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Bihar Politics: क्या लालू यादव करेंगे समझौता? महागठबंधन में खटास पैदा कर सकती है ये लोकसभा सीट

बिहार की जहानाबाद लोकसभा सीट महागठबंधन में फिर खटास पैदा कर सकती है। इस लोकसभा सीट पर भाकपा माले की मजबूत दावेदारी है लेकिन सीट फिलहाल राजद के कोटे में है। राजद यह सीट अपने सहयोगी दल को नहीं देना चाहेगी। हालांकि भाकपा माले को पूरी तरह से दरकिनार भी नहीं किया जा सकता। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि ये सीट किसके खाते में जाएगी।

By dheeraj kumar Edited By: Rajat Mourya Published: Fri, 08 Mar 2024 03:56 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2024 03:56 PM (IST)
क्या लालू यादव करेंगे समझौता? महागठबंधन में खटास पैदा कर सकती है ये लोकसभा सीट

जागरण संवाददाता, जहानाबाद। वर्ष 1994 में जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन में बदलाव किया गया था। पहले पटना जिले का मसौढ़ी इलाका जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में आता था। 1994 के परिसीमन में मसौढ़ी को जहानाबाद से अलग कर गया जिले के अतरी विधानसभा को शामिल किया गया।

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इस बदलाव से क्षेत्र के राजनीतिक हालात में भी व्यापक परिवर्तन आया। 1994 तक इस लोकसभा क्षेत्र में लाल झंडा का बोलबाला था। इस बदलाव के बाद लाल झंडा बुलंद नहीं हो सका। परिसीमन में बदलाव से लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण पर कोई खास अंतर नहीं पड़ा।

मसौढ़ी का इलाका यादव और पिछड़ा बहुल था। इसी तरह का समीकरण जातीय स्तर पर अतरी विधानसभा में भी रहने के कारण लोकसभा चुनाव में लगभग हालात पहले की तरह ही कायम रहा, लेकिन राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक नए समीकरण का उद्भव हो गया।

लाल सलाम को हुआ नुकसान

इस समीकरण के तहत दो समाजवादी विचारधारा आपस में टकराने लगी। इस तरह पक्ष- विपक्ष में समाजवादी शक्तियों का ही लोकसभा क्षेत्र में बोलबाला रहा। लाल सलाम की उर्वर जमीन धीरे-धीरे बंजर होती चली गई।

2024 में महागठबंधन के घटक दल भाकपा माले भी मजबूत दावेदार

कभी लाल झंडे की उर्वर जमीन रहे जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में 2020 का विधानसभा चुनाव परिणाम संजीवनी का काम किया। लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा हैं, जिसमें चार विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है तो दो विधानसभा क्षेत्र पर भाकपा माले के विधायक हैं। ऐसे में महागठबंधन की ओर से समय-समय पर जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग माले उठाते रही है।

हालांकि राजद यह सीट अपने सहयोगी दल को नहीं देना चाहेगी। लेकिन भाकपा माले को पूरी तरह से दरकिनार भी नहीं किया जा सकता है। यदि महागठबंधन की ओर से भाकपा माले को सीट मिलता है तो लंबे समय बाद इस संसदीय क्षेत्र में लाल झंडा मुख्य मुकाबला का गवाह बनेगा।

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