Bihar: 'मेरा जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ...', बिहार के राज्यपाल ने अचानक क्यों कह दी ऐसी बात
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आज पटना पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से वार्ता की। इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि मेरा जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ और मेरी आस्था मुस्लिम परिवार में है। लेकिन सार्वजनिक जीवन में चाहे मैं संसद सदस्य मंत्री या राज्यपाल के रूप में रहूं मुझे भारत के नागरिक के रूप में देखा जाता है किसी विशिष्ट समुदाय के सदस्य के रूप में नहीं।

एजेंसी, (पीटीआई) पटना। बिहार के राज्यपाल आज पटना पहुंचे। पटना पहुंच कर उन्होंने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। पटना में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कोई भी ऐसा काम जिससे यह चेतना बढ़े कि मैं इस कम्यूनिटी में पैदा हुआ हूं, इस कास्ट में पैदा हुआ हूं। इससे आगे चलकर समाज में तनाव बढ़ते हैं।
इस दौरान पत्रकार ने पूछा कि जो लोग आपके मुस्लिम होने को लेकर चर्चा करते हैं क्या आपको उससे दुख होता है? इस सवाल पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैंने कहा कि 'जाति चेतना' उस समुदाय या जाति के प्रति जागरूकता है जिसमें मैं पैदा हुआ हूं...
उन्होंने आगे बताया कि जबकि मेरा जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ और मेरी आस्था मुस्लिम परिवार में है, लेकिन सार्वजनिक जीवन में, चाहे मैं संसद सदस्य, मंत्री या राज्यपाल के रूप में रहूं, मुझे भारत के नागरिक के रूप में देखा जाता है, किसी विशिष्ट समुदाय के सदस्य के रूप में नहीं।
इसलिए मैं जिम्मेदारियों को पूरा करते समय अपने समुदाय और जाति पर ध्यान नहीं देता हूं।
सात फरवरी को महाकुंभ पहुंचे थे बिहार के राज्यपाल
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान 7 फरवरी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि भारत की संस्कृति का सनातन आदर्श एक आत्मता है।
उन्होंने कहा कि अब तक 40 करोड़ लोग यहां आ चुके हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे देखना किसी सौभाग्य से कम नहीं। वहीं महाकुंभ पहुंचे बिहार के राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को संगम भ्रमण के दौरान भारत की सनातन संस्कृति को महान बताया।
राज्यपाल ने कहा कि यहां सारे भेदभाव खत्म हो जाते हैं। हमारी संस्कृति कहती है कि किसी भी व्यक्ति को उसके दिव्य रूप में देखों। मानव ही माधव का रूप है और यहां ये सब नज़र आता है।
महाकुंभ पहुंचकर राज्यपाल ने कहा था कि भारत की सनातन संस्कृति का मूल आदर्श एकात्मता है, जहां सभी भेद समाप्त हो जाते हैं। यहां मौजूद लोग एक-दूसरे को भले ही न जानते हों लेकिन फिर भी सब एकजुट होकर इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।