय
    • 2 अप्रैल 2025, बुधवार: खरना
    • 3 अप्रैल 2025, गुरुवार: सायंकालीन अर्घ्य
    • 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार: उदयकालीन अर्घ्य व पारण

    छठ की शुरुआत, बाजारों में पारंपरिक साड़ियों जबरदस्त खरीदारी

    लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज से नहाय-खाय के साथ हो गई है। इस पर्व को लेकर बाजारों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। व्रती महिलाएं छठ पूजा की तैयारियों में जुट गई हैं। व्रती महिलाएं इस पर्व के लिए पूरी श्रद्धा से तैयारियां कर रही हैं, जहां साड़ियों और पूजा सामग्री की खरीदारी खास ध्यान आकर्षित कर रही है। सबसे ज्यादा खरीदारी साड़ियों की हो रही है। पटना के बाजार पारंपरिक और आधुनिक साड़ियों के शानदार कलेक्शन से सजे हुए हैं जहां महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।

    मधुबनी, बंधेज और लहरिया प्रिंट की भी अच्छी मांग

    बाजार में मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ियों की भी डिमांड काफी बढ़ी है। इन साड़ियों पर छठ पूजा से जुड़ी हुई चित्रकला उकेरी जाती है जो पूजा के महत्व को और अधिक बढ़ाती है। इसके साथ ही राजस्थानी बंधेज और लहरिया प्रिंट वाली साड़ियां भी काफी लोकप्रिय हो गई हैं। जो महिलाएं कुछ खास और स्टाइलिश लुक चाहती हैं, वे हल्के बार्डर और सोबर फ्लोरल प्रिंट वाली साड़ियां खरीद रही हैं। राजीव नगर स्थित रूप लक्ष्मी साड़ी दुकान में छठ पूजा के लिए खास कलेक्शन आया है।

    दुकान के मालिक जितेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि इस बार व्रती महिलाओं में काटन साड़ियों की सबसे ज्यादा मांग है। ये साड़ियां 500 से 1500 रुपये की रेंज में उपलब्ध हैं और हल्के कपड़े की वजह से पूजा के दौरान आरामदायक भी रहती हैं। खासतौर पर लाल, पीला, हरा और नारंगी रंग की साड़ियां सबसे ज्यादा बिक रही हैं। इन्हें छठ के लिए शुभ माना जाता है। बिना बार्डर वाली सिंपल काटन साड़ियां व्रतियों की पहली पसंद बनी हुई हैं।

    साड़ी खरीदने आई सीमा देवी ने बताया, छठ पूजा का पर्व हमारे लिए बहुत खास है। इस दिन हम पारंपरिक साड़ियों में सजना पसंद करते हैं। हल्की काटन में साड़ियां इस मौसम में सबसे आरामदायक होती हैं। इनकी रंगत भी पूजा के माहौल के अनुरूप होती है।

    इस बार युवा महिलाएं भी छठ पूजा के लिए अपनी पसंदीदा आउटफिट चुन रही हैं। खासकर नवविवाहिताओं और युवा लड़कियों को अनारकली और अंब्रेला सूट जैसे डिजाइनर सूट की ओर आकर्षण बढ़ा है। ये सूट पारंपरिक साड़ियों के मुकाबले थोड़ा माडर्न और स्टाइलिश होते हैं। बाजार में इन सूट की भी खूब मांग देखी जा रही है।

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