Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले 2 पूर्व विधायकों ने छोड़ी पार्टी, बदलने लगा किशनगंज का राजनीतिक समीकरण
Bihar Politics किशनगंज जिले में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण बदलने लगे हैं। बहादुरगंज से पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने कांग्रेस छोड़कर एआईएमआईएम का दामन थाम लिया है। वहीं कोचाधामन के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने भी जदयू से इस्तीफा दे दिया है। इन बदलावों से किशनगंज में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है। अब ऐसे में यह भी देखना है कि जनता किसके साथ जाती है।

चन्द्र भूषण सिंह, बहादुरगंज (किशनगंज)। बिहार विधानसभा चुनाव में अभी कुछ महीने बाकी है। हाल के दिनों दो अलग-अलग पार्टी के दिग्गज पूर्व विधायकों के अपने-अपने पार्टी से इस्तीफा देने से किशनगंज जिला में राजनीतिक समीकरण अभी से बदलने का संकेत शुरू हो गया है।
ऐसे में आने वाले दिनों में किशनगंज जिला में विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे तौसीफ आलम कांग्रेस पार्टी को छोड़कर असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम पार्टी के साथ जुड़ने से कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है।
चार बार विधानसभा का किया नेतृत्व
निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़कर राजनीतिक शुरू करने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक कद्दावर नेता बहादुरगंज विधानसभा का चार बार नेतृत्व किए हैं।
पिछली बार 2020 में ओवैसी के पतंग छाप से चुनाव लड़ने वाले अंजार नईमी के विधायक बनने के कुछ दिन बाद एआईएमआईएम से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया। जिस कारण महागठबंधन का हिस्सा होने के कारण अंजार नईमी का महागठबंधन की ओर से राजद का प्रत्याशी होना तय माना जा रहा है।
उधर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े तौसीफ आलम के हार और कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद अख्तर के साथ नहीं बनने के कारण विधानसभा में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलना पक्का माना जा रहा था।
बीच-बीच में पूर्व विधायक तौसीफ आलम अन्य पार्टी से चुनाव लड़ने और अपने समर्थकों से राय विचार करने की बात कर कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाने का प्रयास करते रहे।
वहीं, विधान सभा चुनाव में वर्तमान समीकरण के तहत कांग्रेस को मिलने वाली सीट के मद्देनजर और कांग्रेस पार्टी में अपनी वर्तमान पकड़ को देखते हुए पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने समय से पूर्व कांग्रेस का हाथ छोड़कर पतंग की उड़ान भरना बेहतर समझा।
वहीं, अब इसको लेकर वर्तमान विधायक की भी चिंता बढ़ गई है कि आगामी विधानसभा में अब नए समीकरण के साथ उन्हें चुनावी मैदान में उतरना होगा और लोगों का साथ किसे मिलेगा।
मुजाहिद आलम ने भी दिया इस्तीफा
उधर वक्फ कानून लागू होने के कारण जदयू से करीब 15 साल तक जुड़े रहने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी समझे जाने वाले कोचाधामन के पूर्व विधायक किशनगंज के कद्दावर नेता मास्टर मुजाहिद आलम पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वे अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं।
वे अपने समर्थकों से जगह-जगह जाकर भेंट मुलाकात के बहाने आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं। जबकि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान पुरानी राजनीतिक रंजिश को भुलाकर उन्हें भी पार्टी से जुड़ने का ऑफर दे चुके हैं।
वहीं, वे किस पार्टी में जुड़ेंगे स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनका विधानसभा चुनाव कोचाधामन से लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इसको लेकर कोचाधामन में भी राजनीतिक समीकरण का हवा बदलने लगा है और वर्तमान विधायक भी क्षेत्र में अपनी सरगर्मी बढ़ा दिए हैं।
वहीं, प्रो. मुस्सबिर आलम राजद, जदयू, जन अधिकार पार्टी सहित अन्य पार्टियों में भाग्य अजमाने के बाद अब जनसुराज में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। उधर नवगठित हिन्द सेना पार्टी के संस्थापक शिवदीप लांडे किशनगंज का भ्रमण कर लोगों के राजनीतिक रुझान के आंकलन करने में जुटे हैं।
इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल का गृह जिला किशनगंज होने के कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा सहित एनडीए के प्रत्याशियों की जीत को लेकर उनकी अग्नि परीक्षा होनी है।
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