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    Mother's Day 2025: मधुबनी की एक मां की कहानी, पति की मौत के बाद परिवार को संभाला; 3 बेटों को बनाया फौजी

    Mothers Day 2025 Special हरलाखी की अड़हुला देवी ने मातृ दिवस पर प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया। अपने पति के साथ गरीबी में जीवन यापन करते हुए उन्होंने अपने तीनों बेटों को सेना में भर्ती कराया। आज उनके दो बेटे और एक पोता देश की सेवा कर रहे हैं। अड़हुला देवी को अपनी मेहनत और बेटों की देशभक्ति पर गर्व है।

    By Manoj Jha Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 10 May 2025 10:27 PM (IST)
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    हरसुवार गांव निवासी अड़हुला देवी। (फोटो जागरण)

    मनोज झा, हरलाखी। आज मातृ दिवस के मौके पर ऐसे सभी माताओं को सलाम जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत व अच्छे संस्कार से बच्चों को इस काबिल बनाया कि उनका बेटा आज देश के दुश्मनों को धूल चटाने के लिए तैयार है।

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    बात हरलाखी प्रखंड अंतर्गत हरसुवार गांव निवासी स्व भरोसी मिश्रा की 70 वर्षीय पत्नी अड़हुला देवी की है। जिन्होंने अपने बच्चों के पठनपाठन और दिनचर्या पर इस तरह से ध्यान दिया कि उनके तीन बेटे और एक पोता देश के विभिन्न सेनाओं का हिस्सा बना।

    हालांकि, उनके बड़े बेटे का निधन हो गया। लेकिन आज भी दो बेटा और एक पोता बीएसएफ और वायु सेना में कार्यरत है।

    चना बेचते थे पति

    अड़हुला देवी से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि वे सपरिवार असम के डिब्रूगढ़ में रहते थे। उनके पति पूरे दिन चना बेचने का काम करते थे। जिसमे मामूली आमदनी होती थी।

    लेकिन जो कुछ था वो परिवार को अच्छे तालीम और संस्कार देने के लिए संतोषप्रद था। अड़हुला सुबह चार बजे उठकर सबसे पहले अपने बच्चों को पढ़ने के लिए लाइट की व्यवस्था करती थी, फिर बच्चों को पढ़ने के लिए उठाती थी। इसके बाद पति के लिए नाश्ते पानी का इंतजाम करती थी।

    पति जब काम पर चले जाते थे, फिर बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी करने लगती थी। घर की स्थिति ऐसी थी कि बच्चें भी उनकी मेहनत को साकार करने का सपना देखने लगे।

    वायु सेना में था बड़ा बेटा

    खुशी तब हुई जब उनके बड़े बेटे ने भारतीय वायु सेना में प्रवेश किया। इसके बाद क्रमशः उनके तीनों बेटे भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। हालांकि, उनके बड़े बेटे का असमय निधन हो गया। बावजूद अड़हुला ने अपने पोते को भी भारतीय सेना में भर्ती कराने के लिए तैयार किया।

    पोते के सेना में जाने के तीन साल बाद उनके पति का निधन हो गया। पति के निधन के दुख तो हुआ, लेकिन दोनों ने मिलकर बच्चों को इस काबिल बना दिया था कि उन्हें अब उनके भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं थी। आज इस वृद्धा मां के दो बेटे और एक पोता भारतीय सेना में अपना मोर्चा संभाले हुए हैं।

    आज इस अवसर पर वृद्धा मां को अपनी मेहनत पर खुशी महसूस हो रही है। वह कहतीं है आज हमारे बच्चे देश की सेवा में तत्पर हैं, मेरे लिए इससे अधिक खुशी की क्या बात हो सकती है।

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