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    Bihar Bhumi: नीतीश सरकार ने जमीन मालिकों को दी खुशखबरी, महज 40 रुपये में हो जाएगा ये जरूरी काम

    Updated: Thu, 06 Feb 2025 03:30 PM (IST)

    बिहार के वसुधा केंद्रों पर भी दस्तावेजों की अभिप्रमाणित प्रति प्राप्त की जा सकेगी। इसके लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा। साथ ही राजस्व न्यायालय में वाद दायर करने के लिए भी वसुधा केंद्रों पर आवेदन किया जा सकता है। इससे लोगों को काफी सुविधा होगी और उन्हें ज्यादा शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इससे संबंधित एक पत्र राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव ने समाहर्ताओं को लिखा है।

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    नीतीश सरकार ने जमीन मालिकों को दी खुशखबरी, महज 40 रुपये में हो जाएगा ये जरूरी काम

    जागरण टीम, पटना/मुजफ्फरपुर। अब निर्धारित शुल्क का भुगतान कर भू अभिलेख पोर्टल (Bihar Bhumi Portal) से दस्तावेजों की अभिप्रमाणित प्रति प्राप्त की जा सकती है। साथ ही राजस्व न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता है। इससे संबंधित एक पत्र राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सोमवार को सभी समाहर्ताओं को लिखा है।

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    राजस्व न्यायालय में वाद दायर करने के लिए 40 रुपये प्रति आवेदन शुल्क का भुगतान किया जाना है। भू अभिलेख पोर्टल से अभिप्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए प्रति पृष्ठ 20 रुपया देना होगा। इसमें जीएसटी एवं कर अलग से देय होगा।

    वसुधा केंद्रों पर मिलेगी रैयतों को नई सुविधा

    जय सिंह ने कहा कि सभी वसुधा केंद्रों पर रैयतों को ये नई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। पत्र में कहा गया है कि सीएसपी संचालकों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाए।

    राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि वसुधा केन्द्र पंचायत स्तर पर होने के कारण लोगों की पहुंच में हैं। विभाग इसके जरिए कई ऑनलाइन सेवाएं पहले से ही उपलब्ध करा रहा है। अब इसमें दो नई सेवाओं को जोड़ने से ग्रामीण रैयतों को सुविधा होगी। ज्यादा शुल्क नहीं देना पड़ेगा।

    मालूम हो कि वसुधा केंद्रों में राजस्व विभाग की सभी ऑनलाइन सेवाओं के लिए दर निर्धारित किया गया है। पंजी-दो देखने के लिए 10 रुपये प्रति जमाबंदी एवं पंजी देखने के साथ प्रति जमाबंदी ऑनलाइन भुगतान के लिए 20 रुपये का भुगतान लिया जाता है।

    दाखिल-खारिज आवेदन जमा करने का शुल्क 40 रुपया प्रति आवेदन और भू-मापी हेतु आवेदन शुल्क भी 40 रुपया प्रति आवेदन तय है।

    राज्य में 49 लाख जमाबंदी से नहीं मिल रहे लगान

    प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान लगान रसीद जमा नहीं कर रहे हैं। विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है कि राज्य में 49 लाख जमाबंदी में अंतिम लगान का विवरण दर्ज नहीं है। वहीं, वित्तीय वर्ष में लक्ष्य छह सौ करोड़ के विरुद्ध अब तक महज 296 करोड़ रुपये राजस्व की वसूली ही हो सकी है। वित्तीय वर्ष समाप्त हाेने में अब करीब डेढ़ माह का समय ही बचा है।

    इतनी कम राजस्व वसूली को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कड़ा संज्ञान लिया है। विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी जिले के समाहर्ता को पत्र लिखा है। उन्होंने जागरूकता बढ़ाने हुए राजस्व वसूली कराने को कहा है।

    सचिव ने पत्र में लिखा है कि राज्य में महज 29 प्रतिशत जमाबंदी से ही राशि की वसूली हुई है, जबकि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में लगान के लिए अभियान चलाने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद यह स्थिति है। सचिव ने सीएससी से लेकर रैयतों तक जागरूकता अभियान चलाने और राजस्व संग्रह के लिए कहा है।

    सरकारी जमीन की जमाबंदी में विभाग लापरवाह

    राज्य में जमीन के सर्वे का काम शुरू है। इसके बावजूद अपनी जमीन की जमाबंदी कराने में विभाग लापरवाह हैं। योजनाओं और परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की गई जमीन की जमाबंदी भी नहीं कराई गई है। इसे लेकर चकबंदी निदेशक ने नाराजगी जताई है।

    सभी प्रमंडलीय आयुक्त और समाहर्ता को जारी पत्र में निदेशक राकेश कुमार ने लिखा है कि पटना जैसे जिले में भू-अर्जन और विभागों के नाम 28 मामलों में जमीन की जमाबंदी कराने की रिपोर्ट दी गई है। जबकि इस जिले में भू-अर्जन के इससे कहीं अधिक मामले हैं।

    पूरे राज्य में इस तरह के 1250 मामले हैं। इनमें से महज एक की जमाबंदी संबंधित विभाग के नाम से कराई गई है। यह बहुत ही गंभीर स्थिति है। उन्होंने अधिग्रहण की गई जमीन की जमाबंदी को लेकर गहन छानबीन करने का आग्रह किया है।

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