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    Patna Junction history: कैसे हुआ था पटना जंक्शन का निर्माण, पहली ट्रेन कौन सी चली थी? पढ़ें इसका दिलचस्प इतिहास

    By Chandra Shekhar Edited By: Sanjeev Kumar
    Updated: Thu, 08 Feb 2024 02:00 PM (IST)

    Patna Junction history 1862 ई. में शुरू होने वाले पटना जंक्शन का इतिहास जितना महत्वपूर्ण था वर्तमान भी इससे कहीं अधिक ही महत्वपूर्ण है। पहले ब्रिटिश हुकूमत उत्तर प्रदेश व बिहार से कच्चा व उत्पादित माल को गंगा नदी के रास्ते कोलकाता ले जाते थे और वहां से इसे जहाज से इंग्लैंड ले जाते थे। 1855 में ही स्टेशन निर्माण की नींव डाली गई जो 1862 में पूरा हुआ।

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    बेहद दिलचस्प है पटना जंक्शन का इतिहास (जागरण)

    चन्द्रशेखर, पटना। Patna Junction construction History: 1862 ई. में शुरू होने वाले पटना जंक्शन का इतिहास जितना महत्वपूर्ण था वर्तमान भी इससे कहीं अधिक ही महत्वपूर्ण है। पहले ब्रिटिश हुकूमत उत्तर प्रदेश व बिहार से कच्चा व उत्पादित माल को गंगा नदी के रास्ते कोलकाता ले जाते थे और वहां से इसे जहाज से इंग्लैंड ले जाते थे। जब 16 अप्रैल 1853 में पहली ट्रेन की शुरूआत की गई तब माल ढुलाई के लिए पटना में भी ट्रेन सेवा शुरू करने की योजना बनाई गई थी।

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    1855 में ही पटना में स्टेशन निर्माण की नींव डाली गई जो 1862 में जाकर पूरा हुआ। इसका नाम बांकीपुर रखा गया। बांकीपुर से दो रेलवे लाइन का निर्माण कराया गया दीघा घाट व पटना घाट तक, जो उस समय वाराणसी व कोलकाता के लिए महत्वपूर्ण था। शुरूआत में जानवरों से ट्रेन की बोगियां खींची जाती थी।

    पटना व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण शहर था। माल ढुलाई के लिए दीघा घाट व पटना घाट के बीच पटना रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया गया। इसके बाद पटना से हावड़ा व पटना से वाराणसी के बीच युद्ध् स्तर पर रेलवे ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया गया।

    सोन नदी की भयावहता को देखते हुए कोइलवर में बनाया गया रेल पुल

    ब्रिटिश हुकूमत ने सुगम माल ढुलाई व यात्री यातायात के लिए ट्रेनों का परिचालन शुरू करने के लिए पटना से हावड़ा व पटना से वाराणसी के बीच रेल सेवा शुरू करने के लिए बड़ी-बड़ी नदियों को पाटने के लिए रेल पुलों का निर्माण कराना शुरू कर दिया।

    1.44 किमी लंबे रेल सह सड़क पुल का निर्माण कार्य 1862 में पूरा कर लिया गया और 4 नवंबर 1862 को रेल पुल की शुरूआत कर दी गई थी। इसी तरह फतुहा के पास पुनपुन नदी व किउल नदी पर भी 554 मीटर लंबे रेल पुल का निर्माण कार्य 1861 को पूरा कर लिया गया।

    कुछ ही सालों बाद पटना से कच्चे व उत्पादित माल की ढुलाई ट्रेन से भी शुरू कर दी गई। इसी समय दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार को रेल सेवा से जोड़ने के लिए 1856 में ही मोकामा के हथिदह के पास राजेंद्र सेतु का निर्माण भी शुरू कर दिया गया था। 1860 में ही इस रेल सेतु का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था।

    पहली ट्रेन के रूप में कोलकाता से चली थी लालकिला

    पूर्व रेलवे की ओर से आजादी के पहले ही इस रेलवे ट्रैक पर आम जनता के लिए लालकिला एक्सप्रेस की शुरूआत की गई थी। इस ट्रेन पहली ट्रिप तो 1866 को ही चलाया गया था परंतु उस वक्त इस ट्रेन से आम लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं दी गई थी। बाद में इसे आम जनता के लिए शुरू कर दिया गया था। इस ट्रेन में तृतीय व द्वितीय श्रेणी की बोगियां थी। यह ट्रेन काफी धीमी रफ्तार से 67 स्टेशनों पर रुकती हुई लगभग 40 घंटे में हावड़ा से दिल्ली पहुंचती थी। बाद में 30 जून 2014 से इसे बंद कर दिया गया।

