100 रुपये प्रति KG बिकता है यह फल, पश्चिम बंगाल से बीज मंगाकर बिहार में लगाए पौधे; अब हो रही बंपर कमाई
Bihar Farming News अमरूद की खेती से किसान रामप्रवेश महतो ने बदली अपनी किस्मत। पश्चिम बंगाल से ताइवानी नस्ल के अमरूद की खेती कर रहे हैं। एक बीघा में दो लाख रुपये का खर्च आया है लेकिन मुनाफा भी लाखों में है। अमरूद में विटामिन ए बी सी कैल्शियम आयरन फास्फोरस जिंक कापर कार्बोहाइड्रेट जैसे प्रमुख तत्व पाए जाते हैं।

रितेश कुमार झा, मंसूरचक (बेगूसराय)। विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कापर, कार्बोहाइड्रेट जैसे प्रमुख तत्वों का श्रोत अमरूद शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक के साथ ही किसानों की जेबें भी भरता है। खेती की शुरुआत में पहले दो वर्ष थोड़ी कम उपज होती है और खर्च अधिक होता है।
तीसरे वर्ष से मुनाफा शुरू हो जाता है। मंसूरचक प्रखंड क्षेत्र की गणपतौल पंचायत के किसान रामप्रवेश महतो परंपरागत खेती को छोड़ अमरूद की खेती आरंभ की है।
पश्चिम बंगाल से ताइवानी नस्ल की अमरूद का फल दो सौ से पांच सौ ग्राम तक का होता है। बाजार में यह सौ रुपये किलो बिक्री होती है। एक बीघा की खेती में दो लाख रुपये खर्च आया है।
उन्होंने बताया कि रासायनिक खाद के उपयोग से पेड़ चार से पांच वर्षों में खराब हो जाता है, परंतु वर्मी कंपोस्ट से एक पेड़ से 10 से 15 वर्षों तक उपज लिया जा सकता है। अमरूद बेगूसराय व समस्तीपुर में ही बिक जाता है।
एक बीघा में दो लाख रुपये आया खर्च
- रामप्रवेश बताते हैं कि वे पहली बार ताइवानी नस्ल के अमरूद की खेती से शुरुआत की। एक बीघा में तीन वर्ष पूर्व बंगाल से अमरूद का बीज मंगवाया और खेती शुरू की।
- दो वर्ष तो मुनाफा कम हुआ, चूंकि पौधा बड़ा होने में समय और खर्चा थोड़ा ज्यादा होता है। उन्होंने बताया कि एक बीघा में लगभग दो लाख रुपये खर्चा आया है।
- उन्होंने बताया कि पहले वर्ष तीन लाख रुपये का अमरूद बेच चुका हूं। कहा, समय-समय पर पौधे की छंटाई एवं फंगस रोधी दवा से स्प्रे करना पड़ता है।
- फल को कीड़ा से बचाव के लिए हर अमरूद में जालीनुमा नेट लगाकर ढका जाता है। उन्होंने बताया कि एक अमरूद दो सौ से पांच सौ ग्राम तक वजन का होता है और सौ रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है।
- उन्होंने बताया की अमरूद की खेती में यह विशेषता है कि इसको किसान जब चाहे उपजा सकते हैं। इसमें सीजन वाली कोई बात नहीं है।
रासायनिक नहीं वर्मी कंपोस्ट का करते हैं उपयोग
उन्होंने बताया कि वे खेती में रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते हैं, वर्मी कंपोस्ट का ही उपयोग करते हैं। कहा, रासायनिक खाद का उपयोग करने पर चार से पांच वर्ष में ही पौधा खराब हो जाता है। जबकि वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने पर 10 से 15 वर्षों तक उपज लिया जा सकता है।
हर तीन माह पर 50 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट हर पौधे में डालते हैं। समय-समय पर सिंचाई भी करते रहना पड़ता है। अमरूद हर मौसम में बिकने वाला फल है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, बी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कापर, कार्बोहाइड्रेट आदि कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।
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