Alzheimer's Disease: भूलने की बीमारी को इग्नोर करना पड़ेगा महंगा! इन बातों का ध्यान रख डॉक्टर से करें कंसल्ट
बढ़ती उम्र के साथ भूलने की समस्या को स्वाभाविक समझना एक बड़ी भूल है। इस तरह की समस्या होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। यह डिमेंशिया के सबसे प्रचलित रूप अल्जाइमर रोग हो सकता है। देश की आबादी के 0.75 प्रतिशत यानी करीब एक करोड़ व्यक्ति अल्जाइमर से पीड़ित हैं। हालांकि यह एक सरकारी आंकड़ा है वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

जागरण संवाददाता, पटना: बढ़ती उम्र के साथ भूलने की समस्या डिमेंशिया का सबसे प्रचलित रूप अल्जाइमर रोग हो सकता है। बढ़ती उम्र के साथ कमजोर याददाश्त को स्वाभाविक मानकर अधिकतर लोग अस्पताल नहीं पहुंचते। अधिकतर रोगी गंभीर लक्षण उभरने पर ही अस्पताल पहुंचते हैं।
देश की आबादी के 0.75 प्रतिशत या 60 साल की उम्र से अधिक के 7.5 प्रतिशत यानी करीब एक करोड़ रोगी चिह्नित हैं, जो वास्तिक आंकड़ों से बहुत कम हैं।
पीएमसीएच के न्यूरो मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक सह एम्स पटना के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. गुंजन कुमार के अनुसार हर दिन ओपीडी में ऐसे चार से पांच मरीज आते हैं। बिहार में ऐसे रोगियों का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है, लेकिन यह देश के समतुल्य हो सकता है।
वहीं आनुवंशिक कारणों से अब युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, लेकिन अभी इनकी संख्या बहुत ही कम है। अधिकतर रोगी तब आते हैं, जब मरीज वे कपड़ों में यूरिन करना शुरू कर देते हैं और परिवार वालों की समस्याएं बढ़ जाती हैं, क्योंकि अल्जाइमर के अधिकतर रोगी अवसादग्रस्त होने के साथ बहुत चिड़चिड़े व गुस्सैल हो जाते हैं।
तुरंत की चीजें भूलने से होती शुरुआत
डा. गुंजन के अनुसार अल्जाइमर की शुरुआत तुरंत की चीजें जैसे कोई सामान रख कर भूल जाना, कहीं बात भूल जाने, बाजार जाकर भी खाली हाथ लौट आने से होती है।
धीरे-धीरे करीब 8 से 10 वर्ष में इसके गंभीर लक्षण सामने आते हैं और वह पुरानी यादों व ड्राइविंग जैसे अन्य कौशल भूलने लगता है। एक समय ऐसा आता है जब वह नित्यक्रिया भूल जाते हैं और कपड़े खराब करने लगते हैं।
बड़ा खतरा क्यों
इस न्यूरोलॉजिकल डिस्आर्डर में मस्तिष्क की कोशिकाएं कम होने लगती हैं। साथ ही मस्तिष्क के संदेश पहुंचाने वाले न्यूरान्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या उनमें प्रोटीन जमने से अवरोध आ जाता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार- उम्र, आनुवंशिक कारणों व जीवनशैली में हो रहे बदलावों से 2050 तक इसके रोगियों की संख्या तीन गुना हो जाएगी।
2020 में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैसेंट में प्रकाशित इंस्टीट्यूट फार हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूशन के अध्ययन के अनुसार 2050 तक दुनिया में 153 मिलियन अल्जाइमर रोगी होंगे।
अल्जाइमर के लक्षण
अल्जाइमर रोग में याददाश्त कमजोर हो जाती है। जैसे सामान रख कर भूलना, चेहरा व आवाज नहीं पहचानना, पैसे की गणना व लेनदेन में गड़बड़ी, बाथरूम की जगह रसोई जाना से लेकर रोग गंभीर होने पर पुरानी यादें, गाड़ी चलाना आदि। इसके साथ उनका गुस्सा व चिड़चिड़ापन बढ़ता जाता है। अधिकतर अल्जाइमर रोगी अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
इन उपायों से होगा सुधार
- कम उम्र से ही नियमित व्यायाम, सुपाच्य भोजन, ताजे-मौसमी फलों के सेवन की आदत डलवाएं।
- खुश रहें और आसपास का माहौल ऊर्जावान बनाने की कला विकसित करें।
- उम्र बढ़ने के साथ बीच बीच में बी-12 की जांच कराते रहें और डाक्टर की सलाह पर पूरक विटामिन-मिनरल लें।
- मानसिक व्यायाम के लिए पहेली हल करने समेत नई भाषा या कला आदि सीखें।
- शराब से दूर रहे और पूरी नींद लें। बीच-बीच में उपवास करने से कब्ज नहीं होता और अल्जाइमर की आशंका कम होती है।
- शुरुआत में इलाज कराने, परिवार के साथ देने से दवाओं व बिहेवियर थेरेपी से काफी सुधार होता है और इसे गंभीर होने की गति धीमी की जा सकती है।
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