Maha Kumbh 2025: प्रयागराज आकर क्या बोले बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान? महाकुंभ में बोटिंग का लिया आनंद
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि भारत की संस्कृति का सनातन आदर्श एक आत्मता है। यहां सारे भेदभाव खत्म हो जाते हैं। हमारी संस्कृति कहती है कि किसी भी व्यक्ति को उसके दिव्य रूप में देखों। मानव ही माधव का रूप है और यहां ये सब नज़र आता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि भारत की संस्कृति का सनातन आदर्श एक आत्मता है। यहां सारे भेदभाव खत्म हो जाते हैं। हमारी संस्कृति कहती है कि किसी भी व्यक्ति को उसके दिव्य रूप में देखों। मानव ही माधव का रूप है और यहां ये सब नज़र आता है।
#WATCH प्रयागराज: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, "हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि भारत की संस्कृति का सनातन आदर्श एक आत्मता है... यहां सारे भेदभाव खत्म हो जाते हैं। हमारी संस्कृति कहती है कि किसी भी व्यक्ति को उसके दिव्य रूप में देखों। मानव ही माधव का रूप है और यहां ये… https://t.co/3TKftwMu31 pic.twitter.com/Kd4DAQvmfI
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 7, 2025
महाकुंभ में दिख रही सनातन संस्कृति की एकता
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने त्रिवेणी में पवित्र स्नान किया और इस अनुभव को दिव्य और अविस्मरणीय बताया। उन्होंने कहा, "यह एक अद्भुत, दिव्य, आश्चर्यजनक और अविस्मरणीय अनुभव था। इस महाकुंभ का प्रबंधन भी अविश्वसनीय है। हर दृष्टिकोण से यह आयोजन शानदार है।
उन्होंने आगे कहा, "अब तक 40 करोड़ लोग यहां आ चुके हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे देखना किसी सौभाग्य से कम नहीं। वहीं महाकुंभ पहुंचे बिहार के राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को संगम भ्रमण के दौरान भारत की सनातन संस्कृति को महान बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में सनातन संस्कृति की एकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
अपने प्रयागराज दौरे के दूसरे दिन आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, भारत की सनातन संस्कृति का मूल आदर्श एकात्मता है, जहां सभी भेद समाप्त हो जाते हैं। हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि यदि हम किसी भी मानव को उनके दिव्य रूप में देखें, तो हमें यह अहसास होगा कि "मानव ही माधव का स्वरूप है"।
राज्यपाल खान ने कहा कि महाकुंभ में आकर यह स्पष्ट होता है कि भारत की संस्कृति और परंपरा मानवता को जोड़ने का कार्य करती है। यहां मौजूद लोग एक-दूसरे को भले ही न जानते हों लेकिन फिर भी सब एकजुट होकर इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विरासत, आदर्श और मूल्यों को जीवंत रखना आवश्यक है। यही वे मूल्य हैं, जो हमारे समाज को एकसूत्र में बांधते हैं और समरसता की भावना को मजबूत करते हैं।
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