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    Bihar Bhumi: मुजफ्फरपुर में लैंड म्यूटेशन के 90% मामले पेंडिंग, DM सुब्रत कुमार ने लिया एक्शन

    Updated: Tue, 08 Apr 2025 08:07 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर में दाखिल खारिज अपील वाद के निष्पादन में शिथिलता बरतने पर डीसीएलआर पूर्वी और पश्चिमी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। डीएम सुब्रत कुमार सेन ने तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है। अन्यथा विभागीय कार्यों में लापरवाही बरतने को लेकर प्रपत्र क गठित करने की भी चेतावनी दी है। उन्होंने लंबित वादों का अविलंब निष्पादन करते हुए रिपोर्ट करने को कहा है।

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    मुजफ्फरपुर के जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। दाखिल खारिज अपील वाद के निष्पादन में शिथिलता बरतने पर डीसीएलआर पूर्वी और पश्चिमी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। डीएम सुब्रत कुमार सेन ने तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है।

    अन्यथा विभागीय कार्यों में लापरवाही बरतने को लेकर प्रपत्र क गठित करने की भी चेतावनी दी है। उन्होंने लंबित वादों का अविलंब निष्पादन करते हुए रिपोर्ट करने को कहा है।

    बताया गया कि पूर्वी अनुमंडल में करीब 90 प्रतिशत वाद निष्पादन के अभाव में लंबित हैं। मार्च में मात्र 84 मामलों का निष्पादन किया गया।

    डीएम ने जताई नाराजगी

    डीएम ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। पूर्व में भी कई बार त्वरित गति से और प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन करने को लेकर लगातार निर्देशित किया गया था। उस समय में शिथिलता बरतने पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। इसके बाद भी कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ।

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    मार्च में सिर्फ 182 मामलों का निपटारा

    पिछले दिनों राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ने भी गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। विभागीय कार्यों में लापरवाही और उदासीनता बरतना बताया था। इसी प्रकार पश्चिमी अनुमंडल में करीब 78 प्रतिशत वाद निष्पादन के अभाव में लंबित है। मार्च में मात्र 182 मामलों का निष्पादन किया गया।

    तीन दिनों के अंदर देना होगा जवाब

    पहले भी प्राथमिकता के आधार पर अपील वाद का निष्पादन करने को कहा गया था, लेकिन रुचि नहीं ली गई। विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इसपर आपत्ति जताई थी। इसके आलोक में डीएम ने स्पष्टीकरण मांगते हुए तीन दिनों में जवाब मांगा है।

    बताया गया कि वादों का निष्पादन नहीं होने के कारण लंबित मामलों का बोझ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इससे आमजन को भी परेशानी होती है। जबकि इन मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता दिया जाना है।

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