    आजादी के बाद चली थी पटना से दिल्ली के लिए जनता एक्सप्रेस

    पहले अंग्रेजों ने माल ढुलाई व सुरक्षा कारणों से रेल सेवा की शुरूआत की थी। इसे आम जनता के लिए नहीं शुरू किया गया था। बाद में धीरे-धीरे सवारी गाड़ियों का परिचालन शुरू किया गया। आजादी के पहले दरभंगा महाराज द्वारा निजी यात्रा के लिए रेल सेवा की शुरूआत की गई थी। आजादी के बाद पहली अक्टूबर 1948 में पटना से दिल्ली के लिए जनता एक्सप्रेस की शुरूआत की गई। इस ट्रेन के सारे डिब्बे तृतीय श्रेणी के ही रखे गए थे।बाद में इसी ट्रेन का विस्तार पटना से हावड़ा तक कर दिया गया और यह ट्रेन हावड़ा से दिल्ली के लिए वाया पटना चलने लगी। धीमी रफ्तार के कारण इसे भी एक अगस्त 2014 से बंद कर दिया गया।

    1900 में शुरू की गई थी पटना-गया रेलखंड

    पटना से गया के लिए ग्रैंड कार्ड लाइन से जोड़ने के लिए पटना-गया रेलखंड का निर्माण किया गया था। इस रेलखंड से भी माल ढुलाई की जाने लगी थी। बाद में इस रेलखंड से पटना से गया के लिए सवारी गाड़ियां एवं रांची के लिए सवारी गाड़ियाें का परिचालन शुरू कर दिया गया। 2003 से इस रेलखंड का पूरी तरह विद्युतीकरण कर दिया गया। पहले जहां यह सिंगल लाइन था अब इसके दोहरीकरण का कार्य भी पूरा कर लिया गया है।

    1925 में की गई थी दानापुर रेलमंडल की शुरूआत

    पूर्व रेलवे से चलने वाली ट्रेनों को नियंत्रित करने के लिए 1925 में दानापुर रेल मंडल की स्थापना की गई थी। 1928 में दानापुर में इसका भवन बनकर तैयार हो गया था। उस वक्त हावड़ा, विशाखापतनम, सियालदह के साथ-साथ दानापुर रेल मंडल की शुरूआत की गई थी। 1925 से 1952 तक यह इस्ट इंडियन रेलवे के अधीन था और 1952 से 2002 तक पूर्व रेलवे के अधीन रहा। 2002 में पूर्व मध्य रेल की स्थापना होने के बाद इसे पूर्व मध्य रेल के अधीन कर दिया गया।

    प्रतिदिन गुजरती है 300 से अधिक ट्रेनें

    पटना जंक्शन से प्रतिदिन तीन सौ से अधिक लंबी दूरी व सवारी गाड़ियां गुजरती हैं। पटना जंक्शन पर ट्रेनों की भीड़ को देखते हुए राजेंद्र नगर स्टेशन को टर्मिनल बनाया गया है। पटना से खुलने वाली अधिकांश ट्रेनों को राजेंद्र नगर टर्मिनल से ही खोला जाने लगा। बाद में दानापुर से होकर उत्तर बिहार को जाने वाली ट्रेनों के लिए पाटलिपुत्र स्टेशन का निर्माण किया गया। पटना में पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर टर्मिनल, गुलजारबाग, पटना साहिब, पाटलिपुत्र जंक्शन, फुलवारीशरीफ, दानापुर, व सचिवालय हाल्ट बनाया गया है। प्रतिदिन इन स्टेशनों से तीन लाख से अधिक यात्री आते-जाते हैं। दानापुर मंडल की वार्षिक आय 1800 करोड़ के आसपास की है।

    पटना से होकर दिल्ली, कोलकाता समेत देश के कोने-कोने के लिए चलती है ट्रेनें

    पटना से आज के दिन नई दिल्ली, कोलकाता, फरक्का, भागलपुर, गया, खगड़िया, जयनगर, दरभंगा, रांची, भूवनेश्वर, पुरी, विशाखापतनम, कोचिन, बेंगलुरु, चेन्नई, जयपुर, मुंबई, पुणे, जबलपुर, पलामु समेत देश के कोने-कोने के लिए ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है।

    तीसरी व चौथी लाइन का होगा निर्माण

    डीडीयू से झाझा के बीच ट्रेनों की भीड़भाड़ को देखते हुए अब तीसरी व चौथी लाइन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। दिल्ली से पटना होते हुए कोलकाता के बीच तेज गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन भी चलाने की योजना है। कभी पटना से दिल्ली 24 से 26 घंटे लग जाते थे। अब तेजस व संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस 12 घंटे में पटना से दिल्ली पहुंच रही है। निकट भविष्य में पटना से दिल्ली के बीच वंदे भारत से छह से आठ घंटे में पहुंचने की योजना है। पटना से 70 से अधिक ट्रेनों को आरिजिनेट किया जा रहा है।

    पटना जंक्शन पर यात्री सुविधा के क्षेत्र में काफी कुछ किया गया है। पटना जंक्शन पर पहले जहां चार ही प्लेटफार्म था आज के दिन दस प्लेटफार्म है। जंक्शन पर पांच एस्केलेटर, चार लिफ्ट, छह बड़ा-बड़ा वातानुकूलित यात्री प्रतिक्षालय बनाया गया है।

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