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    जनकपुर जाते समय राम ने बिहार के इस जिले में किया था अहिल्या का उद्धार, यहां पग-पग में होती है रामत्व की अनुभूति

    By Jagran News Edited By: Mukul Kumar
    Updated: Fri, 02 Feb 2024 08:09 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर के कमतौल के अहियारी में अहल्या उद्धार स्थल है जहां की चरण-धूलि मस्तक पर लगाकर लोग निहाल हो जाते हैं। आज जब देश राममय और शिखर पर आस्था है तो यहां का कण-कण प्रफुल्लित और मन-मन मुदित है। अहियारी आज धन्य है। अहिल्या उद्धार स्थल के अलावा सप्त ऋषि आश्रम रामनाम बैंक श्रीरामजानकी मंदिर और गौतम कुंड प्रभु श्रीराम के आदर्शों का विराट वर्णन करते हैं।

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    अहियारी स्थित श्रीरामजानकी मंदिर में स्थापित राम दरबार और गौतम ऋषि व माता अहल्या की प्रतिमा। जागरण

    अजय पांडेय, मुजफ्फरपुर। राम जीवन हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। हमारे जीवन के मूल में हैं श्रीराम। कभी पत्थर में प्राण डालते तारणहार ताे कभी सिया का वरण करते अवध कुमार। मिथिला में तो डेग-डेग पर श्रीराम हैं। यहां जानकी जन-जन की बेटी और राम घर-घर के दामाद हैं।

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    लोग जिस आस्थाभाव से उन्हें पूजते हैं, उतनी ही पवित्रता से महिलाएं पाहुन के रूप में उनसे हंसी-ठिठोली भी करती हैं। भगवान राम के प्रति ऐसी आस्था और भक्ति देखनी हो तो दरभंगा आइए।

    यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर कमतौल के अहियारी में अहल्या उद्धार स्थल है, जहां की चरण-धूलि मस्तक पर लगाकर लोग निहाल हो जाते हैं। आज जब देश राममय और शिखर पर आस्था है तो यहां का कण-कण प्रफुल्लित और मन-मन मुदित है। अहियारी आज धन्य है।

    अहिल्या उद्धार स्थल के अलावा सिया-पिया निवास, गौतम ऋषि का आश्रम, मनोकामना हनुमान मंदिर, सप्त ऋषि आश्रम, रामनाम बैंक, श्रीरामजानकी मंदिर और गौतम कुंड प्रभु श्रीराम के आदर्शों का विराट वर्णन करते हैं।

    अहिल्या उद्धार स्थल

    अहियारी का पांच किमी का क्षेत्र तपोवन के रूप में पूजित है। यहीं पर गौतम ऋषि का आश्रम है। गौतम ऋषि द्वारा श्रापित माता अहल्या यहीं पत्थर स्वरूप में हो गई थीं। सीता स्वयंवर में शामिल होने महर्षि विश्वामित्र के साथ जनकपुर जाते समय प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण इसी रास्ते से गुजरे थे।

    महर्षि गौतम आश्रम। जागरण

    यहींं प्रभु श्रीराम ने चरण धूलि से माता अहिल्या का उद्धार किया था। अब यह जगह अहल्या उद्धार स्थल के रूप में पूजित है। रामनवमी के दिन यहां बैगन का भार चढ़ाया जाता है। बिहार के अलावा, झारखंड और नेपाल से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।

    रामनाम बैंक

    यहां करीब 27 फीट ऊंचा स्तंभाकार राम नाम बैंक स्थापित है। वर्ष 1967 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के नादिगड्डापलेम में स्थापित वासुदास आश्रम से जुड़े सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी श्रीगोपालाचार्य स्वामी के नेतृत्व में राम नाम बैंक स्तंभ का निर्माण हुआ था।

    सिया-पिया निवास। जागरण

    इसमें राम लिखे लाखों पन्ने सहेजे गए हैं। जन स्वीकृति यह है कि इसकी एक परिक्रमा से लाखों बार राम नाम जपने का पुण्य होता है।

