Bihar Election: बक्सर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की साख दांव पर, हर चुनाव में होता है उतार-चढ़ाव
बक्सर विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण है। यहां 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के लक्ष्मीकांत तिवारी जीते। बाद में कांग्रेस का दबदबा रहा लेकिन भाजपा ने भी मज़बूत उपस्थिति दर्ज की। 2015 से कांग्रेस के संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी लगातार दो बार विधायक बने। पिछले चुनाव में कांग्रेस मामूली अंतर से जीती थी।

शुभ नारायण पाठक, बक्सर। बिहार की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले बक्सर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 1951 में स्थापित यह सामान्य सीट बक्सर और चौसा प्रखंड को मिलाकर बनती है तथा बक्सर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के लक्ष्मीकांत तिवारी यहां से विजयी हुए थे। इसके बाद 60 और 70 के दशक में कांग्रेस का दबदबा कायम रहा। हालांकि 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और 1990-95 में वामपंथी दलों को भी यहां से जीत मिली।
2000 के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी मजबूत उपस्थिति दर्ज की। वर्ष 2010 में भाजपा की प्रो. सुखदा पांडेय ने सीट जीतकर पार्टी को बढ़त दिलाई। 2005 के विधानसभा चुनाव दो चरणों में हुए, जिसमें फरवरी में भाजपा और अक्टूबर में बसपा के उम्मीदवार को सफलता मिली थी।
यह इस सीट पर राजनीतिक अस्थिरता की झलक थी। 2015 से कांग्रेस ने वापसी की। संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी लगातार दो चुनाव (2015 और 2020) जीतकर विधायक बने।
2015 में उन्होंने भाजपा के प्रदीप दुबे को लगभग 10 हजार वोटों से हराया, जबकि 2020 में भाजपा प्रत्याशी परशुराम चौबे को मात्र 3892 वोटों के अंतर से पराजित किया। वोट की हिस्सेदारी के लिहाज से कांग्रेस का प्रतिशत 2015 के मुकाबले 2020 में कुछ घटा, वहीं भाजपा ने मुकाबला कड़ा किया।
गत चुनाव में मामूली मतों के अंतर से जीती थी कांग्रेस
परिणाम के आंकड़े बताते हैं कि जहां 2015 में कांग्रेस को लगभग 41.43 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं 2020 में यह घटकर लगभग 36.38 प्रतिशत रह गया। दूसरी ओर भाजपा का वोट प्रतिशत भी 33.99 तक पहुंच गया।
दोनों चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 56-58 के बीच रहा। कांग्रेस की लगातार दो जीत के बावजूद घटता वोट अंतर संकेत देता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मुकाबला और भी रोमांचक हो सकता है। वर्तमान में विधायक संजय कुमार तिवारी (कांग्रेस) हैं। लंबे समय तक पदस्थ रहने के कारण उनके खिलाफ एक वर्ग में निराशा भी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।