Bihar Politics: भोजपुर की 3 सीटों पर बागी, मुजफ्फरपुर-गया में भी बगावत; एनडीए और महागठबंधन में खलबली!
बिहार की राजनीति में चुनावों को लेकर सरगर्मी तेज है। भोजपुर में तीन सीटों पर बागी उम्मीदवारों के उतरने से एनडीए और महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुजफ्फरपुर और गया में भी असंतोष है। टिकट बंटवारे से नाराज नेता बगावत पर उतर आए हैं, जिससे गठबंधनों में तनाव है। पार्टियां डैमेज कंट्रोल में जुटी हैं।

भोजपुर की 3 सीटों पर बागी, मुजफ्फरपुर-गया में भी बगावत
जागरण टीम, पटना। भोजपुर जिले की सात में से तीन ऐसी सीटें हैं, जहां बागी दलीय प्रत्याशियों की राह का कांटा बने हुए हैं। बड़हरा में बागी एनडीए और महागठबंधन दोनों को चुनौती दे रहे हैं। यहां भाजपा से राघवेंद्र प्रताप सिंह चुनाव मैदान में हैं तो वहीं भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सूर्यभान सिंह निर्दलीय चुनाव में उतर गए हैं। पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया है।
यहां से राजद प्रत्याशी राम बाबू सिंह के सामने भी पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक सरोज यादव समस्या बने हुए हैं और समीकरण में सेंध लगा रहे हैं। यहीं से राजद के टिकट के लिए प्रयासरत रहे बीडी सिंह मैदान में निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं।
गया जिला में बागी राजग और राजद दोनों पर असर डालते दिख रहे हैं। यहां के दस विधानसभा क्षेत्रों के बोधगया और शेरघाटी में दो-दो बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। बोधगया में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) से नाता तोड़कर जन सुराज पार्टी (जसुपा) और एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।
सिवान जिला के दरौली में भाजपा के तीन बागी हैं। जिला प्रवक्ता मनोज कुमार राम सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं अंतिम दिन भाजपा उपाध्यक्ष उषा बैठा तथा पूनम देवी का नामांकन रद कर दिया गया है।
रोहतास जिला की तीन सीटों पर बगावत की स्थिति है। विधायक रह चुके तीन लोग ताल ठोके हुए हैं, जो बड़े फैक्टर सिद्ध हो सकते हैं। वैशाली की दो सीटों (महुआ और महनार) में बागी उम्मीदवारों ने चुनाव को रोचक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है।
बेगूसराय जिला के सातों विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के एक-एक यानी सात बागी उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिए, अब 73 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं। बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के दो घटक दल भाकपा व कांग्रेस आमने-सामने हैं।
संदेश में राजद को अपनों से चुनौती मिल रही है। विधायक किरण देवी के पुत्र दीपू सिंह राजद प्रत्याशी हैं और उनके स्वजातीय मुकेश यादव भी मैदान में खड़े हैं।
जगदीशपुर में भी राजद के सामने अपनों की चुनौती है। यहां से वर्तमान विधायक के पुत्र किशोर कुणाल को राजद ने प्रत्याशी बनाया है। पार्टी के टिकट के लिए पिछले दो वर्षों से प्रयासरत राजीव रंजन उर्फ पिंकू भइया भी मैदान में हैं।
चेरिया बरियारपुर सीट पर राजद के बागी रामसखा महतो हैं। यहां राजद ने सुशील सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। उनके सामने जदयू से पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के बेटे अभिषेक उर्फ न्यूटन और जसुपा से डॉ. मृत्युंजय कुमार हैं।
जहानाबाद में हम के राष्ट्रीय सचिव रितेश कुमार उर्फ चुन्नु शर्मा बागी होकर निर्दलीय मैदान में कूद गए हैं। हम के ही प्रदेश संगठन प्रभारी राजेश रंजन भी बागी होकर घोसी विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। दोनों को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने निष्कासित कर दिया है।
महुआ से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप जनशक्ति जनता दल से चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार जदयू उम्मीदवार रहीं डॉ. आसमा परवीन टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।
