West Champaran : पोर्टेबल खेती से कमा रहे थे हजारों, ठंड ने उम्मीदों पर पानी फेरा
बगहा व आसपास के किसान अभी गंडक नदी की बाढ़ से परेशान होकर सब्जी की खेती को अपना जीवन यापन का माध्यम बनाया। संस्था की ओर से किसानों को पोर्टेबल खेती के लिए दिया था प्रशिक्षण। ठंड की वजह से सब्जियों पर असर किसान परेशान।

बगहा, (पश्चिम चंपारण), जासं। बगहा व आसपास के किसान अभी गंडक नदी की बाढ़ से परेशान होकर सब्जी की खेती को अपना जीवन यापन का माध्यम बनाया। उस पर भी ठंड की कु²ष्टि पड़ गई।
बगहा दो प्रखंड के लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत के झंडुआटोला, बीन टोला, हरिजन टोला, कांही टोला आदि गांवों दर्जनों लोग बाढ से परेशान होकर जीवनयापन के लिए परदेश कमाने जाते थे। इसी बीच एलडब्ल्यूआर व जीईएजी संस्था ने किसानों को सब्जी की खेती व मिश्रित खेती का प्रशिक्षण दिया । बाढ़ से बचने के लिए किसान पोर्टेबल नर्सरी कर प्रतिमाह हजारों की कमाई करने लगे। लेकिन, ठंड ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
रमपुरवा निवासी बिंदा देवी, कलावती देवी, चंद्रावती देवी, राधा, आशा, काजल कुमारी, सुगंधी देवी आदि ने बताया कि उनकी फसल ठंड से नुकसान होने लगी है। उनके खेत से प्रति दिन दस किलो टमाटर, 25 से 30 किलो फूलगोभी, 20 से 25 किलो हरा मर्चा निकलता था। ठंड की मार से फसल सूख गई। हालांकि इसकी बचाव के लिए तमाम प्रयास किया गया। जीईएजी के परियोजना समन्वयक रवि प्रकाश मिश्र ने कहा कि फसल के आसपास या खेतों के मेड़ पर सूखी घास फूस शाम में जलाने व सुबह में सिंचाई करने से उस पर ठंड का असर कम हो जाता है।
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