Indian Railway: होली के बाद भी टिकटों की मारामारी बरकरार, जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे लोग
ट्रेनों में आरक्षण टिकट न मिलने से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। जगह के अभाव में बोगियों में खड़ा होना मुश्किल हो रहा है। यात्री जान जोखिम में डालकर गेट पर झूलकर सफर कर यात्रा करने को मजबूर हैं। यात्रियों की भीड़ की वजह से आरपीएफ और जीआरपी को प्लेटफार्म पर भीड़ संभालने में काफी मुश्किल हो रही है।

संवाद सहयोगी, मोहनियां। होली पर्व समाप्त होने के बाद दूसरे राज्यों में कार्यरत कैमूर जिले के लोग अपने काम पर लौटना चाहते हैं, लेकिन ट्रेनों में आरक्षण टिकट नहीं मिलने से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। जगह के अभाव में बोगियों में खड़ा होना मुश्किल हो रहा है। यात्री जान जोखिम में डालकर गेट पर झूलकर सफर करने को मजबूर हैं। भीड़ के कारण ट्रेनों में धक्कामुक्की हो रही है।
भीड़ के कारण आरक्षण टिकट वाले भी ट्रेन में सवार नहीं हो पा रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षा को ले आरपीएफ और जीआरपी को प्लेटफार्म पर मशक्कत करनी पड़ रही है। हर पर्व के मौके पर जिलेवासियों को इस तरह की समस्या से जूझना पड़ता है। यात्रियों को आरक्षण व तत्काल टिकट मिलना तो दूर वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहा है।
किसी भी स्पेशल ट्रेन का परिचालन नहीं
स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ दिखाई दे रही है, ट्रेनों में चढ़ने में मारामारी हो रही है। गेट पर झूलते यात्रियों को हटाने में आरपीएफ व जीआरपी के पसीने छूट रहे हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर-गया रेलखंड पर अवस्थित भभुआ रोड स्टेशन से प्रतिदिन 36 जोड़ी ट्रेनें गुजरती हैं। इस रेलखंड पर एक भी स्पेशल ट्रेन का परिचालन नहीं हो रहा है। ऐसे में रेल प्रशासन द्वारा यात्रियों की सुखद यात्रा का दावा करने की बात बेमानी साबित हो रही है।
स्टेशन के टिकट काउंटर पर यात्रियों की भारी भीड़ लग रही है, जिसमें दिल्ली व मुंबई जाने वाले यात्रियों की संख्या अधिक है। ट्रेनों में वेटिंग टिकट के लिए भी मारामारी है।
महाबोधि एक्सप्रेस में वेटिंग टिकट भी नहीं मिल पा रहा है। वेटिंग का अंतर तीन सौ से अधिक है। यही हाल पुरुषोत्तम एक्सप्रेस का है। गया से खुलने वाली महाबोधि एक्सप्रेस में पैर रखने की जगह नहीं रहती।
यात्रियों की मजबूरी का दलाल उठा रहे फायदा
रेलवे के पदाधिकारियों के मुताबिक मई माह के बाद ही यात्रियों को वेटिंग वाला आरक्षण टिकट मिल पाएगा। यात्रियों की मजबूरी का लाभ दलाल उठा रहे हैं। वे टिकट के निर्धारित किराया से तिगुना-चौगुना पैसा लेकर यात्रियों को टिकट बेचने का प्रयास कर रहे हैं।
आरक्षण टिकट के लिए भभुआ रोड स्टेशन के टिकट काउंटर पर मध्य रात्रि से ही यात्रियों की कतार लगनी शुरू हो जाती है, इसमें बिचौलियों की भी संख्या कम नहीं होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोग काउंटर के समीप रात भर डेरा डाले रहते हैं, लेकिन जब टिकट लेने की बारी आती है तो उन्हें निराशा हाथ लगती है। यात्रियों के काउंटर तक पहुंचते-पहुंचते टिकट का समय खत्म हो जाता है। भभुआ रोड स्टेशन पर आरक्षण टिकट के लिए चार काउंटर बनाए गए हैं, लेकिन सिर्फ दो काउंटर से आरक्षण टिकट मिलता है।
