Nalanda News: 'साइक्लोपियन वॉल' की मैपिंग की तैयारी में जुटा इसरो, Great Wall of China से भी है पुरानी
ग्रेट वॉल ऑफ बिहार यानी साइक्लोपियन वॉल राजगीर का इतिहास चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना से भी पुराना है। अब इसरो साइक्लोपियन वॉल की मैपिंग और थ्री डी डायमेंशनल सर्वे करेगा जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। साइक्लोपियन वॉल को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में दर्ज कराने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यूनेस्को का ध्यान भी इस ओर आकर्षित करा चुके हैं।

संवाद सहयोगी, राजगीर। ग्रेट वॉल ऑफ चाइना की छोड़िए। ग्रेट वॉल ऑफ बिहार यानी साइक्लोपियन वॉल राजगीर उससे भी पुराना है, जो एक अनोखे पुरातात्विक अजूबे के समान है। इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की देखरेख में राजगीर साइक्लोपियन वॉल की मैपिंग और थ्री डी डायमेंशनल सर्वे की कवायद शुरू होगी।
इसके लिए व्यापक तौर पर तैयारियां की जा रही हैं, जिसमें लिडार सर्वे से सामने साइक्लोपियन वॉल की स्थापना काल की कथा को प्रकाश में लाया जाएगा। सर्वेक्षण में इसरो द्वारा नवीनतम तकनीकी पहलुओं को समझने के लिए संबंधित मंडलों के अधिकारियों की एक टीम भी शामिल होंगी।
बताया जाता है कि राजगीर का साइक्लोपियन वॉल चीन की दीवार से भी प्राचीन है। वर्ल्ड हेरिटेज साइट में दर्ज कराने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यूनेस्को का ध्यान भी आकृष्ट करा चुके हैं।
- अब साइक्लोपियन वॉल का लिडार (लाइट डिटेक्शन ऐंड रेंजिंग) से सर्वेक्षण होगा।
- लिडार यानी प्रकाश का पता लगाना और बढ़ाने की प्रणाली एंड थ्री डी डायमेंशनल सर्वे को लेकर प्रक्रिया हरकत में है।
- लिडार लेजर लाइट को एक स्रोत (ट्रांसमीटर) से भेजा जाता है। दृश्य में मौजूद वस्तुओं से परावर्तित किया जाता है।
- परावर्तित प्रकाश को सिस्टम रिसीवर द्वारा पहचाना जाता है और दृश्य में मौजूद वस्तुओं का दूरी मानचित्र बनाने के लिए उड़ान के समय टीओअएफ का उपयोग किया जाता है।
लिडार का इस्तेमाल सड़क निर्माण, नदी सर्वेक्षण में होता है
मिली जानकारी के अनुसार इसरो (इंडियन अंतरिक्ष स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तथा आईआईआरएस (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग) यानी भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान द्वारा इस अनुसंधान के सुदूर संवेदन और सभू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण का भी सहयोग लिए जाने की सूचना है।
लिडार का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में जैसे कि सड़क निर्माण, नदी सर्वेक्षण, वन सर्वेक्षण और प्रदूषण मापन में भी किया जाता है।
इस विधि प्रणाली का उपयोग साइक्लोपियन वॉल के लिए निर्धारित करने को लेकर अधीक्षण पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना को निर्देशित किया गया है। पटना के अलावा सारनाथ, जोधपुर, चंडीगढ़, राजकोट, चेन्नई और देहरादून मंडल को भी निर्देशित किया गया है।
साइक्लोपियन वॉल के सर्वे की कवायद हो रही
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत राजगीर के साइक्लोपियन वॉल के सर्वे की कवायद हो रही है। जानकारी के अनुसार साइक्लोपियन वॉल शोध पहल के एक भाग के रूप में, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून सांस्कृतिक विरासत स्थलों के थ्री डी दस्तावेजीकरण और मॉडलिंग के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और विधियों का उपयोग करने में लगा हुआ है।
इस परियोजना का ध्यान बेहतर थ्री डी दस्तावेजीकरण के लिए मल्टी-सोर्स-मल्टी-प्लेटफॉर्म (टेरेस्ट्रियल लेजर स्कैनर, टेरेस्ट्रियल कैमरा और हाई रेजोल्यूशन ईओ डेटा) डेटा के एकीकरण पर केंद्रित है।
इसी तकनीक का उपयोग अब साइक्लोपियन वॉल के लिए किया जाएगा, जिसमें विरासत संरचनाओं के उपसतह विश्लेषण के लिए जीपीआर जैसे उपकरणों का उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा।
यूएवी डेटा आदि अधिक व्यापक के लिए विरासत स्थलों और संरचनाओं का विश्लेषण भी शामिल होगा। इसका मुख्य उद्देश्य विरासत स्थलों की पुरातात्विक जांच के लिए सक्रिय और निष्क्रिय उपग्रह और जमीन आधारित डेटा के एकीकृत उपयोग का पता लगाना और उसका प्रदर्शन करना है।
डेटा संग्रह करने की अनुमति का अनुरोध किया गया
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) देश में अनुसंधान गतिविधियों और सांस्कृतिक स्मारकों और स्थलों के संरक्षण और परिरक्षण के लिए जिम्मेदार है। इसलिए इस तरह के प्रयास में यह एक प्रमुख हितधारक होगा।
इसलिए परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, आईआईआरएस व एएसआई से सहयोग और स्थलीय लेजर स्कैनर, जीपीआर, कैमरा, जीपीएस, कुल स्टेशन जैसे जमीन आधारित उपकरणों के साथ डेटा संग्रह करने की अनुमति का अनुरोध किया गया है।
इसके कवरेज के लिए आवश्यक अनुमति यूएवी का उपयोग करने वाली साइटों की भी जांच की जानी है। और अवशेषों की पहचान के लिए सतह और उपसतह संकेतकों के मानचित्रण के लिए लिडार और सिंथेटिक एपर्चर रडार सर्वेक्षण (स्थलीय और हवाई दोनों) के माध्यम से स्कैनिंग की अनुमति ली गई है।
सामान्य नियमों और शर्तों पर देने का निर्देश दिया गया
इस स्कैनिंग के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी व पर्यवेक्षण में सामान्य नियमों और शर्तों पर देने का निर्देश दिया गया है। कार्य का आउटपुट एएसआई को मुफ्त में साझा-प्रस्तुत किया जाएगा।
चूंकि यह कार्य संरक्षण-पुरातत्व संबंधी कार्यों के लिए भी फायदेमंद होगा।इसलिए इसरो द्वारा नवीनतम तकनीकी पहलुओं को समझने के लिए सर्वेक्षण कार्य करते समय संबंधित मंडलों के अधिकारियों की एक टीम भी शामिल की जा सकती है।
इसरो से उनके द्वारा पहले पूरा किए गए डेटा की प्रति प्रदान करने का भी अनुरोध किया जा सकता है। दुनिया के सात अजूबों में शुमार द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के चर्चे दुनिया में है।
यह एक ऐसी आकृति है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। मगर अब चीन की दीवार से भी प्राचीन राजगीर पंच पहाड़ी श्रृंखलाओं के उपर से गुजरती, साइक्लोपियन वॉल के लिडार व थ्रीडी डायमेंशनल सर्वे से चीन की दीवार का इतिहास फीका पड़ने वाला है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।