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    Bihar Sand Mining: बिहार के आठ जिलों के 163 बालू घाटों में 136 ही संचालित, विभाग ने अधिकारियों से मांगा जवाब

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 02:05 PM (IST)

    बिहार के आठ जिलों में से 163 बालू घाटों में से केवल 136 ही संचालित हो रहे हैं। पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद भी 27 बालू घाटों पर खनन कार्य शुरू नहीं हो पाया है। खान एवं भू-तत्व विभाग ने जिलों के अधिकारियों से कारण पूछा है। यह निर्देश भी दिए हैं कि जिन बालू घाटों को पर्यावरण स्वीकृति मिल चुकी है उन घाटों का संचालन शीघ्र प्रारंभ किया जाए।

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    27 बालू घाटों पर काम शुरू नहीं होने पर विभाग ने अधिकारियों से मांगा जवाब (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार की नदियों से बालू खनन (Sand Mining In Bihar) निर्बाध जारी रहे इसके लिए खान एवं भू-तत्व विभाग सतत प्रयत्नशील है, लेकिन कुछ जिलों में अभी भी काम की गति आशा के अनुरूप नहीं।

    पिछले दिनों खान एवं भू-तत्व निदेशक ने उत्तर और दक्षिण बिहार के बालू घाटों से बालू खनन की समीक्षा की। जिसमें यह बात सामने आई कि दक्षिण बिहार के आठ जिलों में खनन आठ जिलों में पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद भी 27 बालू घाट अब भी संचालित नहीं हैं।

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    अधिकारियों से पूछा कारण

    समीक्षा बैठक में यह बात सामने आने के बाद निदेशक खान एवं भू-तत्व ने इस संबंध में जिलों के अधिकारियों से कारण पूछा है। साथ ही उन्होंने यह निर्देश भी दिए हैं कि जिन बालू घाटों को पर्यावरण स्वीकृति मिल चुकी है उन घाटों का संचालन शीघ्र प्रारंभ किया जाए।

    कहां कितने बालू घाटों को मिली पर्यावरण स्वीकृति?

    विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रोहतास में 16, औरंगाबाद में 12, पटना में 21, भोजपुर में 45, गया में 21, नवादा में 17, जमुई में 35 और भागलपुर में दो बालू घाटों को पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त है।

    यहां पर शुरू नहीं हुआ बालू खनन

    बावजूद भागलपुर में एक, जमुई में पांच, नवादा में तीन, गया में चार, भोजपुर में पांच, पटना में चार, रोहतास में चार, जबकि औरंगाबाद में एक घाट से बालू खनन प्रारंभ नहीं हो पाया है। जिसके इन्होंने इसका कारण जानना चाहा।

    विभाग के अनुसार, जिलों ने खनन का कार्य बाधित रहने की अलग-अलग वजह बताई है। कहीं बंदोबस्तधारी द्वारा राशि न मिलने की वजह से काम रुका है तो कही बंदोबस्तधारी के साथ हुए हादसे की वजह से कार्य बाधित है। जिसे जानने के बाद निदेशक खान एवं भू-तत्व ने शेष बचे घाटों को शीघ्र संचालित करने के निर्देश दिए।

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