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    Bihar News: बिहार में ड्रोन दिलाएगा कूड़े की समस्या से निजात, 45 नगर निकायों में होगा सर्वे

    बिहार में कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए ड्रोन की सहायता ली जाएगी। नगर विकास एवं आवास विभाग सभी 19 नगर निगम सहित 45 नगर निकायों में कचरे का ड्रोन सर्वे कराएग। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कचरे के ढेर के उपचार और निस्तारण किया जाएगा। कचरे के निस्तारण की जरूरत को ध्यान में रखते हुए प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाए जाएंगे।

    By Rajat Kumar Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 09 Feb 2025 10:32 AM (IST)
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    बिहार में ड्रोन की मदद से होगा कचरे का सर्वे

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी बड़े शहरी निकायों के डंपिंग प्वाइंट पर बने कचरे के पहाड़ (लिगेसी वेस्ट) का ड्रोन सर्वे किया जाएगा। नगर विकास एवं आवास विभाग सभी 19 नगर निगम सहित 45 नगर निकायों में कचरों के पहाड़ का सर्वे कराने का निर्णय लिया है।

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    इसको लेकर छह एजेंसियों का चयन करते हुए उनको जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कचरे के ढेर के उपचार और उसके निस्तारण को लेकर आवश्यक प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जाएंगे।

    ड्रोन से होगा सर्वे

    जानकारी के अनुसार, चयनित एजेंसी ड्रोन सर्वे के माध्यम से अपशिष्ट की मात्रा और उसके प्रकार का आकलन कर विभाग को रिपोर्ट देगी। इसमें देखा जाएगा कि अलग-अलग शहरों में किस तरह का कचरा अधिक जमा हो रहा है, उसी आधार पर वहां निस्तारण की व्यवस्था की जाएगी।

    इसको लेकर चयनित एजेंसी भी अपना सुझाव देगी। डंप साइट से रिसाइकल होने वाली सामग्रियों यथा प्लास्टिक आदि को निकाल कर उसका पुन: इस्तेमाल हो सकेगा, जबकि गीले कचरे का इस्तेमाल खाद बनाने आदि में किया जाएगा।

    पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, डंप साइटों पर वर्षों से फेंके जा रहे कचरों में जैविक, औद्योगिक और नष्ट न होने वाली सामग्रियों का मिश्रण होता है। लैंडफिल स्थल मिट्टी और भूजल के प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।

    संग्रहित कचरे में सीसा और पारा जैसे भारी पदार्थ आस-पास की मिट्टी और पानी में फैल जाता है। लैंडफिल साइटों से भोजन प्राप्त करते वाले पक्षी प्लास्टिक, एल्युमिनियम, जिप्सम और अन्य सामग्री निगल जाते हैं, जो घातक साबित हो सकते हैं।

    बीआइटी पटना परिसर में ड्रोन टेक्नोलॉजी की उपयोगिता और चुनौती पर कार्यशाला का आयोजन

    बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआइटी), पटना में शनिवार को कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग व सेंटर के ड्रोन टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस केंद्र ने ड्रोन की उपयोगिता और चुनौती पर कार्यशाला का आयोजन किया।

    आइआइटी कानपुर के एयरोनॉटिक्स विभाग के प्रो. डॉ. अभिषेक ने कहा कि भारत में ड्रोन की मांग सामान्य जनजीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए तेजी से बढ़ रही है।

    रूस इंडिया एलायंस के निदेशक झिडकोव एंड्री वादिमोविच ने ड्रोन की लागत कम करने में एडिटिव तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने दिखाया कि एडिटिव तकनीक का उपयोग करके परमाणु ऊर्जा रिएक्टर को भी कम लागत पर डिजाइन और निर्मित किया जा सकता है।

    एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग औद्योगिक उत्पादन में थ्रीडी प्रिंटिंग प्रभावी करने की प्रक्रिया है। यह बिना जोड़ों के और न्यूनतम पोस्ट प्रोसेसिंग के साथ सामग्री बनाने की अनुमति देती है। इसमें कई सामग्रियों का उपयोग किया जा सकता है, जिससे कम से कम अपशिष्ट और कम सामग्री से उत्पाद बनाना आसान हो जाता है।

    • कृषि विज्ञानी डॉ. जनार्दन ने खाद्यान्न की कमी की समस्या और स्मार्ट कृषि में ड्रोन की भूमिका को अहम बताया।
    • आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव मो. नदीमुल गफ्फार सिद्दीकी ने पुनर्वास तथा खाद्य व दवा की आपातकालीन आपूर्ति में ड्रोन के उपयोग की अनिवार्य आवश्यकता बताई।
    • बायोटेक्नोलॉजी के प्रो. रमाकांत पांडेय ने कहा कि ड्रोन न सिर्फ फसल रोग पहचान की पहचान करने में सक्षम है, बल्कि एआइ की मदद से उसका उपचार भी सहज तरीके से कर सकता है।
    • राजकुमार अरोड़ा ने कहा कि भविष्य में ड्रोन की मांग बढ़ने वाली है।

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