Marigold Farming: गेंदे की खेती पर किसानों को मिल रही 50 फीसदी तक की सब्सिडी, जानें कैसे करें अप्लाई
बिहार के कैमूर जिले में किसानों को गेंदा फूल की खेती के लिए 25 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला है। राज्य स्कीम के तहत किसानों को अनुदान मिलेगा जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। माल वाहक वाहन खरीदने पर भी अनुदान मिलेगा। योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मिलेगा।
जागरण संवाददाता, भभुआ। जिले के किसानों को गेंदा फूल की खेती करने के लिए 25 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला है। राज्य स्कीम गेंदा फूल विकास योजना के अंतर्गत किसानों को योजना के तहत अनुदान दिया जाएगा। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
25 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य
इस संबंध में सहायक निदेशक उद्यान डॉ. अभय कुमार गौरव ने बताया कि जिले के सभी प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत 25 हेक्टेयर में गेंदा की खेती करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि गेंदा फूल की खेती करने पर प्रति इकाई लागत 80 हजार की राशि खर्च होगी, जिस पर किसान को 50 प्रतिशत अनुदान देय होगा। किसानों को 40 हजार रुपया प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा।
वाहन खरीदने पर भी मिलेगा अनुदान
सहायक निदेशक ने बताया कि किसानों को गेंदा फूल बाजार तक ले जाने की सुविधा को लेकर माल वाहक वाहन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। वाहन की खरीद पर किसानों को अनुदान की सुविधा मिलेगी। सहायक निदेशक ने बताया कि इस योजना के तहत न्यूनतम किसान 25 डिसमिल और अधिकतम चार हेक्टेयर तक की खेती पर किसान अनुदान ले सकते हैं।
रैयत और गैर रैयत किसानों को मिल रहा लाभ
इसकी खेती का लाभ रैयत और गैर रैयत किसानों को दिया जा रहा है। सहायक निदेशक ने बताया कि किसानों को योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मिलेगा।
बता दें कि जिले में पिछले कई सालों से खेतीबाड़ी में बदलाव का दौर चल रहा है। अब यहां के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी के साथ फल, फूल व सब्जी की खेती कर रहे है।
बागवानी करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को संचालित किया जा रहा है। बागवानी में फूल की खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय होती जा रही है।
जिले के किसानों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि जिले में मां मुडेश्वरी मंदिर के बगल में बनारस का बाजार होने के चलते पूरे वर्ष गेंदा सहित अन्य फूलों की मांग रहती है। अब जिले के किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे है।
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