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    Muzaffarpur News: आदिवासी बेटी से शादी फिर जमीन पर कब्जा! झारखंड के इस खेल से बिहार में अलर्ट

    Updated: Fri, 13 Dec 2024 11:19 AM (IST)

    झारखंड में घुसपैठयों द्वारा आदिवासी लड़कियों से शादी करने और फिर उनकी संपत्ति हड़पने के कई मामले सामने आए हैं। झारखंड के बाद अब बिहार में भी इस तरह के इनपुट सामने आने के बाद गृह मंत्रालय अलर्ट मोड पर है। राज्य के सभी आयुक्त डीएम एसएसपी एवं एसपी को आदिवासी बाहुल्य इलाकों में नजर रखने के लिए कहा गया है।

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    आदिवासी महिलाओं को शिकार बना रहे विदेशी

    प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। आदिवासियों के मतांतरण के साथ उसकी संपत्ति पर कब्जा किया जा रहा है। गैर आदिवासी संगठनों की ओर से आदिवासी युवकों का मतांतरण किया जा रहा है। वहीं अवैध रूप से भारत आए विदेशी नागरिक आदिवासी युवतियों या महिलाओं से शादी कर उसकी संपत्ति पर कब्जा कर रहे हैं। बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से इसका अलर्ट जारी किया गया है।

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    बिहार में अलर्ट

    • राज्य के सभी आयुक्त, डीएम, एसएसपी एवं एसपी को आदिवासी इलाकों में विशेष नजर रखने को कहा गया है।
    • विदित हो कि झारखंड में आदिवासी युवतियों से शादी करके उनकी संपत्ति हड़पने के मामले सामने आ चुके हैं। अब बिहार के आदिवासियों को लेकर इस तरह का इनपुट आने के बाद गृह विभाग सतर्क हो गया है।

    आदिवासी समुदायों के मतांतरण की प्रक्रिया चलने की बात आई सामने

    विशेष शाखा के आइजी की ओार से जारी पत्र में कहा गया है कि विभिन्न एजेंसियों से मिले इनपुट से यह बात सामने आई है कि आदिवासी समुदायों के मतांतरण की प्रक्रिया चल रही है। ऐसा दूसरे समुदाय के लोगों के प्रति उनका आकर्षण बढ़ाए जाने से हो रहा है।

    गैर आदिवासी संगठनों की ओर से इसका लाभ उठाकर आदिवासियों का मतांतरण कर उसका शोषण कर रहे हैं। इसके अलावा उनपर मतांतरण का दबाव भी डाला जा रहा है। पूर्व में मतांतरित एवं अन्य आदिवासियों में इसे लेकर अंतर जनजातीय संघर्ष की भी आशंका है। यह भी सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।

    आदिवासी समुदाय में फैल रही अशांति

    • रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण बात आदिवासी युवतियों और महिलाओं से अवैध रूप से यहां आए विदेशी लोगों की ओर से शादी कर उसकी संपत्ति हड़पने की है। आदिवासी समुदाय में इससे अशांति फैल रही है। इसके अलावा आदिवासियों को अन्य स्थानीय समुदायों के खिलाफ भड़काने के लिए भी नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं।
    • इसे देखते हुए यह जरूरी है कि पुलिस और प्रशासन आदिवासी युवाओं के साथ काम करने वाले विभिन्न गैर-आदिवासी कार्यकर्ताओं और संगठनों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे। साथ ही आदिवासी बहुल इलाके में तैनात प्रशासन और पुलिस के कर्मी संवेदनशील रहें।
    • इस तरह की किसी भी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे। आदिवासी युवाओं को गुमराह करने से रोकने के लिए कार्रवाई भी की जाए।

    बगहा में आदिवासियों की संख्या अधिक

    तिरहुत प्रमंडल में पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में आदिवासियों की संख्या बहुत है। इसके अलावा बांका, कटिहार, किशनगंज, अररिया, मधेपुरा में आदिवासियों की अच्छी संख्या है। मुजफ्फरपुर में भी खरवार आदिवासी हैं। ऐसी जगहों पर पुलिस और प्रशासन को विशेष रूप से अलर्ट रहने को कहा गया है।

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