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    Gopalganj History: पढ़िए गोपालगंज जिले का इतिहास, 52 वर्षों में कितना कुछ बदल गया?

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 06:44 PM (IST)

    गोपालगंज को अनुमंडल से जिला बनने में 98 वर्ष का लंबा समय लगा। 1875 में गोपालगंज को सारण जिले के एक अनुमंडल का दर्जा मिला। इसके बाद गोपालगंज का विकास होता रहा और 2 अक्टूबर 1973 को इसे जिले का दर्जा दिया गया। गोपालगंज का इतिहास समृद्ध रहा है और यह कृषि के क्षेत्र में एक बेहतर इलाका रहा है।

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    गोपालगंज जिले का इतिहास काफी संघर्षपूर्ण रहा (जागरण)

    मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। Gopalganj News: अनुमंडल से जिला बनने में गोपालगंज को 98 वर्ष का लंबा वक्त लगा। 1875 के पूर्व गोपालगंज एक छोटा सा कस्बा हुआ करता था। अंग्रेजी हुकूमत के समय 1875 में गोपालगंज को सारण जिले के एक अनुमंडल का दर्जा मिला। अनुमंडल बनने के बाद गोपालगंज का समय के साथ विकास होता था।

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    2 अक्टूबर 1973 को मिला था जिले का दर्जा

    98 साल की लंबी अवधि बीतने के बाद गोपालगंज को 2 अक्टूबर 1973 को जिले का दर्जा दिया गया। वैसे गोपालगंज का इतिहास प्रारंभ से ही समृद्ध रहा है। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन देवरिया जिले की सीमा पर स्थित गोपालगंज 1875 तक एक छोटा सा बाजार व कस्बा था। तब गोपालगंज की पहचान कृषि के क्षेत्र में बेहतर इलाके के रूप में थी। जिले से होकर गंडक सहित सात नदियां गुजरती हैं।

    गोपालगंज की मिट्टी काफी उपजाऊ थी

    गंडक के अलावा झरही, खलुआ, दाहा, धमई, सोना, स्याही आदि नदियों के गोपालगंज की मिट्टी काफी उपजाऊ एवं खेती करने योग्य थी। तब यहां गन्ना मुख्य फसल थी। तब इस इलाके में अच्छी उपज होने के कारण 1875 में गोपालगंज को अनुमंडल का दर्जा किया गया।

    अनुमंडल बनने के बाद इस इलाके में विकास का क्रम प्रारंभ हुआ। समय के साथ अनुमंडल मुख्यालय के साथ ही सुदूर इलाके में विद्यालयों की स्थापना का कार्य प्रारंभ हुआ। तब इलाके में परिवहन की सुविधा नहीं के बराबर थी। भारत को आजादी मिलने के बाद 1960 के दशक में गोपालगंज में पहली बार बसों का परिवहन प्रारंभ हुआ।

    1972 में सारण जिले को 2 हिस्से में बांटा गया

    1972 में सारण जिले को दो हिस्सों में बांटकर सिवान व सारण जिले बने। सिवान जिले के गठन के बाद गोपालगंज का पूरा इलाका सिवान जिले के अधीन आ गया। इसके करीब दस माह बाद दो अक्टूबर 1973 को सिवान से अलग कर गोपालगंज को जिले का दर्जा दिया गया। 

    आज जिले में 14 प्रखंड व दो अनुमंडल आज गोपालगंज जिले में दो अनुमंडल (गोपालगंज व हथुआ) तथा 14 प्रखंड हैं। इलाके अलावा पांच नगर निकायों का गठन किया गया है। जिला बनने के करीब 51 वर्ष बाद गोपालगंज में आज उच्च शैक्षणिक संस्थानों के अलावा तकनीकी शिक्षण संस्थान भी स्थित हैं।

    परिवहन सेवा में भी गोपालगंज की स्थिति बेहतर

    आज परिवहन सेवा में भी गोपालगंज स्थिति बेहतर है। जिला मुख्यालय से होकर एनएच 27 तथा एनएच 531 के अलावा तीन-तीनस्टेट हाइवे गुजरते हैं। एनएच 27 जिले को राजधानी दिल्ली से लेकर यूपी, असम, पश्चिम बंगाल, आदि राज्यों को आपस में जोड़ता है। 

    प्रत्येक क्षेत्र में हुआ विकास जिले का विकास प्रत्येक क्षेत्र में हुआ है। चाहे वह रेल व सड़क परिवहन हो अथवा स्वास्थ्य एवं शिक्षा का क्षेत्र हो। जिला बनने के बाद गोपालगंज का प्रत्येक क्षेत्र में विकास हुआ है। मीटर गेज रेलखंड का अमान परिवर्तन कर उसे बड़ी लाइन में बदलने के साथ ही रेलवे स्टेशनों का विकास हुआ है।

    सड़क परिवहन के मामले में लंबी दूरी की बसें उपलब्ध हैं। दिल्ली, झारखंड, गुजरात, राजस्थान व उत्तरप्रदेश के कई शहरों के लिए बसें चलतीं हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों का विकास हुआ है। इस विकास के दौर में कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां काफी कुछ किया जाना शेष है।

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