CM ने पूछा- क्या मामला है? Kishore Kunal ने जवाब दिया- इसमें मत पड़िए...; वो हत्याकांड जिसने देश भर में मचाई हलचल
आचार्य किशोर कुणाल भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके कई किस्से चर्चा में रहे। पटना के चर्चित बाबी हत्याकांड की कहानी जिसने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया था। जानिए कैसे आईपीएस किशोर कुणाल ने कब्र से निकलवाई थी लाश और कैसे इस केस ने दिल्ली तक हिला दिया था। एक ऐसी कहानी जो आज भी चर्चा में है।

राज्य ब्यूरो, पटना। किशोर कुणाल का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। सेवा चाहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में हो या फिर समाज सेवा की उन्होंने हमेशा ही बेहतर देने के प्रयास किए। परंतु एक आइपीएस अफसर के रूप में उनकी छवि को उस दौर के बिहार के लोग भूले नहीं होंगे।
किशोर कुणाल के एक केस ने जहां उन्हें रातों-रात पटना से लेकर दिल्ली तक चर्चित कर दिया था। वहीं प्रदेश के राजनीतिक हलकों में खलबली तक मचा दी थी। वह केस था बॉबी हत्या कांड। असल में 11 मई 1983 को पटना के एक दैनिक समाचार पत्र ने श्वेता निशा उर्फ बॉबी हत्या कांड की खबर प्रकाशित की थी।
तमाम सबूत भी थे लेकिन दोषी कोई नहीं था
बॉबी विधानसभा में टाइपिस्ट के रूप में काम करती थी। सुंदर थी और उसके कई नेताओं के साथ अच्छे संपर्क भी थे। किशोर कुणाल उन दिनों पटना के एसपी हुआ करते थे। वह देख रहे थे कि वह एक ऐसा केस था जिसमें हत्या हुई थी, तमाम सबूत भी थे लेकिन दोषी कोई नहीं था।
स्वयं किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक दमन तक्षकों में इस केस की विस्तार से चर्चा की है। पटना से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में उथल-पुथल मचा देने वाले श्वेता निशा उर्फ बॉबी हत्या कांड के बारे में जिसने भी सुना हिल कर रह गया।
उस दौर के समाचार पत्रों के पन्ने बॉबी हत्या कांड को लेकर हर रोज नए समाचार लेकर लोगों के बीच आ रहे थे।ऐसे ही समाचारों को आधार बनाकर बनाकर इस मामले में किशोर कुणाल के निर्देश पर एक यूडी केस दर्ज किया गया।
तब तक बॉबी की बॉडी दफनाई जा चुकी थी, बावजूद कुणाल ने दिलेरी दिखाते हुए कब्र खुदवा कर उसमें दफन बॉबी की लाश निकलवाई और उसे पोस्ट मार्टम के लिए भेजा। पोस्टमार्टम से कई खुलासे हुए। कई नाम भी उछले।
जगन्नाथ मिश्रा ने किया था कुणाल किशोर को फोन
- कुणाल ने अपनी किताब में लिखा है कि उस दौर में उनके कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का बर्ताव ऐसा था, मानो सच की खोज करना बड़ा अपराध है। इस मामले में जब जांच आगे बढ़ रही थी उस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा ने उन्हें फोन कर जानना चाहा कि मामला क्या है।
- तब कुणाल का जवाब था आप चरित्र के मामले में अच्छे हैं, सर इसमें पड़ेंगे तो आग इतनी तेज है कि हाथ जल जाएंगे। इसके बाद आगे कुछ कहे डॉ. मिश्रा ने फोन कट कर दिया था। कुणाल की जांच में यह स्पष्ट हो गया था कि यह हत्या का मामला है न कि खुदकशी का।
- जांच में आरोपियों के नाम भी थे, लेकिन तब के मुख्यमंत्री पर कुछ विधायकों ने जांच सीबीआइ सौंपने का दबाव बनाया और अंतत जगन्नाथ मिश्रा ने बॉबी हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी।
महीनों तक मची रही खलबली
बहरहाल सीबीआइ ने अपनी जांच के क्रम में मामले के आरोपियों को अभयदान दे दिया। परंतु यह मामला ऐसा था, जिसने महीनों प्रदेश के साथ ही राज्य की राजनीति में खलबली मचाए रखी।
बॉबी हत्याकांड को लेकर चर्चाएं आज भी होती हैं इसके साथ ही कुणाल की कार्यशैली की भी चर्चा होती है। लेकिन अब कुणाल नहीं रहे। परंतु जब-जब चर्चित बॉबी हत्याकांड की बात होगी उनके नाम की चर्चा खुद-ब-खुद जुबान पर आ जाएगी।
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