Bihar Politics: झाझा में जातीय समीकरण पर टिकने लगी राजनीतिक बाजी, एनडीए-महागठबंधन और जन सुराज में मुकाबला
झाझा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल गरमा गया है। विकास के मुद्दों के बजाय, इस बार जातीय समीकरणों पर जोर दिया जा रहा है। एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज पार्टी के बीच मुकाबला है। मतदाता जातीय समीकरणों को प्राथमिकता दे रहे हैं। विभिन्न समुदाय अपने-अपने तरीके से समीकरण साधने में लगे हैं। देखना यह है कि झाझा की गद्दी पर कौन बैठेगा।

झाझा में जातीय समीकरण पर टिकने लगी राजनीतिक बाजी
संवाद सूत्र, झाझा (जमुई)। झाझा विधानसभा क्षेत्र (Jhajha Assembly Seat Election 2025) की राजनीति अब पूरी तरह जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमने लगी है। कभी विकास के मुद्दों पर केंद्रित रहने वाला यह इलाका अब जातिगत गणित में उलझता दिख रहा है। नेताओं की भाषा, बयानबाजी और चुनावी रणनीतियों में इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है।
हालांकि, एनडीए के नेता और कार्यकर्ता लगातार विकास को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि मतदाता अब जातीय संतुलन को प्राथमिकता दे रहे हैं। विधानसभा के तीनों प्रखंडों में विभिन्न समुदाय और जातीय समूहों ने अपने-अपने तरीके से समीकरण साधने की कवायद शुरू कर दी है।
इस बार का चुनाव कई दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से दिलचस्प होता जा रहा है, लेकिन असली टक्कर एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज पार्टी के बीच सिमटती दिख रही है। दूसरी ओर, निर्णायक भूमिका निभाने वाले ‘पचपनिया मतदाता’ अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जिनकी दिशा तय करेगी कि झाझा की गद्दी पर कौन बैठेगा।
बैठकें तेज, रणनीतियों में बदलाव
विभिन्न समुदायों में लगातार बैठकें हो रही हैं। प्रत्याशियों की ताकत और कमजोरी पर चर्चा हो रही है। वहीं, उम्मीदवार भी अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अपने-अपने समाज और जातीय समूहों के मतदाताओं के बीच समय बिता रहे हैं। वादों की झड़ी, लेकिन समीकरण भारी महागठबंधन ने अपने वादों में हर घर में एक सरकारी नौकरी देने और माई-बहन योजना जैसी योजनाओं का एलान किया है।
दूसरी ओर, एनडीए ने हर परिवार को 125 यूनिट मुफ्त बिजली, हर महिला के खाते में 10 हजार रुपये (भविष्य में दो लाख रुपये तक) भेजने और एक करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही है।
वहीं, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने ‘बदलता बिहार, स्वच्छ बिहार’ का नारा दिया है। हालांकि, इन तमाम घोषणाओं पर जातीय समीकरणों का असर पानी फेरता नजर आ रहा है। महागठबंधन और एनडीए के वरिष्ठ नेता भी अब इसी जातीय गणित के प्रवाह में बहते दिख रहे हैं।
झाझा की मतदाता संख्या और प्रभाव
झाझा विधानसभा क्षेत्र में कुल 3.38 लाख मतदाता हैं। इनमें विभिन्न समुदायों का प्रभावी दबदबा है जो अंतिम परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि मतदान के दिन यह समीकरण किसके पक्ष में जाकर ठहरता है, विकास के नाम पर या जातीय संतुलन के सहारे।

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