स्वास्थ्य के लिए चुनौती, हर 140 लोगों में एक हेपेटाइटिस बी की चपेट में; जानिए बचाव के उपाय
हेपेटाइटिस बी संक्रमण बिहार में तेजी से फैल रहा है जिसमें 140 में से एक बच्चा या वयस्क प्रभावित है। स्वास्थ्य विभाग ने 2024-25 में 9.7 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जिसमें 6895 पॉजिटिव मिले। यह संक्रमण मां से बच्चे असुरक्षित यौन संबंध और दूषित रक्त से फैलता है। सरकार ने सुरक्षा उपायों जैसे स्वच्छ पानी और सुरक्षित चिकित्सा उपकरणों का उपयोग करने की सलाह दी है।

जागरण संवाददाता, पटना। लिवर को प्रभावित करने वाला हेपेटाइटिस बी जैसे खतरनाक वायरल संक्रमण का शिकंजा प्रदेश में कसता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अनुमान है कि प्रति 140 लोगों में से एक बच्चा या व्यस्क हेपेटाइटिस बी तो 225 में से एक हेपेटाइटिस की चपेट में है। स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2024-25 में जिन 9 लाख 72 हजार 521 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी उनमें से 6 हजार 895 पॉजिटिव मिले थे।
इसी दौरान 3 लाख 51 हजार 89 लोगों की हेपेटाइटिस सी की स्क्रीनिंग की गई और 1 हजार 561 संक्रमित मिले। लिवर रोग विशेषज्ञ पद्मश्री अलंकृत डॉ. विजय प्रकाश के अनुसार हेपेटाइटिस बी संक्रमण लंबे समय में तक बिना इलाज के रहने पर सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण बन सकता है। हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी व ई में से हेपेटाइटिस बी को सबसे खतरनाक माना जाता है।
इसका पता चलने पर भी क्रोनिक संक्रमण में जीवनभर एंटीवायरल दवाएं खानी पड़ती है। हेपेटाइटिस बी का संक्रमण सबसे ज्यादा मां से बच्चे को होता है। यही नहीं, हेपेटाइटिस बी खून चढ़ाने, इस्तेमाल सूई के प्रयोग, असुरक्षित यौन संबंध, टैटू बनवाने, नाक-कान छिदवाने, हेपेटाइटिस पीड़ित से उसके पार्टनर या घर में साथ रहने वालों को हो सकता है।
आइजीआइएमएस बना मॉडल उपचार केंद्र, सभी जिलों में उपचार व्यवस्था:
सभी प्रकार के हेपेटाइटिस की निशुल्क जांच, निदान एवं उपचार के लिए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान आइजीआइएमएस में आदर्श उपचार केंद्र स्थापित किया गया है। इसके अलावा आरएमआरआइ में राज्यस्तरीय प्रयोगशाला है।
वहीं, 35 जिलों एवं सभी मेडिकल कॉलेजों में एक-एक उपचार केंद्र एवं एक-एक जांच केंद्र स्थापित किया गया है। दरभंगा के बेनीपुर अनुमंडलीय अस्पताल में भी हेपेटाइटिस की जांच-दवा की मुफ्त सुविधा है।
जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका से पूरी सुरक्षा:
हेपेटाइटिस ए, सी, डी व ई उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। ऐसे में सरकार सबसे खतरनाक व जानलेवा हेपेटाइटिस बीच से सुरक्षा देने के लिए मुफ्त टीकाकरण करा रही है। इससे सुरक्षा जन्म के समय हेपेटाइटिस वैक्सीन देकर की जा सकती है।
थकावट, गहरे रंग की यूरिन, पीला मल, पेट में दर्द रहना, भूख खत्म होना, वजन में अप्रत्याशित कमी, त्वचा एवं आंखों में पीलापन इसके लक्षण है। गंभीर स्थिति में खून की उल्टी होती है। हेपेटाइटिस ए व ई दूषित जल व दूषित भोजन से हाेता है। हेपेटाइटिस बी, सी व डी संक्रमित रक्त एवं शरीर में मौजूद संक्रमित द्रवों से फैलते हैं।
हेपेटाइटिस से बचाव के उपाय:
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए कुछ ज़रूरी सावधानियाँ और उपाय अपनाए जा सकते हैं। हेपेटाइटिस मुख्यतः पाँच प्रकार का होता है: A, B, C, D और E। इनमें से A और E आमतौर पर संक्रमित पानी और भोजन से फैलते हैं, जबकि B, C और D खून और शारीरिक तरल पदार्थों से फैलते हैं।
हेपेटाइटिस से बचाव के उपाय:
- हमेशा उबला या फिल्टर शुद्ध पानी पिएं, बाहर का खुला खाना खाने से बचें।
- हेपेटाइटिस ए व बी के लिए सुरक्षित एवं प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध हैं। खासकर यदि जोखिम वाले क्षेत्रों में रहते या यात्रा करते हैं।
- संक्रमित सूइयों या ब्लड से बचाव के लिए इंजेक्शन, टैटू या पियर्सिंग के लिए हमेशा नए-साफ-सुथरे उपकरणों का उपयोग करें।
- केवल जांचे-परखे एवं लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक से ही रक्त चढ़वाएं।
- सुरक्षित यौन संबंध के लिए कंडोम का प्रयोग करें।
- हेपेटाइटिस संक्रमित के संपर्क में हों तो उनके टूथब्रश, रेजर साझा न करें, खून या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में नहीं आएं।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की हेपेटाइटिस बी की जांच एवं संक्रमण की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार कराएं, एवं स्वच्छ एवं ताजा भोजन करें।
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