Bihar Politics: 'सरकार मतदाताओं को चुन रही', बिहार वोटर सूची संशोधन पर बोले तेजस्वी यादव
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सियासत गरमाई हुई है। तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग और एनडीए सरकार पर मतदाताओं को खत्म करने का आरोप लगाया है साथ ही चुनावों के बहिष्कार पर विचार करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है और एनडीए लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

एजेंसी, पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) के पहले वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) को लेकर सियासी पारा हाई है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने चुनाव आयोग और एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला है।
बुधवार को पटना में न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने सत्तारूढ़ गठबंधन (NDA) पर वास्तविक मतदाताओं को खत्म करने का आरोप लगाया। इसी के साथ कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रहा है।
तेजस्वी यादव ने यह भी संकेत दिया कि अगर स्थिति जारी रही तो विपक्ष आगामी चुनावों का बहिष्कार करने पर विचार कर सकता है।
साक्षात्कार के मुख्य अंश:
सवाल: बिहार विधानसभा में आज हंगामा हुआ। इसकी शुरुआत कैसे हुई?
तेजस्वी यादव: एक बहुत ही गंभीर मुद्दे पर चर्चा हो रही थी। बिहार लोकतंत्र का उद्गम स्थल है, और यहीं पर इसे खत्म करने की कोशिश की जा रही है। एनडीए के सदस्य एसआईआर पर कोई बहस नहीं चाहते हैं। हमें बोलने की अनुमति भी दी गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीच में ही टोक दिया, इसलिए मैं बैठ गया। जब उन्होंने बात की, तो यह स्पष्ट था कि उन्हें पता ही नहीं था कि चर्चा एसआईआर के बारे में है। उन्होंने विषय से हटकर बोलना शुरू कर दिया। बाद में जब स्पीकर ने हमें समय दिया, तो एनडीए के मंत्री हमें बार-बार टोकते रहे। वे नहीं चाहते कि SIR का सच सामने आए।
सवाल: क्या आपको लगता है कि बिहार चुनाव में किसी तरह की हेराफेरी हो रही है?
तेजस्वी यादव: बिल्कुल ऐसा ही लगता है। चुनाव आयोग ने अभी तक प्रेस कॉन्फ्रेंस तक नहीं की है, जबकि चुनाव अभियान चल रहा है। पहले मतदाता सरकार चुनते थे, अब सरकार मतदाताओं को चुन रही है। हमारे पास अदालत जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि हमारे सवालों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
चुनाव आयोग सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़े दिखा रहा है। कह रहा है कि 96 प्रतिशत या 98 प्रतिशत संशोधन हो चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। यह अभियान पूरी तरह से फर्जी तरीके से चलाया जा रहा है। चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।
सवाल: क्या आप बिहार चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर रहे हैं?
तेजस्वी यादव: यह विकल्प जरूर विचाराधीन है। हम गठबंधन में इस पर चर्चा करेंगे और जनता की राय भी लेंगे। अगर भाजपा फर्जी सूची के आधार पर चुनाव लड़ना चाहती है, तो उसे समय सीमा बढ़ा दी जाए और सरकार चलाने दी जाए। अगर चुनाव में धांधली हो रही है तो चुनाव कराने का क्या मतलब है? यदि पूरी प्रक्रिया ही बेईमानीपूर्ण है तो लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं है।
सवाल: राहुल गांधी ने दूसरे राज्यों में भी चुनावी धांधली का आरोप लगाया है। क्या आप सहमत हैं?
तेजस्वी यादव: बिल्कुल। बिहार में एक ही भाजपा कार्यकर्ता के पते पर 70 मतदाता पंजीकृत थे। हमारे पास इस तरह की धांधली के सबूत हैं। चंडीगढ़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी अधिकारियों को फटकार लगाई थी। ये सब हर जगह हो रहा है।
सवाल: आप मानसून सत्र में एसआईआर पर पूरी चर्चा की मांग कर रहे हैं। यह इतना जरूरी क्यों है?
तेजस्वी यादव: हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं और अगर हमारे मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, तो हम किस काम के? अगर हम अपने ही मतदाताओं की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो विधानसभा का क्या मतलब है? सबसे पहले और सबसे जरूरी चर्चा इसी मुद्दे पर होनी चाहिए।
सवाल: कांग्रेस ने अभी तक सीट बंटवारे या आपको मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर समर्थन देने की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है। क्या स्थिति है?
तेजस्वी यादव: सब कुछ अंदर ही अंदर तय हो चुका है। हम जल्द ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए संयुक्त घोषणा करेंगे। अगले कुछ दिनों में सब कुछ साफ हो जाएगा।
सवाल: एनडीए आपकी पार्टी के पिछले शासन के दौरान "जंगल राज" का मुद्दा उठाता रहता है। आप इस पर क्या कहते हैं?
तेजस्वी यादव: उनके पास बात करने के लिए कोई वास्तविक मुद्दे नहीं हैं, न ही विकास का कोई रोडमैप। ये थके हुए नेता हैं, जिनकी कोई उपलब्धि नहीं है, बस अपनी कुर्सी बचाने में रुचि रखते हैं।
सवाल: नीतीश कुमार के बेटे निशांत के राजनीति में आने की संभावना पर आपकी क्या राय है?
तेजस्वी यादव: अगर वह आते हैं, तो ठीक है, लेकिन यह उनकी पार्टी को तय करना है। निशांत आना चाहते हैं या नीतीश कुमार उन्हें लाना चाहते हैं, या कोई उन्हें रोक रहा है... यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन सच कहें तो, यह नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव है, और जेडीयू टूटने के कगार पर है। समय ही बताएगा कि इसे कौन पुनर्जीवित कर सकता है।
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