Bihar Politics: 'मुझे नीतीश कुमार से कोई शिकायत नहीं...', तेजस्वी यादव के नए बयान से चढ़ा सियासी पारा
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सत्ता पक्ष को विधानसभा में हंगामे का जिम्मेदार ठहराया और मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से चल रही है और 55 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की और आंदोलन की चेतावनी दी।

राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा में बनी अप्रिय स्थिति के लिए पूर्णतया सत्ता पक्ष को दोषी ठहराते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मतदाता-सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर एक बार फिर प्रश्न उठाया। महागठबंधन के विधायकों के साथ बुधवार को प्रेस-वार्ता कर उन्होंने कहा कि विपक्ष के आग्रह पर एसआईआर पर विचार-विमर्श शुरू हुआ था, लेकिन सत्ता पक्ष के अनर्गल हस्तक्षेप से विधानसभा की कार्यवाही स्थगित हुई।
इस हस्तक्षेप के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री पर भी अंगुली उठाई, लेकिन उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर आक्रोश अधिक रहा। उन्हें खुराफाती और उछल-कूद करने वाला बताया। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को भी लपेटे में लिया और कहा कि बिहार की सरकार वस्तुत: दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से चल रही। बाद में उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर निर्वाचन आयोग से कुछ प्रश्न भी किया।
सत्ता पक्ष के रवैये से क्षुब्ध तेजस्वी ने विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव की बार-बार प्रशंसा की। उनका आभार जताया और कहा कि राजनीतिक इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है, जब सत्ता पक्ष के कारण विधानसभा की कार्यवाही स्थगित हुई। अध्यक्ष की अनुमति से मैं एसआईआर और निर्वाचन आयोग पर अपनी बता रख रहा था, लेकिन उस दौरान विजय सिन्हा और मंत्रीगण हल्की बातें करने लगे। वह सदन की मर्यादा के प्रतिकूल था।
भाई वीरेंद्र ने ठीक ही कहा कि सदन किसी के बाप का नहीं। ऐसा कहकर उन्होंने कोई गलती नहीं की। हमारे सूत्रों पर प्रश्न खड़ा करने वाले बताएं कि निर्वाचन आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में विदेशी और घुसपैठिये का उल्लेख क्यों नहीं है? केंद्र और राज्य में राजग की सरकार के दौरान अगर घुसपैठ की स्थिति बनी तो उत्तरदायी कौन है?
तेजस्वी ने कहा कि मैं एसआईआर पर बात कर रहा था और उसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दूसरी बातें करने लगे। उनकी स्थिति से मुझे सहानुभूति होती है, शिकायत नहीं। व्यर्थ की बातें तो विजय सिन्हा ने की। अध्यक्ष ने उन्हें फटकार भी लगाई। सत्ता पक्ष वस्तुत: एसआईआर के मुद्दे को भटकाना चाह रहा। निर्वाचन आयोग का प्रेस-नोट बता रहा कि 55 लाख से अधिक लोगों का नाम मतदाता-सूची से काटने का षड्यंत्र है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर हो रहा। प्रेस-वार्ता में आलोक मेहता, भाई वीरेंद्र, शक्ति सिंह यादव, एजाज अहमद आदि उपस्थित रहे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि सदन में स्वस्थ विमर्श आवश्यक है। बहुत प्रयास के बाद तेजस्वी को बोलने का अवसर मिला था, लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से हंसुआ के बियाह में खुरपी की बात होने लगी।
भाकपा-माले के महबूब आलम ने कहा कि एसआईआर तो पूरे देश में होना चाहिए, मात्र बिहार में क्यों। लक्ष्य तो सीमांचल में समुदाय विशेष के मतदाताओं का नाम काटना था, लेकिन अब उल्टा पड़ रहा। रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने वाले पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अनुसूचित जाति के बहुतायत मतदाता हैं। चहुंओर चिंता है।
माकपा के अजय कुमार ने कहा कि एसआईआर अप्रत्यक्ष रूप से एनआरसी है। नागरिकता की पहचान निर्वाचन आयोग का नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय का काम है। प्रश्न यह कि एसआईआर द्वारा कुछ लोगों का संदिग्ध नागरिकता की श्रेणी में तो नहीं डाल दिया जाएगा। भाकपा के सूर्यकांत पासवान ने बिहार से लगभग 40 प्रतिशत अप्रवासन है। एसआईआर नहीं रुका तो सदन के बाद सड़क पर आंदोलन होगा।
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