    गौतम आश्रम कुंड

    अहल्या स्थान से करीब तीन किमी दूर गौतम ऋषि का आश्रम है। वे यहीं तपस्या करते थे। जनश्रुति है कि इंद्र के प्रकोप से सूखा पड़ गया था। ऋषियों के पास खाने-पीने को कुछ शेष न रहा, तब गौतम ऋषि ने अपने इच्छापात्र व तपोबल से क्षीर कुंड बना दिया था।

    कुंड के दूध से ऋषियों की जान बची। अब यह गौतम कुंड के रूप में पूजित है। इसका पानी सफेद नहीं रहा, लेकिन स्वाद दूध जैसा ही है।

    श्रीरामजानकी मंदिर

    मिथिला की लोककला और संस्कृति से परिपूर्ण श्रीरामजानकी मंदिर का निर्माण वर्ष 1817 में तत्कालीन दरभंगा महाराज छत्र सिंह ने कराया था। यह मंदिर दरभंगा राज से रामभक्ति के जुड़ाव को स्थापित करता है।

    दरभंगा राज द्वारा बनवाया गया श्रीरामजानकी मंदिर । जागरण

    मंदिर में प्रभु श्रीराम के साथ माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी के संरक्षण में माता अहल्या व गौतम ऋषि की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।

    यहां प्रकट हुई थीं माता सीता

    अहल्या स्थल से 55 किमी की दूरी पर सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम में माता जानकी की प्राकट्य स्थली है। यहीं माता सीता धरती से प्रकट हुई थीं। यहां करीब 12 किमी दूर पंथपाकड़ है। विवाह के पश्चात अयोध्या लौटने के क्रम में माता सीता की डोली यहां रुकी थी। यात्रा में प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़े कई स्थलों के दर्शन कर सकते हैं।

    मंदिर-महलों के साथ चांद-तारों की भी कर सकते सैर

    दरभंगा आ रहे हैं तो यहां दरभंगा राज के महल और मंदिरों के साथ चांद-तारों की भी सैर कर सकते हैं। मध्य शहर में दरभंगा राज के महल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अभी इस परिसर में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का संचालन हो रहा है।

    अहियारी स्थित माता अहल्या मंदिर। जागरण

    इसी परिसर में विभिन्न काल खंडों में स्थापित मंदिर भी हैं। श्रीरामजानकी मंदिर, श्यामा माई काली मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, हनुमान मंदिर, शिवमंदिर और कंकाली मंदिर दर्शनीय हैं। श्यामा माई का मंदिर श्मशान घाट में महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता भूमि पर बनाया गया है।

    मंदिर की स्थापना 1933 में दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने कराई थी। यहां से करीब एक किमी की दूरी पर बिहार का दूसरा तारामंडल है, जो धर्म और विज्ञान की यात्रा के बीच महत्वपूर्ण पड़ाव है। राज परिसर के संग्रहालय में खासतौर से मिथिला के इतिहास से रूबरू हो सकते हैं।

    ऐसे पहुंच सकते हैंं: दरभंगा पूर्व मध्य रेलवे के समस्तीपुर रेलमंडल का बड़ा स्टेशन है। यहां से अधिकतर बड़े शहरों से रेल संपर्क है। दरभंगा में हवाई अड्डा भी है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, अहमदाबाद से हवाई संपर्क है। दरभंगा से अहल्या उद्धार स्थल समेत अन्य सभी स्थलों पर जाने के लिए अच्छी सड़कों का जुड़ाव है।

    धार्मिक पर्यटन के लिए माता अहल्या उद्धार स्थल, गौतम ऋषि का आश्रम और कुंड की यात्रा अलौकिक सुख प्रदान करती है। दरभंगा महाराज द्वारा बनवाया गया श्रीरामजानकी मंदिर भक्तिभाव के साथ कलात्मक पक्ष के लिए भी विख्यात है। -बालेश्वर ठाकुर, अहल्या स्थान धार्मिक न्यास समिति, कमतौल-अहियारी, दरभंगा

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