Move to Jagran APP

Bihar Politics: लालू ने परायों को थमाया टिकट तो अपने हो गए बागी, कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी; मगर...

बिहार की राजनीति में अपनी पार्टी बनाने के बाद लालू प्रसाद ने बड़े जतन से बिहार में सामाजिक न्याय और मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण का ढांचा खड़ा किया। उस दौर में होने वाले चुनावों में मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की सर्वाधिक भागीदारी रही लेकिन वर्तमान में पार्टी के वरिष्ठ नेता एम-वाई के सीटों में कटौती को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

By Sunil Raj Edited By: Rajat Mourya Published: Mon, 15 Apr 2024 07:41 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2024 07:41 PM (IST)
लालू ने परायों को थमाया टिकट तो अपने हो गए बागी, कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी; मगर...

सुनील राज, पटना। लोकसभा चुनाव की रणभूमि पर योद्धाओं ने मोर्चा संभाल लिया है और विरोधियों से दो-दो हाथ आजमाने को पूरी तरह से तैयार भी हैं। परंतु राष्ट्रीय जनता दल में चुनाव के ऐन बीच नाराज नेताओं की तादाद लगातार बढ़ रही है।

loksabha election banner

एमवाई समीकरण को आधार वोट बताकर बिहार की सत्ता पर वर्षों तक राज करने वाले राष्ट्रीय जनता दल में इसी आधार वोट का मसला बनाकर नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन राजद के लिए राहत की बात यह है कि दल छोड़ने वाले नेताओं के बीच ऐसे चेहरों की कमी भी नहीं जो पार्टी में या तो वापसी कर रहे हैं या फिर नए सिरे से अपनी पारी की शुरुआत कर रहे हैं।

मुस्लिम-यादव का समीकरण

बिहार की राजनीति में अपनी पार्टी बनाने के बाद लालू प्रसाद ने बड़े जतन से बिहार में सामाजिक न्याय और मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण का ढांचा खड़ा किया। उस दौर में होने वाले चुनावों में मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की सर्वाधिक भागीदारी रही, लेकिन वर्तमान में पार्टी के वरिष्ठ नेता एम-वाई के सीटों में कटौती को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

ऐसे नेताओं के तर्क हैं कि पार्टी की बदलती नीतियों की वजह से आधार वोट खिसक सकता है। इसी आरोप को आधार बना कई नेता पार्टी को अलविदा भी कह चुके हैं। नेतृत्व को लेकर ज्यादा नाराजगी अल्पसंख्यकों और इसके बाद यादवों में है। असल वजह है 2024 के संसदीय चुनाव। हालांकि, राजद ने 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं उसमें यादव उम्मीदवार आठ जबकि अल्पसंख्यक दो हैं।

लालसा की वजह से छोड़ी पार्टी

हालांकि पार्टी मानती है कुछ नेता जिन्होंने पार्टी छोड़ी इसकी वजह उनकी निजी लालसा रही है। राजद के पूर्व नेता मो. तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज चुनाव लड़ना चाहते थे और पार्टी ने उनके भाई शाहनवाज को टिकट दे दिया। पार्टी के पूर्व साथी शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव ठुकरा चुकी हैं।

अशफाक करीम कटिहार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे। टिकट नहीं मिला तो जदयू में चले गए। इन मुस्लिम नेताओं में अब यादव नेता भी शामिल हो गए हैं। नवादा से टिकट नहीं मिला तो राजवल्लभ के भाई विनोद यादव ने पार्टी छोड़ दी। वृषिण पटेल भी उम्मीदवारी चाहते थे।

देवेंद्र यादव ने अपनाए बागी तेवर

अब पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र यादव ने भी बागी तेवर अपना लिए हैं। एक दो और नेता हैं जो पार्टी छोड़ने को तैयार बैठे हैं, लेकिन बड़ी बात है कि कुछ वरिष्ठ नेताओं ने यदि पार्टी को अलविदा कहा है तो राजद में नए नेताओं की आमद भी हुई है।

ऐसे नेताओं में जदयू छोड़ साथ आने वाले नेता ज्यादा हैं। मधुबनी से राजद प्रत्याशी अली अशरफ फातमी जदयू से राजद में आए हैं। बीमा भारती जो पूर्णिया से लड़ रही हैं वे भी जदयू से आई हैं। औरंगाबाद से चुनाव मैदान में डटे अभय सिंह कुशवाहा जदयू से आए हैं। वैशाली उम्मीदवार विजय शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला 2005 में लोजपा के सिंबल पर चुनाव जीते थे। अब राजद से लड़ रहे हैं।

नवादा प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा निर्दलीय से राजद उम्मीदवार बनने में सफल रहे। मुंगेर से चुनाव लड़ रही अनीता देवी, अर्चना रविदास जमुई से मधेपुरा से चुनाव सिंबल प्राप्त करने वाले प्रो. कुमार चंद्रदीप राजद में आमद ही हैं।

ये भी पढ़ें- KK Pathak: अपनी मर्जी के मालिक केके पाठक! गवर्नर ऑफिस में नहीं हुए हाजिर, राज्यपाल लेंगे एक्शन?

ये भी पढ़ें- PM Modi Security: पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर अलर्ट, बिहार की इस 'हॉट सीट' पर करेंगे जनसभा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.