Bihar Politics: बिहार चुनाव को लेकर NDA ने बना लिया नया प्लान, अब 15 जून पर टिकी निगाहें
बिहार भाजपा ने 2025 के बिहार चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है जो 15 जून से शुरू होने की संभावना है। इसका लक्ष्य एनडीए कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बढ़ाना है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा की और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के निर्देश दिए।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) तैयारियों को लेकर जिलेवार कार्यकर्ता सम्मेलन के सफलता के उपरांत एनडीए ने विधानसभावार सम्मेलन करने का निर्णय लिया है। संभवत: 15 जून से एनडीए का विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू हो जाएगा। इसमें गांव स्तरीय एनडीए के कार्यकर्ताओं का जुटान होगा।
सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य एनडीए कार्यकर्ताओं के बीच और बेहतर समन्वय स्थापित करना है। बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की अध्यक्षता में बुधवार को हुई पार्टी नेताओं के साथ बैठक यह निर्णय लिया गया।
एक और बैठक हुई
इससे पहले, आरएसएस के प्रांत मुख्यालय विजय निकेतन और फिर प्रदेश संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया के आवास पर हुई बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा के अतिरिक्त अन्य वरिष्ठ नेता सम्मिलित हुए।
बीएल संतोष ने की समीक्षा
बीएल संतोष ने बिहार भाजपा की ओर से चलाए जा रहे संगठनात्मक गतिविधियों की सूक्ष्म समीक्षा की। इसमें छह जिलाध्यक्षों के मनोनयन, कुछ मंडल अध्यक्षों के रिक्त पद को लेकर चर्चा हुई। जिलेवार एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन की प्रशंसा की गई।
बैठक में तय हुआ कि अब विधानसभावार एनडीए का कार्यकर्ता सम्मेलन हो। जिलेवार सम्मेलन से एनडीए कार्यकर्ताओं में बेहतर समन्वय कायम हुआ है।
गांव के स्तर पर एनडीए के कार्यकर्ता एक साथ बैठेंगे तो उसका सकारात्मक असर चुनाव परिणाम पर होगा। संतोष ने चुनाव को देखते हुए सांगठनिक गतिविधियों के प्रति और सक्रिता बढ़ाने के निर्देश दिए।
सामाजिक न्याय व विकास के लिए निर्णायक कदम : ऋतुराज सिन्हा
भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दूरदर्शी निर्णय लेते हुए आगामी जनगणना में जाति आधारित जनगणना को सम्मिलित करने की मंजूरी दे दी है। यह पूरी तरह सामाजिक और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है। स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया।
इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने जातिगत आंकड़ों को सिर्फ राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जातिगत जनगणना पर कैबिनेट विचार करेगी। मंत्रियों का समूह गठित भी हुआ, अधिकतर दलों ने सहमति भी दी, लेकिन कांग्रेस ने सार्वजनिक नहीं किया।
इससे स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने इस गंभीर विषय का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किया है। अब मोदी सरकार का यह निर्णय सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ आर्थिक योजनाओं और नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन का आधार बनेगा। जब हमारे पास स्पष्ट आंकड़े होंगे कि किस वर्ग की वास्तविक स्थिति क्या है, तो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचेगा।
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