Bihar News: अब बिहार में बेबी कॉर्न से किसान हो जाएंगे मालामाल, कृषि विशेषज्ञों ने बनाया धांसू प्लान
किसानों की आय बढ़ाने के लिए बेबी कॉर्न की खेती एक बेहतरीन विकल्प है। आत्मा के तत्वावधान में किसानों को बेबी कॉर्न उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। रबी की फसलों के बाद खेतों को खाली न छोड़ें बल्कि बेबी कॉर्न मक्का या मूंग की खेती करें। फसल चक्र अपनाने से किसानों की आय में 30-40 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।
जागरण संवाददाता, पटना। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) के तत्वावधान में उन्हें बेबी कॉर्न उत्पादन का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
कृषि विशेषज्ञों की राय है कि रबी की फसलों को काटने के बाद किसान खेतों को खाली न छोड़ें। उसमें तत्काल बेबी कॉर्न की फसल लगा दें। जहां बेबी कॉर्न लगाना संभव नहीं हो वहां पर मक्का या मूंग की फसल लगाई जा सकती है।
किसानों की आय बढ़ाने का हो रहा प्रयास
आत्मा के उप परियोजना निदेशक वृजेन्द्र मणि का कहना है कि आत्मा की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।
इसके लिए जरूरी है कि किसान फसल चक्र अपनाएं। ऐसे में खेतों को खाली रखने से किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान होगा।
अगर किसान फसल चक्र अपनाएं तो उनकी आय में तीस से चालीस प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। गर्मी के दिनों में प्राय: किसान रबी की फसल काटने के बाद खेतों को खाली छाेड़ देते हैं।
इस तरह से भी बढ़ सकती है आय
- अगर किसान उस समय मूंग की फसल खेतों में लगा दे तो उससे कम लागत में अच्छी पैदावार हो सकती है। फसलों की पैदावार बढ़ने से किसानों की आय बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
- विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के दिनों में सब्जी की मांग काफी बढ़ जाती है। अगर सिंचाई की सुविधा हो तो किसान गर्मी के दिनों में सब्जी की फसल आसानी से लगा सकते हैं।
6671 किसानाें के खेतों की मिट्टी की हुई जांच
भभुआ में कृषि विभाग किसानों के खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच प्रयोगशाला में निशुल्क कर रहा है। मिट्टी के स्वास्थ्य जांच के उपरांत मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार अब तक 6671 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया गया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत 10300 मिट्टी के नमूनों की जांच करने का लक्ष्य मिला हुआ है।
प्रयोगशाला में 9934 खेतों की मिट्टी का नमूना प्राप्त हुआ है। प्राप्त लक्ष्य के अनुसार अभी तक 6671 खेतों के मिट्टी के नमूनों की जांच का कार्य पूरा कर लिया गया है।
साथ ही किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी उपलब्ध करा दिया गया है। सहायक निदेशक रसायन नईम नोमानी ने बताया कि किसानों के खेतों की मिट्टी के नमूनों को एकत्रित कर प्रयोगशाला में नि:शुल्क जांच की जाती है।
यह जांच 12 पैरामीटर की होती है। इससे खेतों की मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है इसके बारे में जानकारी मिल जाती है। जिसे किसानों को बताया जाता है। कमी को दूर करने के लिए भी किसानों को उपाय बताए जाते हैं।
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