इमामगंज की चुनावी नदी में मांझी का पतवार चलाना उतना आसान नहीं, RJD और PK फैक्टर से मिलेगी चुनौती?
इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव का माहौल धार्मिक और राजनीतिक दोनों है। छठ मईया के गीत की गूंज के साथ-साथ जीतेगा भाई जीतेगा के नारे भी बुलंदी के साथ क्षेत्र में लग रहे हैं। इस क्षेत्र में 2015 से जीतनराम मांझी विधायक हैं और 2024 में केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद उपचुनाव में अपनी बहू दीपा मांझी को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है।

कमल नयन, गया। जिला मुख्यालय से लगभग 100 किमी दूर इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव का माहौल धार्मिक और राजनीतिक दोनों है। छठ मईया के गीत की गूंज के साथ-साथ जीतेगा भाई जीतेगा के नारे भी बुलंदी के साथ क्षेत्र में लग रहे हैं। इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बांकेबाजार और डुमरिया प्रखंड के इलाके हैं। यह क्षेत्र कभी नक्सलवाद प्रभावित हुआ करता था। चुनाव के नाम से लोग भय खाते थे, लेकिन आज माहौल पूरी तरह बदल गया है। चुनाव हो रहे हैं और प्रचार भी जमकर चल रहा है।
यह क्षेत्र सात पहाड़ी नदियों से घिरा है। जहां छिछलेदार पानी सभी नदी में हैं। इसी नदी में छठ का अर्घ्य दिया जाएगा। तो ऐसी ही चुनावी नदी में केन्द्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम का पतवार चलाना उतना आसान नहीं है।
इस क्षेत्र में 2015 से जीतनराम मांझी विधायक हैं और 2024 में केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद उपचुनाव में अपनी बहू दीपा मांझी को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। हम के सामने राजद के रौशन मांझी (Roshan Manjhi) और जन सुराज (Jan Suraaj) के जितेन्द्र कुमार चुनाव लड़ रहे हैं।
राजद के रौशन मांझी का इमामगंज विधानसभा क्षेत्र जाना-बुझा है। वे इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। पहले भी चुनाव का स्वाद चख चुके हैं। इस बार इनका दमखम राजद के क्षेत्रीय सांसद अभय कुशवाहा को लेकर ज्यादा मजबूत दिखता है।
बता दें कि अभय कुशवाहा औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं और इमामगंज विधानसभा औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र में आता है। भाजपा के सुशील कुमार सिंह को पराजित करने के बाद राजद के अभय कुशवाहा का मनोबल बढ़ा-चढ़ा है, जबकि विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा के सुशील कुमार सिंह अपने सहयोगी पार्टी हम के लिए क्षेत्र में लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। वैसे में हम पार्टी के लिए पूर्व सांसद सिंह एक मजबूत कड़ी के रूप में कार्य करते हुए दिखते हैं।
पहली बार चुनावी मैदान में जन सुराज
जन सुराज पार्टी ने पहली बार उपचुनाव में अपना कदम बढ़ाया है। पार्टी के प्रत्याशी जितेन्द्र कुमार बांकेबाजार क्षेत्र से आते हैं और इनकी पहचान एक ग्रामीण चिकित्सक के साथ सामाजिक कार्यक्रमों से जोड़ी जाती है। जन सुराज नई पार्टी होने के कारण इस क्षेत्र में पूरी मेहनत के साथ लगी है। पार्टी के कार्यकर्ताओं का यह प्रयास है कि हर घर में दस्तक देकर अपनी पहचान बताएं। ग्रामीण क्षेत्र में उनकी यह पहचान बहुत हद तक कामयाब हो रही है। यानी यह कहा जाए कि इमामगंज विस क्षेत्र में तीनों पार्टियां अपने दमखम पर चुनावी मैदान में डटी हैं। मुकाबला कांटे के होने की पूरी संभावना है।
इमामगंज विधानसभा क्षेत्र का समीकरण
इमामगंज विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और जातीय मतदाताओं के आंकड़े में मांझी समाज का वोट सर्वोपरि है। दूसरे नंबर पर दांगी/ कोयरी है। तो तीसरा स्थान यादव समाज का है। यहां पर यह बता दें कि इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 315161 है। जिसमें 163710 पुरुष और 151442 महिला मतदाता वोटों का प्रयोग करेंगे।
जातीय आधार पर हम और राजद के उम्मीदवार मांझी जाति से आते हैं तथा जन सुराज के उम्मीदवार पासवान जाति से आते हैं। निर्णायक वोट यहां अगड़ी जाति का भी होगा। देखना यह है कि किसे कौन पार्टी किस तरफ मोड़ता है। मुस्लिम समाज के वोट पर बहुत हद तक दोनों पार्टी अपना दावा कर रही है। यह निर्णय अंतिम तक होने की उम्मीद है।
हम पार्टी के नेता केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, बिहार के मंत्री संतोष कुमार सुमन के साथ-साथ अन्य कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ सक्रिय दिखते हैं। उनके साथ सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा का बरदहस्त है और पिछले आठ साल में क्षेत्र में किए गए विकास कार्य का लेखा-जोखा है। इसी पर मांझी अपने नाव को पार लगाने का काम कर रहे हैं। उधर, राजद के बड़े नेताओं का जमावड़ा यहां लगा है। खासकर उदय नारायण चौधरी कई सभाओं में देखे गए हैं। जन सुराज के प्रशांत किशोर खुद लोगों को समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। प्रचार अब जोर पकड़ लिया है। यहां 13 नवम्बर को मतदान होना है।
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