Bihar News: 52 बूटी के कलाकार नहीं रहे... पद्मश्री से सम्मानित बिहार के बुनकर कपिल देव प्रसाद का निधन
पद्मश्री से सम्मानित बिहार के कपिल देव प्रसाद नहीं रहे। हाथों से बुनाई कर बावन बूटी साड़ी के निर्माण के लिए वह काफी मशहूर थे। वे 72 वर्ष के थे। हृदय रोग से पीड़ित कपिल देव पटना के एक अस्पताल में भर्ती थे। । उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बाबन बूटी साड़ी बुनने की कला के लिए 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ। हाथों से बुनाई कर बावन बूटी साड़ी के निर्माण के लिए ख्यात बुनकर बिहारशरीफ के बसवन बिगहा निवासी पद्मश्री से सम्मानित कपिल देव प्रसाद नहीं रहे। वे साढ़े 68 वर्ष के थे। कपिल देव प्रसाद का पटना के एक अस्पताल में हृदय का ऑपरेशन हुआ था।
अस्पताल में ही उपचार के दौरान मंगलवार रात उनका निधन हुआ। बुधवार सुबह शव गांव लाया गया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बाबन बूटी साड़ी बुनने की कला के लिए गत वर्ष 2023 में पांच अप्रैल को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया था।
उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक अमृत बरनवाल ने बताया कि कपिल देव प्रसाद ने बावन बूटी डिजाइन की राष्ट्रव्यापी पहचान और प्रतिष्ठा दिलाई। याद दिला दें, कपिल देव ने सातवीं तक ही पढ़ाई की थी। इन्होंने दस साल की आयु से ही हथकरघा की साड़ी में बावन बूटी डालनी शुरू कर दी थी।
बुनकरों को मार्गदर्शन करते रहे थे
पांच साल कार्य करने पर इनकी कला में निखार आ गया, जिससे इनके बुनी हुई साड़ियां अधिक पसंद की जाने लगी। कपिल देव ने पद्म श्री से सम्मानित शिल्पकार उपेंद्र महारथी का वह सपना पूरा कर दिखाया था, जिसके लिए उपेंद्र महारथी लगातार दस वर्षों तक बसवन बिगहा में कपिल के पिता हरि प्रसाद तांती को नई डिजाइन सिखाते रहे थे और बुनकरों को मार्गदर्शन करते रहे थे।
नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से सटे पूरब बसवन बिगहा में कपिल देव प्रसाद का जन्म पांच अगस्त 1955 को हुआ था। इनकी माता जी का नाम फुलेश्वरी देवी था। कपिल की पत्नी लाखो देवी बसवन बिगहा प्राथमिक बुनकर समिति की अध्यक्ष हैं। इनके एक मात्र पुत्र सूर्यदेव कुमार भी बुनकर हैं।
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