Sri Sri Ravishankar: मुंगेर पहुंचे श्री श्री रविशंकर, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर कह दी बड़ी बात
Spiritual guru Sri Sri Ravishankar आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर सोमवार को जमालपुर स्पोर्ट्स एसोसिएशन (जेएसए) मैदान में आयोजित उज्जवल बिहार महासत्संग में पहुंचे। पहली बार योगनगरी (मुंगेर) की धरती पर पहुंचे श्री श्री ने श्रद्धालुओं को स्वस्थ और प्रसन्नचित रहने के पांच मूल मंत्र बताते हुए कहा कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में प्रसन्न रहना चाहिए।
जागरण संवाददाता, मुंगेर। योग शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि दर्शन के लिए होता है। मनुष्य को ज्ञान के पथ पर चलना चाहिए। इससे सभी प्रकार की परेशानी दूर हो जाती है। ध्यान से शरीर को शक्ति मिलती है तथा बुद्धि में दीक्ष्णता आती है।
प्रभु के प्रताप से कुछ भी दुर्लभ नहीं होता, सब कुछ प्राप्त हो जाता है। यह बातें आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर (Spiritual Guru Sri Sri Ravishankar) ने सोमवार को जमालपुर स्पोर्ट्स एसोसिएशन (जेएसए) मैदान में आयोजित उज्जवल बिहार महासत्संग में कहीं।
पहली बार योगनगरी (मुंगेर) की धरती पर पहुंचे श्री श्री ने श्रद्धालुओं को स्वस्थ व प्रसन्नचित रहने के पांच मूल मंत्र बताते हुए कहा कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में प्रसन्नचित रहना चाहिए। जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए। किसी के विचारों को अपने ऊपर लागू नहीं करना चाहिए।
महासत्संग में श्रद्धालुओं का अभिवादन स्वीकार करते श्रीश्री रविशंकर। (जागरण)
हम जिससे नफरत करते हैं, वह हमारे दिमाग में बस जाता है। ऐसे में दूसरों की भूल के पीछे अपना उद्देश्य नहीं देखना चाहिए। हमें वर्तमान में जीने की आदत डालनी चाहिए। यदि हम जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखते हैं तो हमारा आत्मबल बढ़ता है। इसे बढ़ाने के लिए सुदर्शन क्रिया, ध्यान आदि का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि आप तनाव मुक्त होते हैं तथा प्रसन्नता पूर्ण व्यवहार करते हैं तो आप सभी को प्रिय लगेंगे। इस मौके पर कार्यक्रम प्रभारी स्वामी अमृतानंद, आयोजन समिति के अध्यक्ष सौरभ निधि, केंद्र प्रभारी गणेश सुल्तानियां और जिला कमेटी प्रमुख जयप्रकाश दुबे मौजूद थे।
सोमनाथ मंदिर में प्रतिस्थापित होगा ज्योतिर्लिंग
श्री श्री ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 1024 में मु. गजनवी ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को नष्ट करने का प्रयास किया था। उसके कुछ अंश को अग्निहोत्री ब्राह्मण छिपा कर तंजावुर ले गए तथा लगभग 1000 वर्ष तक उसे सहेज कर अपने पास रखा।
1924 में उस ब्राह्मण परिवार ने कांची के जगतगुरु शंकराचार्य को सौंपना चाहा तो शंकराचार्य ने उनसे कहा कि देश की आजादी के बाद जब अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना होगी, इसके बाद बेंगलुरु के आसपास रहने वाले संत को तुम इसे सौंप देना।
लोगों को संबोधित करते श्री श्री रविशंकर। (जागरण)
ऐसे में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का एक बार फिर से प्रकट हुए। अब उन्हें फिर से सोमनाथ मंदिर में प्रतिस्थापित किया जाएगा।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के महत्व का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि अमूमन चुंबकीय शक्ति एक से 12 गज तक होती है, परंतु इस ज्योतिर्लिंग में 140 गज तक की चुंबकीय क्षमता है। इसमें महज एक प्रतिशत तक लोहा तथा इसके अलावा अन्य तत्व समाहित है। यह ज्योतिर्लिंग इस ग्रह का नहीं है, ऐसा भू-विज्ञानियों ने बताया है।
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