महनार में टिकट की आस लगाए राजद के जिला प्रधान महासचिव संजय कुमार राय अंतत: निर्दलीय मैदान में आ गए। यहां से राजद ने पिछली बार लोजपा से लड़ चुके ईं. रविंद्र कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। जदयू से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा मैदान में हैं।
सासाराम में जदयू से टिकट कटने पर पूर्व विधायक अशोक कुमार बसपा से चुनाव मैदान में हैं। यहां एनडीए समर्थित राष्ट्रीय लोक मोर्चा से उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा मैदान में हैं।
दिनारा में जदयू से बेटिकट हुए पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यहां एनडीए समर्थित रालोमो से आलोक कुमार सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।
छपरा से भाजपा से टिकट के लिए प्रयास कर चुकी राखी गुप्ता बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। यहां से भाजपा के दूसरे बागी राणा यशवंत सिंह भी निर्दलीय मैदान में हैं।
बोधगया में लोजपा और राजद के बीच मुकाबला है। हम से नाता तोड़ लक्ष्मण मांझी जसुपा से मैदान में खड़े हैं।
मुजफ्फरपुर जिले की तीन सीटों पर बागी मैदान में हैं। पारू से चार बार लगातार विधायक रहे भाजपा के अशोक कुमार सिंह टिकट कटने पर निर्दलीय खड़े हैं। यहां राजपूत वोटरों की संख्या महत्वपूर्ण है। इस कारण उनके बगावती तेवर से एनडीए को कड़ी चुनौती मिल रही। अशोक सिंह की अन्य मतदाताओं पर भी पकड़ है।
कुढ़नी सीट पर पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता के सामने भाजपा के बागी धर्मेंद्र कुमार हैं। वैश्य वोटरों का बिखराव रोकने के लिए भाजपा प्रयास कर रही है। धर्मेंद्र वैश्य हैं। वहीं, गायघाट में भाजपा नेता अशोक सिंह जसुपा से मैदान में हैं। भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। गायघाट में अगर अशोक सिंह राजपूत मत काटते हैं तो यहां भी भाजपा को नुकसान होगा।
पूर्वी चंपारण की रक्सौल सीट पर भाजपा से प्रमोद कुमार सिन्हा हैं। टिकट नहीं मिलने से श्याम बिहारी प्रसाद कांग्रेस व कपिलदेव प्रसाद उर्फ भुवन पटेल जसुपा से खड़े हैं। पहले दोनों जदयू में थे, इसलिए इन्हें संगठन का सबकुछ पता है। श्याम बिहारी प्रसाद व्यवसायी वर्ग में मजबूत पकड़ रखते हैं। वहीं, कपिलदेव प्रसाद उर्फ भुवन पटले सभी वर्गों में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।
मधुबनी की बेनीपट्टी सीट से भाजपा का टिकट लेने के रेस में चिकित्सा प्रकोष्ठ के राज्य संयोजक डॉ. बी. झा मृणाल थे। भाजपा ने विधायक विनोद नारायण झा को ही उम्मीदवार बनाया। इससे नाराज मृणाल निर्दलीय लड़ रहे हैं। हरलाखी में कांग्रेस नेता मो. शब्बीर निर्दलीय लड़ रहे हैं। 2015 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया था। 2020 में निर्दलीय लड़े और महागठबंधन के उम्मीदवार रामनरेश पांडेय की हार में भूमिका निभाई। यहां जदयू से विधायक सुधांशु शेखर और भाकपा से राकेश पांडेय खड़े हैं।
शिवहर से दो बार विधायक रहे मो. शरफुद्दीन जदयू से टिकट नहीं मिलने के कारण बागी हो गए है। वे बसपा से मैदान में हैं। मैदान में उनकी उपस्थिति असर राजद के वोट बैंक पर भी पड़ता दिख रहा है। जदयू ने वैश्य समाज की डॉ. श्वेता को मैदान में उतारा है। यहां वैश्यों की संख्या अच्छी-खासी है। राजद से पूर्व मंत्री रघुनाथ झा के पौत्र नवनीत कुमार हैं।
सीतामढ़ी जिले की परिहार सीट से टिकट नहीं मिलने पर राजद से बगावत कर रितु जायसवाल निर्दलीय मैदान में हैं। राजद ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की बहू डॉ. स्मिता पूर्वे प्रत्याशी बनाया है। रितु शिवहर से राजद के टिकट से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। क्षेत्र में वे लगातार सक्रिय रहती हैं। स्मिता पूर्वे और रितु जायसवाल दोनों वैश्य समाज से हैं, वहीं भाजपा की गायत्री देवी यादव जाति से हैं।
