Bihar News: मर्चा धान की खेती करने वाले किसान अब हो जाएंगे मालामाल! नीतीश सरकार ने कर दी बड़ी घोषणा
Bihar News पश्चिम चंपारण जिले में मर्चा धान की खेती करने वाले किसानों को अब सरकार अनुदान देगी। जीआई टैग मिलने के बाद कृषि विभाग ने खेती को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की है। जिला कृषि पदाधिकारी ने प्रति एकड़ 4000 रुपये अनुदान देने का प्रस्ताव भेजा है जिससे किसानों को लाभ होगा और उत्पादन में वृद्धि होगी।

जागरण संवाददाता, बेतिया। पश्चिम चंपारण जिले के मर्चा धान से जुडे किसानों को उनकी खेती के अनुसार विभाग अनुदान देगा।
इस प्रजाति के धान को जीआई टैग मिलने के बाद राज्य सरकार ने इसकी खेती को बढावा देने के लिए यह पहल शुरू करने वाली है।
विभाग के निर्देश पर जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार राय की ओर से इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। प्रस्ताव में मर्चा धान की खेती पर प्रति एकड़ 4000 रुपये अनुदान देने का अनुशंसा किया गया है।
विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद बाद जिले के मर्चा धान की खेती करने वाले किसानों को इसका लाभ मिलने लगेगा।
जिला कृषि पदाधिकारी श्री राय ने बताया कि विभाग जीआई टैग प्राप्त कृषि उत्पादों की खेती ज्यादा से ज्यादा किसान करें और इसका उत्पादन अधिक हो, इसके लिए सरकार प्रयासरत है।
ऐसा इसलिए कि सूबे में मखाना, मर्चा धान, मगही का पान आदि की मांग ग्लोबल स्तर पर भी बढ़ रही है। इसे देखते हुए खेती का रकबा एवं उत्पादकता दोनों को बढ़ाने से अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा।
1000 एकड़ में दो हजार किसान करते हैं खेती
पश्चिम चंपारण जिले में इस वर्ष दो हजार से अधिक किसान मर्चा धान की खेती की है। 1000 एकड़ की इस प्रजाति के धान की खेती हुई है। मर्चा धान को जीआई टैग मिलने के बाद यह स्थिति हुई है।
जबकि जीआई टैग मिलने के पहले 700 एकड़ में ही इसकी खेती हो रही थी आौर 1500 किसान ही जुड़े थे। मांग बढ़ने से इस वर्ष मर्चा धान 5500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिका है।
बीज उत्पादन में भी किसानों को मिलेगा लाभ
विभाग किसानों की सुविधा के लिए मर्चा धान के लिए प्रत्यक्षण भी कराएगा। किसानों को इसके लिए अलग से सुविधा दी जाएगी। इससे जिले में मर्चा धान के बीज उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।
मर्चा धान की खेती से जुड़े किसान आनंद सिंह, लक्ष्मी कुशवाहा, राजीव प्रसाद के अनुसार जीआई टैग मिलने के बाद मर्चा धान के बीज की भी कमी हो रही है। इससे किसानों को इसकी खेती करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
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