Updated: Sun, 21 Sep 2025 08:10 PM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव में दलित वोटों के लिए एनडीए और महागठबंधन में मुकाबला होगा। जीतन राम मांझी चिराग पासवान और राजेश राम खुद को दलितों का हितैषी बता रहे हैं। रविदास और पासवान जातियों का दलित वोटों में दबदबा है। एनडीए का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा आरक्षित सीटें जीतना है वहीं महागठबंधन भी सभी सीटें जीतने का दावा कर रहा है।
दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार दलित वोटों के लिए महासंग्राम मचेगा। एनडीए हो या फिर महागठबंधन, दोनों की नजर बिहार में 20 प्रतिशत दलित वोटों पर है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान तथा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के बीच अपने आप को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने के लिए होड़ मची है।
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वहीं, महागठबंधन में राजद और कांग्रेस से लेकर वाम दलों में दलित वोटों के लिए जंग छिड़ी है। बिहार में दलित वोटों में सबसे बड़ा हिस्सा रविदास और पासवान जाति का है।
ये दोनों जातियां राजनीति से लेकर सरकारी सेवाओं में आगे है। जबकि, मांझी (मुसहर) जाति राजनीति और सरकारी सेवाओं में काफी पीछे है। राज्य में पूरे दलित वोट में 31 प्रतिशत रविदास हैं, तो 30 प्रतिशत पासवान या दुसाध है, जबकि मुसहर या मांझी 14 प्रतिशत के करीब है।
किसमें कितना है दम
बिहार में अनुसूचित जाति के लिए 38 सीट आरक्षित है, जिसमें एनडीए के पास 21 और महागठबंधन के पास 17 सीटें हैं। इसका मतलब है कि भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के पास ही सबसे अधिक दलित विधायक हैं। देखा जाए तो भाजपा के पास नौ तो जदयू के पास आठ दलित विधायक हैं।
इस बार एनडीए का जोर उन आरक्षित सीटों को जीतने पर है, जो महागठबंधन के पास है। भाजपा के एक बड़े दलित नेता ने बताया कि आरक्षित 38 सीटों में से 17 ही ऐसी सीटें हैं, जहां एनडीए का विधायक नहीं है। इस बार कम से कम सभी 35 आरक्षित सीटों को जीतने का लक्ष्य है।
एनडीए में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के होने से मुसहर और पासवान जाति के वोटों का पूरा लाभ मिलेगा। एनडीए चुनाव में दलित वर्ग के अन्य जातियों को भी साधने के फार्मूले पर भी तेजी से काम कर रही है।
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक दलित नेता ने दावा किया कि महागठबंधन इस बार विधानसभा चुनाव में सभी आरक्षित सीटों को जीतेगा। कांग्रेस ने दलितों के सबसे बड़े हिस्से यानी रविदास समुदाय से आने वाले राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बना कर एक अलग ही दांव खेला है।
जाहिर है, इस बार दलित वोटों के ऊपर हर दल और हरेक गठबंधन निगाह गड़ाए हुए है। एनडीए के एक नेता ने बताया कि मांझी और चिराग ने एनडीए से डेढ़ दर्जन से ज्यादा आरक्षित सीटों की मांग रखी है, जिस पर एनडीए में काफी माथापच्ची होनी बाकी है।
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