'केके पाठक की मानसिक स्थिति...', शिक्षा विभाग के ACS पर क्यों भड़के MLC संजय सिंह; आखिर क्या है पूरा मामला
KK Pathak News तिरहुत शिक्षक निर्वाचन से एमएलसी डॉ. संजय कुमार सिंह की पेंशन रोकने का मुद्दा अब तूल पकड़ता जा रहा है। शिक्षा विभाग की कार्रवाई से नाराज संजय कुमार सिंह ने केके पाठक पर जमकर भड़ास निकाली है। संजय कुमार सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केके पाठक की मानसिक स्थिति की जांच करवानी चाहिए।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। MLC Sanjay Kumar On KK Pathak शिक्षा विभाग की ओर से तिरहुत शिक्षक निर्वाचन से एमएलसी डॉ. संजय कुमार सिंह की पेंशन रोकने के आदेश के बाद यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा है। मामले को लेकर एमएलसी डॉ. संजय कुमार सिंह ने कहा कि केके पाठक की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि उनके मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराएं।
एमएलसी ने कहा कहा, उन्होंने एक अखबार में यूजीसी की नियमावली से अवगत कराते हुए विभाग को उसी अनुसार आदेश देने की बात कही थी। कोई गलत या विरूद्ध बयान नहीं दिया। किस शिक्षक को कितनी कक्षाएं लेनी है यह यूजीसी ने तय कर रखा है। इसके बाद भी प्रत्येक शिक्षक को पांच कक्षाएं लेनी है, जैसा आदेश विभाग की ओर से दिया गया। यह सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि पेंशन रोकने का आदेश दिया गया है तो इसके विरुद्ध सड़क से सदन तक लड़ेंगे। यदि इस आदेश को वापस नहीं लिया जाता है तो वे मामले को विशेषाधिकार समिति में लेकर जाएंगे। एमएलसी ने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि ऐसे पदाधिकारी को अविलंब शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग से हटाएं। शिक्षा विभाग के इस निर्णय से शिक्षक भी नाराज हैं। संगठन अलग लड़ेगा और बतौर एमएलसी वे इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ेंगे। इधर, कुलसचिव प्रो. संजय कुमार ने बताया कि विभाग का आदेश आया है। उसका अनुपालन किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला
शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों को प्रतिदिन कम से कम पांच कक्षाएं लेने का आदेश जारी हुआ था। इसपर एमएलसी संजय सिंह ने अंग्रेजी के अखबार में प्रतिक्रिया दी थी। इसमें कहा था कि यूजीसी ने कक्षाओं को लेकर पहले ही नियम बना रखा है। विश्वविद्यालय और कालेज उसी अनुसार संचालित हो रहे हैं।
अखबार में एमएलसी का यह बयान प्रकाशित होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने 28 नवंबर को कुलसचिव को पत्र भेजा। इसमें लिखा गया है कि एमएलसी का बयान उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के प्रयास का स्पष्ट विरोध है। विभागीय निर्देशों के संबंध में समाचार पत्रों के माध्यम से विरोध प्रदर्शित करना एक गैर पेशेवर व्यवहार है। ऐसे में उनका पेंशन बंद करते हुए कानूनी कार्रवाई करें। इसके बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया है।
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