Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गयाजी की रेणु बनीं उद्यमिता की मिसाल, गांव में छोटी सी दुकान चलाकर बेटे को बनाया IAS

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 05:34 PM (IST)

    गया जिले के डुमरिया प्रखंड के संदीप कुमार ने विपरीत परिस्थितियों में भी IAS बनकर दिखाया। उनकी मां रेणु देवी ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपने बेटे को IAS बनाने का सपना देखा। संदीप ने IIT से इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी की। लगातार प्रयासों के बाद उन्होंने 2024 में 266वीं रैंक हासिल कर IAS बने।

    Hero Image
    गयाजी की रेणु बनीं उद्यमिता की मिसाल। फोटो जागरण

    विश्वनाथ प्रसाद, गयाजी। वर्ष 1995 से 2000 का दौर। गया जिले का सुदूरवर्ती प्रखंड डुमरिया, जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 80 किमी, पहुंचने के लिए सात बार पैदल ही पहाड़ी नदी पार करनी पड़ती थी।

    रास्ता दुर्गम होने के कारण घोर नक्सली प्रभाव, आए दिन उनके बंद से आह्वान से सारी गतिविधियां ठप। लोग घोर निराशा से घिर चुके थे, सुधार की उम्मीद खो गई थी। इन विपरीत परिस्थितियों में भी एक मां के मन में एक सपना पल रहा था, तीन बेटों व दो बेटियों में किसी एक को आइएएस बना दूं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांव-घर में सुना था कि कलक्टर चाहे तो क्षेत्र की सड़क, पानी, बिजली की बुनियादी आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं, भय का माहौल खत्म हो सकता है। स्वयं सातवीं तक पढ़ सकी थीं, आगे पढ़ने की ललक अधूरी रह गई थी।

    हालांकि पति स्नातक उत्तीर्ण थे और आजीविका के लिए डुमरिया बाजार में एक किराना दुकान खोल रखी थी। कमाई सीमित, परंतु संतान के लिए पत्नी के सपने बड़े देख शुरू में हिचकिचाए, बाद में सहमत हो गए। पांच संतानों में तीसरे नंबर का पुत्र संदीप शुरू से मेधावी था।

    बातचीत में मां रेणु देवी व पिता शंभू प्रसाद गुप्ता की इच्छा जानकर उसने निश्चय कर लिया कि वह एक न एक दिन आइएएस बनकर दिखाएगा।

    आज परिणाम सामने है, संदीप कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा लगातार तीसरे वर्ष उत्तीर्ण की, पहली बार रेलवे के आइआरएमएस (इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस), दूसरी बार आइपीएस व तीसरी बार आइएएस के तौर पर चुने गए।

    अभी वह मसूरी के लबाशना (लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन) में आधार पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इससे मां गर्वित हैं, परंतु कर्तव्य पथ से विचलित नहीं हुई हैं।

    2017 के अप्रैल में एक ही दिन ससुर का देहांत, कुछ घंटों बाद हृदयाघात से पति का निधन बड़ा आघात था। स्वयं के साथ परिवार को संभाला।

    चार संतान गांव में साथ थी। संदीप मुंबई आइआइटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर निजी कंपनी में नौकरी कर रहे थे, वह भी गांव लौटे।

    दशकर्म के बाद जीवट मां ने संदीप को पिता के अधूरे सपने आइएएस बनने की याद दिलाई। उन्होंने भी मां का आदेश माना, निजी कंपनी की नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चले गए।

    वहां एक निजी कोचिंग संस्थान में नामांकन करा लगभग चार वर्ष जमकर तैयारी की, इस बीच मां ने अपने किराने दुकान की कमाई से उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दी।

    2020 में पहले प्रयास में वह साक्षात्कार तक पहुंच सके, मां से संबल लिया, कहा-तुम आइआइटीयन हो, कभी भी निजी कंपनी में नौकरी में मिल जाएगी, प्रयास जारी रखो।

    2021 और बुरा रहा, वह प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर सके, मां ने फिर हौसला बढ़ाया। इसके बाद वह दोगुने मनोयोग से जुटे और 2022, 2023 व 2024 में लगातार यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और अंतत: 266वीं रैंक पाकर आइएएस के लिए चुन लिए गए।

    बड़ी बात यह कि वह गत वर्ष दिसंबर से अगस्त तक हैदराबाद में आइपीएस की ट्रेनिंग भी कर चुके हैं। अभी आइएएस की ट्रेनिंग का एक माह बीता है।

    त्रिवेणी सुपर 30 में नामांकन निर्णायक मोड़

    संदीप बताते हैं कि उनकी सफलता में मां-पिता का अहम योगदान है। रोल माडल बिहार के पूर्व डीजीपी व शिक्षक अभ्यानंद सर हैं। गांव के जनता हाईस्कूल डुमरिया से मैट्रिक तक की पढ़ाई की।

    इसके बाद इंटर गया कालेज से किया। उस दौर में आइआइटी की तैयारी के लिए सुपर 30 की धूम थी। 2010 में अभ्यानंद व आनंद के अलग-अलग सुपर 30 कोचिंग के लिए प्रेश परीक्षा दी। दोनों में चुन लिया गया। मैंने अभ्यानंद के त्रिवेणी सुपर 30 में नामांकन लिया और पटना आ गया।

    यह जीवन का निर्णायक मोड़ था, एक वर्ष की तैयारी और अभ्यानंद के मार्गदर्शन से पहली ही बार में आइआइटी के लिए चुन लिया गया। आज जो हूं, सबके सामने हूं।

    उन्होंने कहा कि कहीं जिलाधिकारी बनाया गया तो सबसे पहले प्राथमिक शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा को सुदृढ़ करूंगा, क्योंकि प्राथमिक शिक्षा के क्रम में ही बच्चे आत्मविश्वास पाते या खो देते हैं। यही उनका भविष्य तय करता है। स्कूलों की आधारभूत संरचना व गुणवत्ता सही होनी ही चाहिए।

    यह भी पढ़ें- Aurangabad News: सरकारी स्कूलों की 61 प्रतिशत छात्राएं बीमार, हेल्थ स्क्रीनिंग में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    यह भी पढ़ें- Gopalganj News: दो बाइकों की टक्कर में हादसा; एक भाई की मौत, दूसरा जख्मी