दीपावली पर 500 वर्ष बाद बन रहा अष्टलक्ष्मी महायोग, 5 राजयोग भी; शुभ मुहूर्त में पूजन से होगी धन-वैभव की प्राप्ति
Diwali Puja Timing इस बार की दिवाली कुछ खास होने वाली है। दरअसल इस बार दिवाली पर 500 वर्ष के बाद अष्टलक्ष्मी महायोग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसके प्रभाव से अपूर्व धन लाभ संपत्ति और प्रतिष्ठा की प्राप्ति स्थिर लक्ष्मी अपूर्व सफलता के साथ संपन्नता की प्राप्ति होगी। विभिन्न राशि के जातकों के लिए यह दीपावली बेहद सुखद संयोग लेकर आ रही है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। कार्तिक की अमावस्या पर रविवार को शहर से लेकर गांव तक दीपोत्सव मनाया जाएगा। इस वर्ष दीपावली पर आठ शुभ योग व अमावस्या के साथ पांच राजयोग बन रहे हैं। अष्टलक्ष्मी महायोग का ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 500 वर्ष के बाद बन रहा है।
तिरहुत विद्वत परिषद के संयोजक और आध्यात्मिक गुरु पं.कमलापति त्रिपाठी प्रमोद ने बताया कि गजकेसरी योग, उभयचरी योग, काहाल योग, हर्ष योग और दुर्धरा नाम के पांच राज योग के संयोग से दीपावली पर अत्यंत महत्वपूर्ण संयोग बन रहा है।
इसके प्रभाव से अपूर्व धन लाभ, संपत्ति और प्रतिष्ठा की प्राप्ति, स्थिर लक्ष्मी, अपूर्व सफलता के साथ संपन्नता की प्राप्ति होगी। महालक्ष्मी योग के प्रभाव से लोग मालामाल होंगे। विभिन्न राशि के जातकों के लिए यह दीपावली बेहद सुखद संयोग लेकर आ रही है।
पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर को दोपहर 02:12 बजे से शुरू होगी और अगले दिन दोपहर 02:41 मिनट तक रहेगी। कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व स्नान करने का विधान है। ऐसे में अभिजित मुहूर्त सुबह 11.36 से दोपहर 12:24 बजे तक है।
अमावस्या की रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर करतीं हैं भ्रमण
मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। जिस घर में शांत वातावरण, स्वच्छता और प्रकाश होता है वहां मां की कृपा बरसती है। भक्तजन भगवती का विधिवत पूजन, श्री सुक्त, कनकधारा स्तोत्र पाठ, रात्रि जागरण, भजन-कीर्तन, लक्ष्मी और कुबेर मंत्र जाप, हवन, स्तोत्र-पाठ करते हैं।
वहां धन-संपत्ति की अधिष्ठात्री विष्णुप्रिया लक्ष्मी ठहरकर विश्राम करती हैं। स्थिर लग्न सिंह लग्न में भगवती लक्ष्मी मध्य रात्रि में व्यापार और घर में प्रवेश करती हैं। अचल लक्ष्मी और नव निधि के रूप में वह सर्वदा इस दिन स्थिर होती हैं और परिवार को धन-समृद्धि से परिपूर्ण रहने का आशीर्वाद देती हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या पर सुबह चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही तीर्थ स्नान कर लेना चाहिए। मान्यता है इससे पितर, मां लक्ष्मी और विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं। पाप का नाश होकर सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्कंदपुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या को गीता पाठ, अन्न, दीप दान असहाय को दान करना चाहिए।
भगवती लक्ष्मी व भगवान गणेश के पूजन का शुभ मुहूर्त
कुंभ लग्न दोपहर 01:08 से लेकर 02:39 तक, वृष लग्न संध्या 05:43 से लेकर रात्रि 07:40 तक, सिंह लग्न 12:12 मध्य रात्रि से 02:26 तक पूजन का शुभ समय है। दीपावली के दिन श्रद्धा भक्ति और प्रेम से भगवती लक्ष्मी, गणपति व कुबेर का पूजन करने से भगवती अचल लक्ष्मी के रूप में परिवार और व्यापार में निवास करती हैं।
जलता दीपक अग्नि देवता का प्रतीक
जलता हुआ दीपक अग्नि देवता का प्रतीक माना जाता है। पुराणों में मांगलिक कार्यों की शुरुआत दीपक जलाकर करने से वहां अग्नि देव की साक्षात मौजूदगी होती है। मान्यताओं के अनुसार दीपक के प्रयास से न केवल कष्ट और समस्याएं दूर भागती हैं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दीपक अज्ञानता को हर लेता है। गाय के घी, सरसों और तिल के तेल के साथ रूई की बाती में दीपक जलाएं। यह दीपावली की खुशियों को और बढ़ाएगा।
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