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    'परेशान किशोर की धन सुराज', PK की पार्टी में भगदड़; सहनी बोले- मुझसे 21000 रुपये लिए, लेकिन...

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 03:35 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर के गायघाट में जन सुराज पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष फैल गया। वकील सहनी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन किया और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। प्रशांत किशोर पर बिहार को बिगाड़ने और धन उगाही का आरोप लगाया गया। कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ दी, जिससे जन सुराज में असंतोष की स्थिति उजागर हो गई।

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    जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर।

    संवाद सहयोगी, गायघाट (मुजफ्फरपुर)। जन सुराज पार्टी में टिकट बंटवारे पर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। बुधवार को गायघाट प्रखंड क्षेत्र के जारंग बलुआहां गांव में जन सुराज के भावी प्रत्याशी वकील सहनी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने पार्टी के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं ने सैकड़ों पारिवारिक लाभ कार्ड और पार्टी से जुड़ी अन्य दस्तावेजों में आग लगा दी।

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    जानकारी के अनुसार, टिकट नहीं मिलने से क्षुब्ध वकील सहनी ने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। बैठक के बाद उन्होंने सामूहिक रूप से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की।उन्होंने आरोप लगाया कि जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर बिहार को बनाने नहीं, बल्कि बिगाड़ने आए हैं।

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    वकील सहनी ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर दो हजार से अधिक लोगों को टिकट देने का आश्वासन दिया था और हर इच्छुक प्रत्याशी से 21 हजार रुपये सदस्यता शुल्क लिया गया, लेकिन जब नामांकन की आधी प्रक्रिया पूरी हो गई, तब दूसरे दलों के नेताओं को बुलाकर टिकट दे दिया गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, प्रशांत किशोर नहीं, परेशान किशोर हैं। जन सुराज नहीं, धन सुराज हैं।

    उन्होंने यह भी बताया कि गायघाट विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने पहले सात संभावित प्रत्याशियों की सूची जारी की थी, परंतु अंतिम समय में एक अन्य दल के नेता को टिकट देकर सभी को धोखा दिया गया।

    सहनी ने आरोप लगाया कि पार्टी कार्यकर्ताओं पर जबरन प्रचार और संगठनात्मक कार्य करने का दबाव बनाया जा रहा था।

    विरोध कार्यक्रम में पूर्व प्रत्याशी सीताराम साह, सुरेंद्र कुमार शोले, बबलू यादव समेत दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी ने सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया और जनसुराज नेतृत्व पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। इस घटना से जनसुराज के अंदर मचे असंतोष की स्थिति एक बार फिर उजागर हो गई है, जिससे संगठन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।

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