दरभंगा जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस से ऋषि मिश्रा मैदान में हैं। यहां पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के मशकूर अहमद उस्मानी इस बार निर्दलीय खड़े हैं। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी है। इसके अलावा जाले प्रखंड के कांग्रेस व राजद के अध्यक्ष एवं प्रमुख कार्यकर्ताओं का समर्थन उस्मानी को मिल रहा है।
पश्चिम चंपारण की सिकटा सीट से जदयू के पूर्व मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, उन्होंने चुनाव की घोषणा होने से तीन माह पूर्व ही निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर दी थी। यहां लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं, जिसे ये प्रभावित कर सकते हैं। इस आधार पर वे एनडीए और महागठबंधन के वोट में भी सेंधमारी कर रहे हैं। जदयू ने यहां समृद्ध वर्मा व भाकपा-माले ने वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतारा है।
जमालपुर सीट पर चार बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री शैलेश कुमार की जगह जदयू के जिलाध्यक्ष नचिकेता मंडल को पार्टी ने टिकट दिया है। टिकट नहीं मिलने से नाराज शैलेश निर्दलीय मैदान में है। जदयू ने उन्हें पार्टी से भी निलंबित कर दिया है।
सूर्यगढ़ा से लोजपा (आर) के बागी रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। 2020 में वे लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और 44 हजार से अधिक वोट लाए थे। इस कारण जदयू के रामानंद मंडल को हार का सामना करना पड़ा था। यहां मुकाबला राजद के प्रेम सागर चौधरी, जदयू के रामानंद मंडल और निर्दलीय रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह के बीच है।
बांका से राजद के बागी मु. जुम्मन निर्दलीय चुनाव मैदान में है। महागठबंधन के लिए परेशानी है। यहां से ही भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य कौशल सिंह जसुपा उम्मीदवार हैं। एनडीए के लिए परेशानी है। बेलहर सीट से राजद महासचिव मिठन यादव निर्दलीय मैदान में है। महागठबंधन का वोट काट सकते हैं।
नरपतगंज से राजद के पूर्व विधायक अनिल यादव टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में है। राजद से पूर्व जिलाध्यक्ष मनीष यादव प्रत्याशी हैं। अनिल यादव राजद के कैडर वोट में सेंधमारी कर सकते हैं। यहां भाजपा से पूर्व विधायक देवंती यादव चुनाव मैदान में हैं। भाजपा से चार बार विधायक रहे जर्नादन यादव जसुपा से उम्मीदवार हैं।
कसबा सीट एनडीए में लोजपा (आर) के खाते में गई है, जहां से नितेश कुमार सिंह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, पिछली बार हम से उम्मीदवार रहे राजेंद्र यादव इस बार निर्दलीय मैदान में हैं। भाजपा के पूर्व विधायक प्रदीप दास भी बागी बनकर चुनाव लड़ रहे हैं। महागठबंधन में कांग्रेस ने इरफान आलम को टिकट दिया, जिससे नाराज अफाक आलम निर्दलीय उतर आए हैं। यहां मुकाबला बहुकोणीय है।
मधेपुरा सीट पर राजद के बागी प्रणव प्रकाश की सक्रियता ने राजद प्रत्याशी चंद्रशेखर की चिंता बढ़ा दी है। सिंहेश्वर (सुरक्षित) सीट पर भी बागियों ने समीकरण बिगाड़ दिए हैं। यहां राजद के बागी वीरेंद्र शर्मा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की बागी मंजू देवी मैदान में हैं। वीरेंद्र शर्मा जहां राजद प्रत्याशी चंद्रहास चौपाल के लिए चुनौती बने हैं, वहीं मंजू देवी जदयू प्रत्याशी रमेश ऋषिदेव के वोट बैंक में सेंध लगा रही हैं।
कटिहार सीट पर महागठबंधन ने वीआईपी से सौरभ अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन राजद के पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रकाश महतो के निर्दलीय उतरने से समीकरण बिगड़ गए हैं।
कदवा सीट पर एनडीए ने जदयू के पूर्व सांसद दुलालचंद्र गोस्वामी पर भरोसा जताया है, लेकिन जदयू के बागी हिमराज सिंह उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
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