आरक्षण के मुद्दे पर राजद नेताओं का हल्ला बोल, केंद्र और राज्य सरकार पर लगाए ये गंभीर आरोप
राजद नेताओं ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत बढ़ाने की मांग को लेकर आज केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की नीतीश सरकार आरक्षण कोटि समाप्त करना चाह रही है जो वो होने नहीं देंगे। वंचितों की हक की लड़ाई के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।

संस, भभुआ। जिला मुख्यालय स्थित लिच्छवी भवन के सामने राजद कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को एकदिवसीय धरना दिया। धरना की अध्यक्षता राजद के जिलाध्यक्ष अकलू राम व संचालन अरुण कुमार सिंह उर्फ मिलन सिंह ने की। प्रदर्शन कर रहे राजद नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे पर प्रदेश की नीतीश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही सरकार पर संविधान विरोधी सोच के तहत काम करने का आरोप भी लगाया।
राजद नेताओं के प्रदर्शन की वजह
राजद नेताओं का कहना है कि महागठबंधन सरकार के द्वारा आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया था, जिसे नीतीश सरकार लागू करने में आनाकानी कर रही है। 65 फीसदी आरक्षण को लागू करने की मांग को लेकर राजद नेताओं ने एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया।
राज्य सरकार पर संविधान विरोधी सोच के तहत काम करने का आरोप
राजद नेताओं ने कहा कि देश की मौजूदा केंद्र सरकार और बिहार की राज्य सरकार अपनी संविधान विरोधी सोच और मानसिकता पर जिस प्रकार का काम कर रही है, उससे लग रहा है कि सरकार आरक्षण कोटि को समाप्त करना चाह रही है। राष्ट्रीय जनता दल पहले की तरह इस लड़ाई को लड़ती रहेगी और अंजाम तक ले जाएगी।
तेजस्वी यादव ने शुरू की पहल
बिहार में जब तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे तो वादे के अनुरूप उनकी पहल पर जातिगत सर्वेक्षण में जातियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को देखते हुए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत की गई थी। उच्च न्यायालय में जब यह मामला चल रहा था तो राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और इसकी लड़ाई ठीक ढंग से नहीं लड़ी। जिसके कारण उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी।
वंचितों की हक की लड़ाई लड़ेगा राजद
राष्ट्रीय जनता दल ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में वाद दाखिल किया। वंचित लोगों की हक की लड़ाई के लिए राजद का एक-एक कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी पूर्वक कार्य कर रहा है। राजद नेताओं ने कहा कि यह देश सभी का है, वस्त्र, भोजन और धर्म का फर्क हो सकता है, लेकिन हम हमेशा एक थे और एक रहेंगे। यही हमारी अनेकता में एकता की पहचान है। प्रदर्शनकारियों ने बिहार में बढ़ी हुई आरक्षण सीमा को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की। इसके साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार से इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी की गई।
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