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    कौन बनेगा मगध का विजेता? NDA को वापसी की चुनौती, तो महागठबंधन प्रदर्शन दोहराने के लिए करेगा संघर्ष

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 03:59 PM (IST)

    चुनावी माहौल बनने से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी अमित शाह राहुल गांधी और प्रशांत किशोर ने मगध में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। मगध के पांच जिलों में उनकी नीतियों और घोषणाओं का असर दिख रहा है जिससे चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। पिछली बार एनडीए का प्रदर्शन मगध में निराशाजनक रहा था इसलिए इस बार उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है।

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    बिहार चुनाव में मगध का विजेता कौन

    कमल नयन, गयाजी। चुनावी बिगुल बजने के पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मगध प्रमंडल में आकर अपनी-अपनी दुदुंभी बजा दी है।

    मगध के पांच जिले (औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा) तक इनकी नीतियां, घोषणाएं व कृतित्व पहुंचाने का प्रयास हुआ और इससे लोगों को चुनावी पर्व की आहट की अनुभूति हो गई।

    पिछली बार मगध में एनडीए का स्ट्राइक रेट बुरा रहा था। उसे इस परिक्षेत्र की कुल 26 में से मात्र छह सीटों पर जीत मिली थी। 20 पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था।

    इस तरह राजग के लिए प्रदर्शन सुधारने की चुनौती और महागठबंधन के सामने प्रदर्शन बनाए रखने का संघर्ष है। दोनों गठबंधनों की सीधी लड़ाई में जसुपा तीसरा कोण बनाने के लिए प्रयासरत है।

    जदयू ने मगध की 26 में से 11 सीटों पर चुनाव लड़कर एनडीए का नेतृत्व किया, जबकि 10 पर भाजपा के प्रत्याशी थे। उनमें से तीन पर उसे सफलता मिली। जहानाबाद में वह मैदान में नहीं थी।

    जदयू एक भी सीट नहीं जीत पाया। यहां तक कि जगदीश शर्मा के गढ़ घोसी में भी उनके पुत्र राहुल भाकपा-माले से पराजित हो गए। अलबत्ता उप चुनाव के दौरान बेलागंज से मनोरमा देवी की जीत ने इस प्रमंडल में जदयू का खाता खोला।

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    मांझी ने पार लगाई नैया

    एनडीए में सफलतम दल के रूप में जीतनराम मांझी का हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा रहा, जिसने गया, जहानाबाद, औरंगाबाद में अपने पांच प्रत्याशी खड़े किए और तीन पर जीत प्राप्त की।

    2024 के उप चुनाव में भी इमामगंज सीट पर पुन: मांझी की बहू दीपा मांझी पहली बार विधायक बनीं। यह सीट जीतनराम मांझी के सांसद चुने जाने से खाली हुई थी।

    उधर, महागठबंधन खेमे में औरंगाबाद की छह सीटों में चार राजद, दो कांग्रेस, नवादा की पांच सीटों में राजद तीन, कांग्रेस एक, जहानाबाद और अरवल में तीन पर राजद और दो पर माले तथा गया में राजद ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2025 का चुनाव कई मामलों में विशेष स्थान रखेगा।

    अलग रणनीति से उतरेगा NDA

    बदलाव के कई दृश्य अभी से नजर आ रहे हैं। जहानाबाद जिले में एक प्रत्याशी सहयोगी पार्टी के मंच पर नजर आने लगे हैं। ऐसे में वहां की गणना भी बदल सकती है। औरंगाबाद की स्थिति में इस बार एनडीए कुछ अच्छा कर सकता है, जहां एक भी सीट 2020 में प्राप्त नहीं हुई थी।

    नवादा में बदलेगा समीकरण

    नवादा में भी कुछ स्थिति बदलेगी। टिकट के फेरबदल से यहां बहुत समीकरण बदल सकता है। बात अब मगध की हृदयस्थली गया की, जहां दस विधानसभा सीटों पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा तीन पर वर्चस्व बनाए हुए है।

    गत दिनों एनडीए के सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री एवं पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी ने खुलकर अपनी तीन सीटें (टिकारी, इमामगंज, बाराचट्टी) में सिटिंग एमएलए को आशीर्वाद देकर इरादे स्पष्ट कर दिए थे। जिले की दो-तीन अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी उनकी सक्रियता है।

    उप चुनाव में बेलागंज की जीत से तय है कि जदयू भी इस बार अन्य विधानसभा क्षेत्रों में अपने पंख फैलाएगा। भाजपा अभी दो सीटों पर काबिज है।

    एक सीट तो गया शहरी है, जो 35 वर्षों से डॉ. प्रेम कुमार के पास है। वजीरगंज की सीट भी बीरेन्द्र सिंह के जिम्मे है। कुछ और विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा की नजर टिकी हुई है।

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