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    Gaya News: नेताओं के वादे कितने खरे? शिलान्यास तो हो गया, लेकिन 17 साल बाद भी नहीं लगी स्टील प्रोसेसिंग यूनिट

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 02:58 PM (IST)

    3 दिसंबर 2008 को वजीरगंज में स्टील प्रोसेसिंग यूनिट का शिलान्यास हुआ था जिससे लोगों को रोजगार की उम्मीद जगी थी। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने यह शिलान्यास किया था। हालांकि 17 साल बाद भी यह यूनिट शुरू नहीं हो पाई है। किसानों ने जमीन भी दी लेकिन सरकार बदलने के बाद काम बंद हो गया। नेताओं ने कई वादे किए पर कोई नतीजा नहीं निकला।

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    वजीरगंज में नहीं बना स्टील प्रोसेसिंग यूनिट। फोटो जागरण

    रवि भूषण सिन्हा, वजीरगंज (गया)। 3 दिसंबर 2008 बुधवार, यह दिन वजीरगंज सहित पूरे मगध प्रमंडल के लिए अहम था। काफी चहल-पहल थी। घर-घर में त्यौहार जैसा माहौल बना था। बच्चे तथा बड़े सभी उत्साहित थे। महिलाएं ज्यादा उत्साहित थी कि रोजगार के लिए अब उनके घरवालों को घर-परिवार छोड़कर प्रदेश नहीं जाना पड़ेगा। कमाई भी होगी और दांपत्य जीवन सुखमय होगा।

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    आखिर उत्साहित होते भी क्यों नहीं। क्षेत्र में आजादी के बाद पहली बार एक बड़ा उद्योग स्थापना के लिए शिलान्यास समारोह जो था। जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर पूरब वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय से दो किलोमीटर पश्चिम में एरु गांव है। यहां स्टील प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना कराई जाने की योजना स्वीकृत हुई थी।

    यह यूनिट स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया का था। तत्कालीन यूपीए सरकार में केंद्रीय रसायन, उर्वरक एवं इस्पात मंत्री रामविलास पासवान बड़े उत्साह के साथ इसका शिलान्यास किया। इस कार्यक्रम में वजीरगंज सहित पूरे मगध क्षेत्र से लाखों लोग शामिल हुए थे। रोजगार मिलने का सपना सबों के आंखों में तैरने लगा।

    शिलान्यास सभा में उपस्थित बीएसएल के अधिशासी निदेशक एनके झा ने मंत्री के सामने यूनिट को पांच वर्षों के अंदर चालू करवाने की घोषणा तक कर दी। उनके साथ मंत्री ने कहा कि पर्याप्त राशि मुहैया करा दी गई है, लेकिन समय बीता, सब धरा का धरा रह गया।

    उस वक्त शिलान्यास स्थल पर केवल मिट्टी जांच और भूमि पूजन हुआ। शेष कार्य शिथिल पड़ गया। सतरह वर्ष बीत गए। स्थानीय लोग अब तक सपना में डूबे हैं।

    यूनिट स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव क्षेत्र के किसानों के बीच रखा गया। संकोच किए बिना एरु गांव के दर्जनों किसान तीस एकड़ भूमि कंपनी को आने-पौने दाम पर दे दिए। उम्मीद थी कि आने वाले पीढ़ी का भविष्य बदल जाएगा। शिलान्यास के बाद के लोकसभा चुनाव हुआ। केंद्र में सरकार बदल गई।

    अच्छा संयोग बना कि केंद्र और राज्य में दोनों जगह एनडीए का शासन हुआ। बावजूद निर्माण कार्य बंद है। बीच में पुन: बिहार के एक सांसद आरसीपी सिंह इस्पात मंत्री बने, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। इस कार्य को चालू करवाने के लिए एक संघर्ष समिति बनी जो सरकार को स्मरण कराती रही।

    तब भी कुंभकर्णी नींद अब तक नहीं खुली। चुनाव के समय सरकारी तंत्र में जब-जब सुगबुगाहट होती है तब-तब निर्माण स्थल पर कुछ अधिकारी चले आते हैं।

    2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले जिलाधिकारी ने स्थल का निरीक्षण किया। लोगों को बताए कि बहुत जल्द कार्य प्रारंभ होगा। चुनाव बाद बात खत्म हो गया। पुन: विधानसभा उपचुनाव की घोषणा हुई। जिसमें गया के चार विधानसभा में चुनाव हुआ।

    तब गया के सांसद सह केंद्रीय लघु उद्योग मंत्री जीतन राम मांझी के निर्देश पर तत्कालीन जिलाधिकारी पूरे दलबल के साथ स्थल निरीक्षण किया। चौदह एकड़ भूमि पर टेक्नोलाजी सेंटर स्थापित करने की बात कही। वह भी अब तक एक कदम आगे नहीं बढ़ा। यह मुद्दा बनेगा क्योंकि केंद्र और राज्य में दोनों जगह एनडीए की सरकार है।

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