नीलगाय और जंगली जानवर से परेशान किसानों के लिए अच्छी खबर, लाइसेंसधारी शूटर को हायर कर सकेंगे
बिहार के कमला और बलान नदी के दियारा क्षेत्र में नीलगाय जंगली सूअर और अन्य जंगली जानवरों के उपद्रव से किसान परेशान हैं। ये जानवर किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। किसान अब खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं। इस बीच बीडीओ ने किसानों को राहत भरी खबर दी है।

संवाद सहयोगी, बाबूबरही। नीलगाय, जंगली सूअर एवं अन्य जंगली जानवरों के उत्पाद से कमला, बलान नदी के दियारा क्षेत्र में बसे किसान खासे परेशान है। एक तो पहले से ही मौसम की मार से फसलों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव से इनकी उपज में सेंधमारी लगी हुई है। अब विगत पांच-सात वर्षों से जंगली जानवरों के उपद्रव से ये खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं।
फसल नष्ट कर रहे जंगली जानवर
बिठौनी गांव निवासी किसान प्रमोद मंडल एवं भोला यादव ने कहा कि हम लोग पसीना बहाकर ऋण लेकर खेती तो करते, लेकिन नीलगाय, जंगली सूअर, बंदर, शाही आदि जानवरों के उत्पाद की वजह से फसल नष्ट हो जाती है। ये जानवर देखते ही देखते लगी-लगाई फसल को चट कर जाते हैं। दिनों-दिन इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है।
इनसे बचाव के लिए कोई तरकीब काम नहीं आ रही है। कुछ दिन पूर्व तो सभी लोगों ने मिलकर संपूर्ण बधार को कंटीले तार से घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें भी सफलता मिलती हुई नहीं दिख रही है।
बीडीओ ने बताया किसानों की समस्या का समाधान
घोड़परास एवं जंगली सूअर के निस्तारण के लिए किसान बिहार गवर्नमेंट की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करें। जो संबंधित पंचायत के मुखिया के लॉगिन पर दिखने लगेगा। मुखिया उक्त आवेदन को शूटर को फॉरवार्ड करेंगे। इसके बाद लाइसेंसधारी शूटर द्वारा इसका निस्तारण किया जाएगा। एक जंगली सूअर या नीलगाय को शूट करने पर इन्हें 750 रुपये तथा निस्तारण के लिए 1250 रुपये 15वीं वित्त से ग्राम पंचायत से अदा किया जाएगा।
राधारमण मुरारी, बीडीओ
बक्सर : बदले मौसम से गेहूं के पौधों को नुकसान
तेज धूप की वजह से तापमान में वृद्धि हो रही है। गर्मी के कारण खेतों में लगी गेहूं की फसल को नुकसान हो रहा है। इसकी वजह से पौधे में निकल रही बाली छोटी हो रहीं हैं। इससे दाने पुष्ट नही होंगे और वजन में कमी आएगी। यह सोचकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ रही हैं।
तेज धूप से गेंहू की फसल को नुकसान।
खर्च और मेहनत करने के बावजूद प्रकृति का साथ फसल के अनुकूल नही दिख रहा है। इधर 20 दिसंबर के बाद खेतों में बुआई किए गए गेहूं की फसलों पर इसका अधिक प्रभाव होगा।
उत्पादन में 25 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। गेहूं के खेतों में फिलहाल पटवन करने की बात विज्ञानी कर रहे है। साथ ही पौधों पर पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ देवकरण ने बताया कि तेज धूप से असमय गेंहू के दाने पकने लगेंगे। साथ ही फसल में निकल रही बाली का आकार छोटा होगा।
सूर्य की तपिश में फसल जल्द सूखने लगेगी। गेंहू के दाने पतले हो जाएंगे।ऐसे में वजन कम हो जाएगा। मौसम का प्रभाव 20 दिसंबर के बाद बोए गए गेहूं की फसल पर अधिक पड़ेगा।
इसमें पटवन कर पोटाश दस किलो व यूरिया 10 किलो व सागरिका पांच किलो मिलाकर प्रति बिगहा छिड़काव करना जरूरी है।
वहीं जिन खेतों में बाली भरपूर लग गई है, उसमें पोटैशियम क्लोराइड एक प्रतिशत सौ लीटर पानी में एक किलो घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करना जरूरी है।
इधर बदलते मौसम से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। गेहूं की बुआई के समय खेतों की नमी सूखने के साथ अन्य समस्या आई थी। अब फसल तैयार होने के बाद सूर्य की तपिश से परेशानी बढ़ रही है। लागत अधिक लगने के बाद तापमान बढ़ने से गेहूं की उपज कम होने की संभावना बढ़ गई है।
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