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    बिहार के 7 जिलों में खुलेंगे 50 बेड के आयुष अस्पताल, स्वास्थ्य सेवाओं का होगा विस्तार

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 01:45 PM (IST)

    बिहार के सात जिलों में 50 बेड वाले आयुष अस्पताल खोले जाएंगे। इन अस्पतालों के खुलने से राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा और लोगों को आयुष चिकि ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, पटना। प्रदेश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। विभाग ने राज्य के सात जिलों, दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, गयाजी, सिवान, गोपालगंज और मोतिहारी में आयुष अस्पताल खोलने की तैयारी पूरी कर ली है।

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    इन जिलों में 50 बेड वाले अत्याधुनिक आयुष अस्पताल बनाए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली है और जल्द ही निर्माण प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।

    15 करोड़ रुपये की लागत से होगा निर्माण

    स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रत्येक आयुष अस्पताल के निर्माण पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इन अस्पतालों में आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी पद्धतियों के माध्यम से इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इससे ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों के मरीजों को सुलभ और किफायती इलाज मिल सकेगा।

    आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे अस्पताल

    प्रस्तावित आयुष अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी, औषधालय, पंचकर्म यूनिट, योग एवं ध्यान केंद्र, जांच कक्ष और आवश्यक चिकित्सकीय उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही प्रशिक्षित चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल कर्मियों की नियुक्तियां भी की जाएंगी, ताकि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिल सकें।

    स्वास्थ्य ढांचे को मिलेगी मजबूती

    स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इन अस्पतालों के शुरू होने से प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को नई मजबूती मिलेगी। खासकर जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, पुराने रोगों और मानसिक तनाव के इलाज में आयुष पद्धतियां कारगर साबित होंगी। इससे एलोपैथिक अस्पतालों पर बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकेगा।

    जल्द शुरू होगी निर्माण प्रक्रिया

    विभागीय अधिकारियों के अनुसार, अस्‍पतालों के लिए जमीन चिह्नित करने और अन्य औपचारिकताओं की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जा रही है। सभी सात जिलों में चरणबद्ध तरीके से अस्पतालों का निर्माण कराया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि तय समय सीमा में इन आयुष अस्पतालों को जनता के लिए खोल दिया जाए, ताकि प्रदेशवासियों को पारंपरिक चिकित्सा का लाभ मिल सके।