Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    HBYC: श‍िशुओं के लिए बिहार के 38 जिलों में शुरू होगी होम बेस्‍ड केयर सुविधा, क्‍या है ये योजना और इसका फायदा?

    By Sunil Raj Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Tue, 30 Dec 2025 02:49 PM (IST)

    बिहार में होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड (HBYC) कार्यक्रम का दायरा अब सभी 38 जिलों तक बढ़ाया जाएगा। यह योजना बच्चों को निमोनिया, डायरिया और कुपोषण जैसी ...और पढ़ें

    Hero Image

    तय त‍िथ‍ि पर घर जाकर श‍िशु का सेहत जांचती हैं आशा। सांकेत‍िक तस्‍वीर

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के 13 आकांक्षी जिलों में शुरू किए गए होम बेस्ड केयर का दायरा आने वाले दिनों में और बढ़ाया जाएगा।

    पहले चरण में 13 आकांक्षी जिलों के अलावा स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर 10 और जिलों में इनका विस्तार किया गया था। अब इसे बढ़ाकर सभी 38 जिलों में करने की योजना है। 

    स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बच्चों को न्यूमोनिया, डायरिया और कुपोषण जैसी बीमारियों से बचाव के लिए गृह आधारित छोटे बच्चों की देखभाल (होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड-HBYC) कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

    फिलहाल यह योजना 23 जिलों में कार्यान्वित है। कार्यक्रम सफलता पूर्वक चले इसके लिए 63,735 आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षत भी किया गया है। योजना के दायरे में तीन, छह, नौ महीने के बच्चों के साथ ही एक साल और डेढ़ साल के बच्चे आते हैं।

    इस योजना को प्रारंभ करने का उद्देश्य शिशु और छोटे बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाना, पोषण इंडिकेटर्स का सुधार (खासकर पोषण, पूरक आहार और टीकाकरण), माताओं की देखभाल करने वालों की जागरूकता में वृद्धि समग्र विकास में सुधार शामिल है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिलहाल जिन 13 आकांक्षी जिले में यह योजना चल रही है वे हैं गया, जमुई , कटिहार, खगडिय़ा , मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्णिया, शेखपुरा, अररिया, औरंगाबाद, बांका , बेगूसराय और सीतामढ़ी।

    जबकि प्रदेश सरकार के स्तर पर मधुबनी, सहरसा, शिवहर, जहानाबाद, अरवल और भोजपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, किशनगंज, मधेपुरा में भी यह योजना चल रही है। आने वाले दिनों में बाकी जिलों में योजना को विस्तार दिया जाएगा।

    क्‍या है HBYC

    नवजात शि‍शुओं के लिए स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय तथा बाल विकास मंत्रालय की संयुक्‍त पहल नवजात शि‍शु गृह देखभाल कार्यक्रम चलाया जा रहा है। 

    प्रसव के बाद अस्‍पतालों में मां एवं बच्‍चे का ख्‍याल रखा जाता है। गृह प्रसव के मामले में शिशु की विशेष निगरानी की जरूरत होती है। क्‍योंकि किसी भी श‍िशु के लिए शुरुआती 42 दिन काफी अहम होते हैं।

    इसी अवध‍ि में अधिसंख्‍य बच्‍चों को निमोनिया,हाइपोथर्मियां, चमकी, डायरिया, सांस रुकने जैसी समस्‍या होती है। संस्‍थागत या गृह प्रसव की स्‍थ‍ित‍ि में आशा को 42 द‍िनों तक क्रमश: छह एवं सात बार गृह भ्रमण करना है। 

    चूंक‍ि 42 दिन के बाद आशा का घर जाकर देखभाल करना खत्‍म हो जाता है। इसको देखते हुए 3 से 15 महीने के बाद अति‍रिक्‍त गृह भ्रमण करना है।

    एचबीवाइसी के तहत दो-तीन महीने की उम्र से पांच बार अत‍िरिक्‍त गृह भ्रमण करना है। वे त्रैमासिक आधार पर 3, 6, 9, 12 एवं 15वें महीने गृह भ्रमण करेंगी।  

    इसका लक्ष्‍य श‍िशु का बेहतर पोषण को बढ़ावा देना है। इसके तहत जन्‍म के एक घंटे के भीतर स्‍तनपान शुरू कराने, छह माह तक केवल स्‍तनपान, इसके बाद पूरक आहार, आयु के अनुसार टीकाकरण समेत अन्‍य उचित देखभाल के तहत मृत्‍यु दर में कमी लाना है।