टिकट बुकिंग का समय बना लोगों की परेशानी
इसके लिए सुबह आठ बजे से दिन के दो बजे तक का समय निर्धारित है। टिकट बुकिंग का समय बढ़ाने के लिए कई वर्षों से यात्री मांग कर रहे हैं। कई मंत्री, सांसद व विधायक से भी यात्रियों ने गुहार लगाई,लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दो काउंटर से मात्र छह घंटे में कितने यात्री टिकट ले पाएंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को मोहनियां आने में ही दस बज जाता है। ऐसे में उनके पास इतना समय नहीं बचता की वे टिकट ले सकें। टिकट के लिए प्रतिदिन टिकट काउंटर पर यात्रियों में मारामारी होती है।
इससे अफरा-तफरी का माहौल रहता है। रेलवे के आला अधिकारी भी इस समस्या से अवगत हैं, लेकिन यात्री सुविधाओं के प्रति वे भी गंभीर नजर नहीं आते हैं। तभी तो भभुआ रोड स्टेशन पर आरक्षण टिकट के लिए मात्र छह घंटे का समय निर्धारित है।
टिकट के लिए केवल 2 काउंटर
मात्र दो काउंटर से टिकट मिलने के कारण यात्रियों की लंबी कतार देखी जाती है। केंद्र व राज्य में डबल इंजन सरकार है। इसके बाद भी रेल प्रशासन को हर माह लाखों रुपये राजस्व देने वाले भभुआ रोड स्टेशन पर एक भी स्पेशल ट्रेन का ठहराव नहीं होना यात्रियों के परेशानी का कारण है।
लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर वे घर से अपने काम पर कैसे लौटें। जाहिर है कि कैमूर जिला के बहुत लोग दिल्ली मुंबई के अलावा अन्य राज्यों में सरकारी व गैर सरकारी नौकरी करते हैं।
लोग पर्व के मौके पर अपने घर आए हुए हैं। छुट्टी समाप्त होने के बाद उन्हें काम पर लौटने की मजबूरी है। ट्रेनों में जगह नहीं मिलने के कारण उनके हाथ पैर बंधे हुए हैं। समय से अगर वे नहीं पहुंचते हैं तो तरह तरह की परेशानी उठानी पड़ेगी।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
- प्रतिदिन चलने वाली ट्रेनों में जगह नहीं है। पर्व को लेकर आरक्षण टिकट लेने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ी है। इस रेलखंड पर काफी ट्रेनें हैं। इसके बावजूद ट्रेनों में जगह की कमी का यात्रियों को सामना करना पड़ रहा है। स्टेशन पर ट्रेनें आती हैं तो उसमें सवार होने के लिए यात्री भागदौड़ करते हैं।
- दुर्घटना की आशंका को देखते हुए रेलवे के अधिकारी, आरपीएफ व जीआरपी के पदाधिकारी व जवान मुस्तैद रहते हैं। वरीय पदाधिकारियों का निर्देश है कि जब तक ट्रेन में यात्री सुरक्षित सवार न हो जाएं तबतक स्टेशन से रवाना न किया जाए। इसका अनुपालन हो रहा है। यात्रियों को बोगियों के गेट पर झूलने से रोका जा रहा है जिससे कोई अनहोनी न हो।
आरपीएफ के पोस्ट प्रभारी रामजी लाल बुनकर ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर अधिकारी व जवान गंभीर हैं। ट्रेनों के भभुआ रोड स्टेशन पर पहुंचने से पहले संबंधित प्लेटफार्म पर वे आरपीएफ जवानों के साथ मौजूद रहते हैं। ट्रेन में चढ़ने उतरने वाले यात्रियों की मदद की जा रही है। गेट पर झूलने वाले यात्रियों को हटाकर दूसरे बोगियों में भेजा जा रहा है।
रामजी लाल बुनकर, आरपीएफ पोस्ट प्रभारी
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