चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने किसानों के लिए कर दी एक और बड़ी घोषणा, कृषि विभाग ने जारी किया नया नोटिफिकेशन
Bihar News In Hindi गोपालगंज के किसान अब औषधीय गुणों वाली हल्दी की खेती करके अपनी आय बढ़ाएंगे। जिले में पहली बार 100 एकड़ में हल्दी की खेती की जाएगी। किसानों को बाग-बगीचे में हल्दी उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हल्दी की खेती से किसानों को प्रति एकड़ 90 हजार रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।

जागरण संवाददाता, गोपालगंज। अब औषधीय गुणों वाली हल्दी किसानों की झोली भरेगी। पहले से ही जिले में कम मात्रा में ही सही उगाई जाने वाली हल्दी की खेती को अब बढ़ावा देने के लिए पहल की गई है।
इस पहल के तहत इस साल 100 एकड़ में हल्दी की खेती की जाएगी। किसानों को बाग-बगीचे में हल्दी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण देने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। कृषि विभाग की इस पहल पर किसानों में भी रुचि देखने को मिल रही है।
औषधीय गुण वाले हल्दी का सामान्य तौर पर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों के साथ ही बीमारियों, जख्म आदि में भी इसका आयुर्वेदिक इस्तेमाल होता है।
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो गर्म व नम जलवायु में हल्दी की पैदावार दूसरी जगहों से अधिक होती है। हालांकि, इसकी खेती के लिए जलनिकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
ज्यादातर फसलों के लिए खुले खेत या जमीन की जरूरत होती है, लेकिन हल्दी की खेती छायादार स्थान पर होती है।
बाग-बगीचे में भी हो सकेगी हल्दी की खेती
कृषि विज्ञानी बताते हैं कि बाग-बगीचे में भी हल्दी लगाई जा सकती है। पौधों की छाया से हल्दी की पैदावार में कोई कमी नहीं आती है। बगीचे में हल्दी की खेती कर किसान दोहरा लाभ उठा सकते हैं।
इससे बगीचे में लगे फल के साथ ही किसान हल्दी से भी अच्छी खासी आय प्राप्त कर सकते हैं। हल्दी की खेती करने से बगीचे में अन्य खर पतवार भी नहीं उगते हैं।
प्रति एकड़ पांच से छह क्विंटल बीज की जरूरत
- एक एकड़ में बुआई के लिए पांच-छह क्विंटल गांठों की आवश्यकता होती है। बोआई के सात-आठ माह बाद पौधों की पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं।
- पत्तियां सूखने लगे तो पौधों की खुदाई कर गांठों को निकाल लेना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, एक एकड़ में हल्दी की खेती करने पर करीब तीस हजार रुपये की लागत आती है।
- किसानों को प्रति एकड़ हल्दी की खेती से 90 हजार रुपये तक का लाभ मिल सकता है।
गेंहू की फसल पर मौसम की मार, किसानों की बढ़ी चिंता
बक्सर जिले में गेहूं की फसल पर मौसम की प्रतिकूलता का खतरा मंडरा रहा है। तेज धूप और बढ़ते तापमान से फसल को नुकसान हो रहा है, जिसके चलते बाली का आकार छोटा रह रहा है और दाने पुष्ट नहीं हो पाएंगे।
इससे उत्पादन में कमी और दानों का वजन घटने की आशंका है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मेहनत और खर्च के बावजूद प्रकृति का मिजाज फसल के पक्ष में नहीं दिख रहा।
20 दिसंबर के बाद बोई गई फसलों पर इसका असर ज्यादा होगा, और उत्पादन में 25 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. देवकरण ने बताया कि तेज धूप से गेहूं के दाने असमय पक रहे हैं, बाली छोटी रह रही है, और सूर्य की तपिश में फसल जल्द सूख रही है, जिससे दाने पतले हो जाएंगे।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि खेतों में पटवन करें और पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करें ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
दिसंबर के अंतिम सप्ताह या उसके बाद बोई गई फसलों पर प्रभाव अधिक होगा, जबकि बाली पूरी तरह लग चुके खेतों में प्रति एकड़ एक किलो पोटैशियम क्लोराइड को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव जरूरी है।
बदलते मौसम ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बुआई के समय खेतों की नमी सूखने की समस्या थी, और अब फसल पकने के दौर में सूर्य की गर्मी परेशानी का सबब बन रही है।
पछुआ हवा भी पौधों को नुकसान पहुंचा रही है। लागत बढ़ने के बाद भी उपज में कमी की आशंका से किसान परेशान हैं।
उनका कहना है कि कटाई के समय मौसम का असर साफ दिखेगा, जब दाने पतले और हल्के हो सकते हैं।
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