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    रजौली में रेडियोलॉजिस्ट के बिना धड़ल्ले से चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटर, भ्रूण-हत्या को दे रहे बढ़ावा

    Updated: Mon, 28 Apr 2025 01:43 PM (IST)

    रजौली में बिना रेडियोलॉजिस्ट के अल्ट्रासाउंड सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं जहां भ्रूण जांच भी मुंहमांगी कीमतों पर की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। भ्रूण जांच के कारण लिंगानुपात में गिरावट आ रही है। पिछले साल जांच अभियान के बाद यह अवैध काम बंद हो गया था लेकिन अब फिर से शुरू हो गया है।

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    अल्ट्रासाउंड सेंटर में मुंहमांगी कीमत पर हो रही भ्रूण जांच (सांकेतिक तस्वीर)

    संवाद सूत्र, रजौली। मुख्यालय में लगभग आधा दर्जन अल्ट्रासाउंड का संचालन अनियमित रूप से किया जा रहा है। इसके विरुद्ध स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारीगण एवं प्रशासन मौन धारण किए हुए है। इन अल्ट्रासाउंड सेंटरों में मुंहमांगी कीमतों पर भ्रूण जांच भी धड़ल्ले से की जाती है।

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    अल्ट्रासाउंड सेंटर में रेडियोलॉजिस्ट के सिर्फ नाम अंकित रहते हैं और उनके नाम को बेचकर निजी तौर पर स्टॉफ रखकर अल्ट्रासाउंड संचालक मोटी रकम कमाने में लगे हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर जिले के कम लिंगानुपात को बढ़ाए जाने को लेकर सरकार से लेकर जिले के वरीय पदाधिकारी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चला रहे हैं।

    पैसों की लालच में भ्रूण जांच

    ऐसी स्थिति में रजौली के कुछ अल्ट्रासाउंड संचालक भ्रूण जांच कर उनके मंसूबों पर पानी फेरने का काम के रहे हैं। ऐसा नहीं है कि रजौली में सिर्फ रजौली या आसपास के क्षेत्र के लोग ही भ्रूण जांच कराने के लिए आते हैं,बल्कि आसपास के जिले से आनेवाली महिलाओं का भी भ्रूण जांच पैसों की लालच में किया जा रहा है।

    लड़की होने पर कराते हैं अबॉर्शन

    भ्रूण जांच में लड़की होने पर अधिकांश लोग निजी नर्सिंग होम में जाकर अबॉर्शन करवा लेते हैं। कई बार अवैध रूप से संचालित निजी नर्सिंग होम में रहे झोलाछाप चिकित्सक से कराया गया अबॉर्शन जानलेवा भी साबित हो चुका है।

    बुद्धिजीवियों की मानें तो अल्ट्रासाउंड और अवैध निजी नर्सिंग होम एक-दूसरे के अनुपूरक बनकर लोगों का आर्थिक दोहन कर रहे हैं। साथ ही गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बेटियों की हत्या कर लिंगानुपात कम करने में अपनी भूमिका सुदृढ़ कर रहे हैं।

    बीते वर्ष चलाया गया अभियान

    बीते वर्ष रजौली एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष एवं स्थानीय चिकित्सा पदाधिकारी के सहयोग से जांच अभियान चलाया गया था। उक्त जांच अभियान के बाद भ्रूण जांच बंद हो गई थी, लेकिन अब फिर अल्ट्रासाउंड संचालक रेडियोलॉजिस्ट का नाम बेचकर अपने कार्यों में जुट गए हैं।

    कई अल्ट्रासाउंड में रेडियोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर पूर्व से रिपोर्ट कार्ड पर करवाकर रख लिए जाते हैं,बाद में रिपोर्ट के बाद मरीजों को वही कागज दे दिया जाता है।

    बीते 12-13 अप्रैल को सिरदला में अवस्थित शिवम अल्ट्रासाउंड सेंटर में झारखंड के कोडरमा से आए पदाधिकारियों की टीम ने 'ऑपरेशन डिकॉय' के तहत कार्रवाई करते हुए भ्रूण जांच करने के मामले में संचालक को पुलिस के सुपुर्द किया था।

    आम लोगों का कहना है कि जिले के वरीय पदाधिकारी के द्वारा समय-समय अल्ट्रासाउंड संचालकों एवं निजी नर्सिंग होम की जांच की जानी चाहिए। ताकि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो सके।

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